सीरिया में विद्रोहियों ने रविवार (8 दिसंबर) को राष्ट्रपति बशर अल-असद के सत्ता से हटने की घोषणा की. इसके बाद, विद्रोही कमांडर अबू मोहम्मद अल-जोलानी का दमिश्क की ऐतिहासिक उमय्यद मस्जिद में उत्साहित भीड़ ने भव्य स्वागत किया.
मस्जिद के अंदर अपने संबोधन में जोलानी ने इस जीत को "क्षेत्र के लिए एक 'टर्निगं पाइंट' करार दिया. उन्होंने असद पर "सीरिया को ईरानी प्रभाव के अधीन करने" और "सांप्रदायिकता व भ्रष्टाचार फैलाने" का आरोप लगाया. जोलानी, कभी अल कायदा के गुप्त कमांडर के रूप में जाने जाते थे. साल 2016 में इस आतंकवादी संगठन से नाता तोड़ने के बाद जोलानी ने अपनी छवि बदली. उन्होंने अपने गुट का फिर से गठन किया और इसे हयात तहरीर अल-शाम (HTS) का नाम दिया. अब वह उत्तर-पश्चिमी सीरिया में विद्रोही गढ़ के प्रमुख नेता के रूप में उभरे हैं.
HTS के नेतृत्व में विद्रोहियों ने दमिश्क पर कब्जा किया
हयात तहरीर अल-शाम, जिसे पहले नुसरा फ्रंट के नाम से जाना जाता था, के नेतृत्व में विद्रोहियों ने पूरे देश में तेजी से बढ़त बनाई. रविवार को उन्होंने दमिश्क पर कब्जा करते हुए असद की सत्ता के अंत की घोषणा की.
जोलानी पर अमेरिका का $10 मिलियन इनाम अभी भी बरकरार
अबू मोहम्मद अल-जोलानी को अमेरिका ने 2013 में आतंकवादी घोषित किया था. अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, अल कायदा ने उन्हें असद की सरकार गिराने और सीरिया में शरिया कानून लागू करने का कार्य सौंपा था. नुसरा फ्रंट को आत्मघाती हमलों और हिंसक सांप्रदायिक एजेंडे के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था. अमेरिका के रिवॉर्ड्स फॉर जस्टिस कार्यक्रम के तहत, जोलानी की जानकारी देने वाले को $10 मिलियन तक का इनाम देने की पेशकश अब भी जारी है.
जोलानी के उदय से सीरिया में नया अध्याय
जोलानी का यह सफर, एक गुप्त कमांडर से लेकर सीरिया के सबसे प्रभावशाली विद्रोही नेता तक, पूरे क्षेत्र में बदलाव का संकेत देता है. विद्रोहियों की इस जीत ने असद के 13 वर्षों के शासन को समाप्त कर दिया है और सीरिया में एक नया अध्याय शुरू किया है.