भारत के साथ रिश्तों को लेकर नवाज शरीफ की सकरात्मक टिप्पणियों की पृष्ठभूमि में शक्तिशाली सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कियानी ने पाकिस्तान के होने वाले प्रधानमंत्री को इस दिशा में बेहद सतर्कता के साथ धीरे-धीरे कदम उठाने की सलाह दी है.
पीएमएल-एन प्रमुख नवाज शरीफ से लाहौर में उनके भाई शाहबाज शरीफ के घर पर मुलाकात के दौरान कियानी ने रिकार्ड तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने जा रहे शरीफ को यह सुझाव दिया. 11 मई के आम चुनाव में पार्टी की जीत के बाद कियानी ने शरीफ को यह मशविरा दिया है.
सूत्रों के हवाले से आ रही खबर के अनुसार कियानी चाहते हैं कि नयी सरकार भारत के साथ रिश्तों को सुधारने में धीरे-धीरे और बेहद चौकसी के साथ आगे बढ़े क्योंकि केवल इसी से क्षेत्र में स्थायी शांति की ओर बढ़ा जा सकता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि मुलाकात में कियानी ने यह सुनिश्चित किया कि शरीफ पिछले एक दशक के दौरान हुए घटनाक्रमों की पृष्ठभूमि में पाकिस्तान भारत के संबंधों के लिहाज से वास्तविक जमीनी हालात जान लें क्योंकि सत्ता से दूर रहने के कारण शरीफ को इसका सीधा अनुभव नहीं रहा है.
कियानी की नजर में पाकिस्तान और भारत के बीच संबंध प्रधानमंत्री के रूप में शरीफ के पिछले कार्यकाल के बाद से ‘‘पिछले कई सालों में पैदा हुई भू राजनीतिक चुनौतियों को सुलझाने के लिए ‘एक व्यापक रणनीति की मांग करते हैं.' दोनों के बीच इस मुलाकात के संबंध में पीएमएल एन और सेना की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.
चुनाव से पूर्व शरीफ ने भारत के साथ संबंधों को लेकर आश्चर्यजनक रूप से कई सकारात्मक बयान दिए थे जिनके बारे में कुछ पक्षों को लग रहा है कि हो सकता है, ये बयान सेना को नागवार गुजरे हों. पीएमएल एन प्रमुख ने कहा था कि वह 1999 में तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ द्वारा बाधित भारत. पाकिस्तान शांति प्रक्रिया को बहाल करने के इच्छुक हैं. मुशर्रफ ने सैन्य तख्तापलट के जरिए शरीफ को बेदखल कर दिया था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कियानी ने आम चुनाव में पीएमएल एन की सफलता पर बधाई देने के लिए शरीफ से मुलाकात की थी और इस दौरान ‘लगभग सभी राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों पर’ अनौपचारिक वार्ता हुई.
उन्होंने शरीफ को सूचित किया कि नये प्रधानमंत्री तथा उनके मंत्रिमंडल को शपथ ग्रहण के बाद सभी महत्वपूर्ण आंतरिक और बाहरी राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों पर जानकारी दी जाएगी.
कियानी के हवाले से कहा गया, 'सशस्त्र सुरक्षा बल ‘‘पूरी तरह लोकतांत्रिक सरकार के साथ हैं.’ समझा जाता है कि कियानी ने सशस्त्र बलों और सरकार को समान स्तर पर लाए जाने की जरूरत पर बल दिया क्योंकि पाकिस्तान के समक्ष मौजूद चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए ‘राष्ट्र के दो महत्वपूर्ण स्तंभों के बीच समरसता की जरूरत है.’ उन्होंने अफगानिस्तान के हालात तथा इस मुद्दे पर नयी सरकार का इंतजार कर रही चुनौतियों पर भी चर्चा की.
समझा जाता है कि सेना प्रमुख ने कहा कि वर्ष 2014 में अमेरिका और उसके सहयोगी बलों की अफगानिस्तान से वापसी का निश्चित रूप से नयी सरकार पर असर पड़ेगा और पाकिस्तान को इस महत्वपूर्ण घटनाक्रम के लिए पहले से ही तैयार रहना चाहिए, खासतौर से अमेरिका की वापसी के समय उभरने वाले मुद्दों से निपटने में. आतंरिक खतरों के बारे में कियानी ने कहा कि उनके हिसाब से आतंकवाद एक गंभीर मुद्दा है जिसे ‘सभी संघीय इकाइयों के बीच पूर्ण समरसता के साथ सावधानी से निपटाने की जरूरत है.’ उन्होंने कहा कि यह काफी कुछ संघीय सरकार पर निर्भर करेगा कि वह खंडित जानादेश के बावजूद सभी प्रांतों के साथ ठोस संबंध बनाने की दिशा में किस प्रकार आगे बढ़ती है.
कियानी ने इसके साथ ही यह भी कहा कि खबर पख्तूनख्वा, बलूचिस्तान और कराची पर बहुत अधिक ध्यान दिए जाने और सभी स्तरों पर तनाव को कम करने के लिए ईमानदारीपूर्ण प्रयास बेहद जरूरी हैं.
बताया जाता है कि उन्होंने कहा, इसके लिए ठोस प्रयास वक्त की जरूरत है तथा सभी संस्थानों को सभी लंबित मुद्दों को सुलझाने के लिए पूर्ण आपसी समझ को अपनाने की आवश्यकता है.
समझा जाता है कि शरीफ ने सेना प्रमुख को आश्वासन दिया कि पीएमएल एन सरकार देश के समक्ष मौजूदा मुद्दों को सुलझाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ेगी.