रूस और यूक्रेन के बीच में पिछले 6 महीने से भीषण युद्ध जारी है. हजारों मासूमों की मौत हो चुकी है, अर्थव्यवस्था चरमारा गई है और पूरी दुनिया के सामने कई नई चुनौतियां खड़ी हुई हैं. अब इस युद्ध से अभी तक कोई उबरा भी नहीं है, इस बीच एक दूसरे युद्ध की सुगबुगाहट ने पूरे विश्व को फिर चिंता में डाल दिया है. इस समय चीन और ताइवान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है. हालात ऐसे हो गए हैं कि डराने के लिए चीन, ताइवान के आसपास वाले इलाकों में मिसाइल दाग रहा है. धमकियों का दौर शुरू हो चुका है और कब क्या हो जाए, किसी को नहीं पता.
चीन की बौखलाहट के कारण?
अब चीन की ये बौखलाहट समझने के लिए अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे को डीकोड करना जरूरी हो जाता है. कुछ दिन पहले ही नैंसी पेलोसी ताइवान दौरे पर आई थीं. उनके उस दौरे से पहले ही चीन के कान खड़े हो गए थे और वो अमेरिका को चेता रहा था. लगातार कहा जा रहा था कि ताइवान आ चीन की संप्रभुता के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. लेकिन अमेरिका ना झुका और ना नैंसी पेलोसी. ऐसे में नैंसी ने ताइवान का दौरा भी पूरा किया और चीन को बड़ा भी संदेश दिया. इसका नतीजा ये हुआ कि जुबानी जंग में सक्रिय चल रहा चीन अलग राह पर निकल पड़ा.
चीन की गतिविधियों ने शक पैदा किया
ये अलग राह ही इस समय पूरी दुनिया को चिंता में डाल गई है, चीन की नीयत पर सवाल उठाने लगी है. ऐसी खबर आई है कि चीन ने ताइवान के पास में 100 फाइटर जैट उड़ाए हैं. इससे पहले बुधवार को भी 27 लड़ाकू विमान ताइवान के एयर जोन में दाखिल हो गए थे. गुरुवार को एक कदम आगे बढ़कर चीन ने 11 बैलिस्टिक मिसाइल भी ताइवान के आसपास वाले इलाकों पर दाग दीं. इनमें से पांच तो जापान में जाकर लैंड हुईं. चीन की ये गतिविधियां बताने के लिए काफी हैं, जमीन पर सिर्फ तनाव नहीं चल रहा है, बल्कि अब किसी बड़ी रणनीति पर काम शुरू हो गया है. सवाल सिर्फ इतना सा- ये सिर्फ शक्ति प्रदर्शन है या फिर जंग की आहट?
ताइवान को क्या संदेश दे रहा चीन?
पीपल लिब्रेशन आर्मी (PLA) की Naval Research Academy पर काम करने वाले रिसर्चर Zhang Junshe ने चीन के अखबार ग्लोबल टाइम्स को बताया है कि गुरुवार से रविवार तक सेना की बड़े स्तर पर ड्रिल चलने वाली है. इस अभ्यास में चीन द्वारा एक न्यूक्लियर सबमरीन को भी तैनात किया जाएगा. ये भी जानकारी दी गई है कि इस अभ्यास में हिस्सा सभी थिएटर कमांड की सेना लेने वाली हैं. ऐसे में एक बड़े स्तर पर चीन का मिलिट्री अभ्यास देखने को मिलेगा, जिसका संदेश सिर्फ और सिर्फ ताइवान को चेतावनी देना है.
वैसे यहां ये जानना भी जरूरी हो जाता है कि इस समय चीन के दो बड़े एयरक्राफ्ट कैरियर Taiwan Strait के पास मौजूद हैं. एक है Shandong (CV-17) और दूसरा है Liaoning-001. Shandong (CV-17) की बात करें तो ये एक ऐसा एयरक्राफ्ट कैरियर है जो दूसरे शिपों के साथ चलता है. इस कैरियर में भारी मात्रा में विस्फोटक भी मौजूद रहते हैं. ज्यादातर ये कैरियर Type 075 वाले एसॉल्ट शिप के साथ ही देखा जाता है. Liaoning-001 की बात करें तो ये कम से कम 8 वॉरशिप के साथ मिलकर अपना स्ट्राइक ग्रुप बनाता है. इस एयरक्राफ्ट कैरियर का कमीशन 1988 में हुआ था. इसकी लंबाई 304 मीटर है. इस कैरियर पर एक बार में 40 एयरक्राफ्ट ले जाएं जा सकते हैं.
ताइवान झुकेगा नहीं, चीन को नसीहत
ऐसे में चीन ने तो ताइवान को डराने की सारी सामग्री तैयार कर ली है, लेकिन ताइवान अभी झुकने के मूड में नहीं है. वो अपने देश की रक्षा करने की बात भी कर रहा है और चीन को भी सख्त हिदायत देता दिख रहा है. ताइवान के राष्ट्रपति ने एक बयान में कहा है कि चीन इस समय ताइवान के आसपास के इलाकों में मिलिट्री अभ्यास कर रहा है, ऐसे समय में अब बीजिंग से संयम से काम करने की अपील करते हैं. ताइवान इस विवाद को नहीं बढ़ाना चाहता है, लेकिन हर कीमत पर अपनी संप्रभुता, अपने लोकतंत्र की रक्षा करने वाला है.
जंग की आहट या शक्ति प्रदर्शन?
अब ये तमाम गतिविधियां एक गंभीर परिणाम के संकेत जरूर देती हैं, लेकिन चीन की जैसे प्रवृत्ति रही है उसे देखते हुए इसे सीधे युद्ध मान लेना भी सही नहीं होगा. जानकार मानते हैं कि चीन की ये पुरानी रणनीति रही है जहां पर वो डराने वाली राजनीति करता है, दुश्मन देश को पीछे धकेलने के लिए प्रोपोगेंडा वीडियो बनवाता है और जरूरत पड़ने पर किसी देश की सीमा के पास जानबूझकर सेना अभ्यास करता है. डोकलाम विवाद के दौरान भारत के साथ चीन ये पैत्रा आजमा चुका है, ये अलग बात रही कि तब भारत की कूटनीति के सामने उसे झुकना पड़ा. लेकिन अब ऐसा ही पैत्रा वो ताइवान के साथ भी अपना रहा है. डराने और धमकाने के जरिए उसे दबाने का प्रयास है, कितना सफल रहता है, ये समय बताएगा.