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भागते लोग, हर तरफ तबाही... सीरिया में रूस की बमबारी से नहीं रुक रहे विद्रोही, टारगेट पर कौन से शहर?

हयात तहरीर अल-शाम (HTS) के नेतृत्व में विपक्षी लड़ाकों का कहना है, "ये हमले सीरिया सरकार द्वारा हाल ही में अरिहा (Ariha) और सरमादा (Sarmada) सहित इदलिब शहरों पर किए गए हमलों का बदला है, जिसमें बच्चों की मौत सहित कई नागरिक हताहत हुए थे."

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सीरिया गृहयुद्ध (फाइल तस्वीर: रॉयटर्स)
सीरिया गृहयुद्ध (फाइल तस्वीर: रॉयटर्स)

सीरिया (Syria) में 13 साल से चल रहा गृह युद्ध, देश के दूसरे सबसे बड़े शहर अलेप्पो (Aleppo) पर हुए हमले के साथ फिर से चर्चा में आ गया है. कुछ ही दिनों में तेजी से आगे बढ़ने के बाद विद्रोहियों ने अलेप्पो के करीब पूरे इलाके पर कब्जा कर लिया. यह पिछले कई साल में विद्रोहियों का सबसे बड़ा हमला है. 

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उत्तर-पश्चिमी सीरिया में विद्रोही समूहों का कहना है कि पिछले हफ्ते शुरू हुए एक हमले में अलेप्पो पर कब्जा करने के बाद वे हमा (Hama) शहर की तरफ बढ़ रहे हैं. इस बीच, आधिकारिक तौर पर सीरियाई नागरिक सुरक्षा के रूप में जाने जाने वाले व्हाइट हेल्मेट्स ने बताया कि रविवार को जवाबी हमलों के दौरान सीरियाई और रूसी सेना द्वारा किए गए हवाई हमलों में 10 बच्चों सहित करीब 25 लोग मारे गए.

लड़ाई में हुए इजाफे ने पहले से ही युद्धग्रस्त पश्चिम एशिया में एक और हिंसक मोर्चे के उभरने की आशंका को बढ़ा दिया है. 2016 के बाद से अलेप्पो पर यह विपक्षी हमला था, जब एक क्रूर रूसी हवाई अभियान ने सीरिया के राष्ट्रपति बशर असद को उत्तर-पश्चिमी शहर पर फिर से कब्जा करने में मदद की थी. रूस, ईरान, ईरानी-सहयोगी हिज्बुल्लाह और अन्य समूहों के समर्थन ने असद को अपने कंट्रोल में सीरिया के 70 फीसदी इलाके पर सत्ता बनाए रखने की अनुमति दी है.

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हयात तहरीर अल-शाम (HTS) के नेतृत्व में विपक्षी लड़ाकों का कहना है, "ये हमले सीरिया सरकार द्वारा हाल ही में अरिहा (Ariha) और सरमादा (Sarmada) सहित इदलिब शहरों पर किए गए हमलों का बदला है, जिसमें बच्चों की मौत सहित कई नागरिक हताहत हुए थे."

यह तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान और रूस के राष्ट्रपति पुतिन द्वारा 2020 में कराए गए युद्धविराम के बाद से इलाके में असद की सेना पर पहला बड़ा हमला भी है।

सीरिया में किसके-किसके बीच लड़ाई?

13 साल से असद विपक्षी ताकतों के साथ युद्ध कर रहे हैं. यह एक ऐसा संघर्ष है, जिसमें अब तक करीब पांच लाख नागरिकों की जान जा चुकी है. करीब 68 लाख सीरियाई नागरिक देश छोड़कर जा चुके हैं.

सीरिया का करीब 30 फीसदी हिस्सा असद के कंट्रोल से बाहर है, जो तमाम विपक्षी समूहों और विदेशी सैनिकों के बीच विभाजित है. अलेप्पो से दूर उत्तर-पूर्व में, इस्लामिक स्टेट के फिर से उभरने को रोकने के लिए अमेरिका ने करीब 900 सैनिकों को तैनात कर रखा है. अमेरिका और इजरायल दोनों ही सीरिया में सरकारी बलों और ईरान-सहयोगी मिलिशिया के खिलाफ कभी-कभी हमले करते हैं. सीरिया में तुर्की के भी सैनिक हैं और वह अलेप्पो पर आगे बढ़ रहे विपक्षी बलों के बड़े गठबंधन पर प्रभाव रखता है.

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यह भी पढ़ें: सीरिया: विरासत की सत्ता, 24 साल से शासन और 12 साल से झेल रहे बगावत... जानें कौन हैं बशर अल-असद

सीरिया में कौन से ग्रुप चाहते हैं कंट्रोल?

सीरियन गवर्नमेंट फोर्सेज: सीरिया की सरकारी सेना, असद का प्राथमिक सैन्य बल, जो राष्ट्रीय रक्षा बलों द्वारा समर्थित है. यह एक सरकार समर्थक पैरामिलिट्री ग्रुप है.

HTS और संबद्ध विद्रोही समूह: एचटीएस, अल-नुसरा फ्रंट का एक बदला हुआ है, जो पहले अल-कायदा से जुड़ा था, लेकिन 2016 में उसने उन संबंधों को तोड़ दिया.

सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज (SDF): यह कुर्द-प्रभुत्व वाला एक ऐसा ग्रुप है, जो पूर्वी सीरिया के कुछ हिस्सों को नियंत्रित करता है. एसडीएफ को अमेरिका का भी सपोर्ट हासिल है.

तुर्की और तुर्की-गठबंधन वाले सीरियाई विद्रोही बल: सीरियन नेशनल आर्मी, एक तुर्की समर्थित विद्रोही बल, जो उत्तरी सीरिया इलाके में काम करता है.

यह भी पढ़ें: सीरिया की घरेलू लड़ाई में रूस और तुर्की क्या कर रहे हैं, क्यों ये देश बन चुका ग्लोबल ताकतों का अखाड़ा?

क्या है सीरिया में सिविल वॉर का इतिहास? 

  • साल 2011 में अरब स्प्रिंग अपने चरम पर था. इस दौरान सीरिया में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारी सत्तावादी राष्ट्रपति बशर अल-असद को हटाने की मांग करते हुए सड़क पर उतर आए. विरोध प्रदर्शनों का बल के साथ सामना किया गया और जैसे ही असद की सेनाओं ने आंदोलन को कुचल दिया, एक सशस्त्र विपक्ष उभरने लगा. इस विपक्ष में छोटे स्थानीय मिलिशिया और सीरियाई सेना के दलबदलू शामिल थे.
  • असद को गिराने के टारगेट से एकजुट लेकिन अलग-अलग विचारधाराओं में बंटे विपक्ष को पड़ोसी तुर्की, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे क्षेत्रीय खिलाड़ियों और अमेरिका सहित विदेशी शक्तियों से सपोर्ट मिला.
  • जैसे-जैसे सरकार विरोधी ताकतों का विस्तार हुआ, सीरिया के सहयोगी ईरान और रूस ने अपना समर्थन बढ़ा दिया. जमीन पर, ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड और उसके लेबनानी सहयोगी हिज्बुल्लाह ने असद की सेनाओं के साथ लड़ाई लड़ी. आसमान में, रूसी विमानों ने सीरिया की एयर फोर्ट का सपोर्ट किया.
  • साल 2014 तक, चरमपंथी समूहों ने प्रभुत्व हासिल कर लिया क्योंकि ISIS ने पूरे देश में अपना दबदबा बना लिया. इसके जवाब में, अमेरिका के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन ने हस्तक्षेप किया, जिसका मकसद सीरियाई शासन से सीधे टकराव किए बिना ISIS को खत्म करने पर था. सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेस (SDF) ने ISIS को हराने और उसके क्षेत्रीय नियंत्रण को खत्म करने में अहम रोल अदा किया.
  • साल 2020 में, रूस और तुर्की ने विपक्ष के कब्जे वाले आखिरी प्रांत इदलिब में युद्धविराम की मध्यस्थता की और एक सेक्योरिटी कॉरिडोर बनाया गया.
  • हालांकि, तब से कोई बड़ी झड़प नहीं हुई है, लेकिन सीरिया की सरकार ने देश पर फुल कंट्रोल हासिल नहीं किया है. इसके साथ ही, अलेप्पो में हाल की घटनाओं से पता चलता है कि अभी मुल्क में सशस्त्र प्रतिरोध जारी है.
     
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