तालिबान सरकार ने इकरामुद्दीन कामिल को मुंबई में अफगान मिशन में कार्यवाहक काउंसल के रूप में नियुक्त किया है. अफगान मीडिया के अनुसार, यह भारत में किसी अफगान मिशन के लिए तालिबान द्वारा की गई पहली ऐसी नियुक्ति है.
अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कामिल की इस नियुक्ति की घोषणा की है, जिसे तालिबान के नियंत्रण वाली बख्तर न्यूज़ एजेंसी ने सोमवार को अनाम स्रोतों के हवाले से रिपोर्ट किया. रिपोर्ट में कहा गया है कि "वह वर्तमान में मुंबई में हैं, जहां वह इस्लामी अमीरात का प्रतिनिधित्व करते हुए अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं."
इस नियुक्ति को काबुल द्वारा भारत के साथ राजनयिक संबंधों को मजबूत करने और विदेशों में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है. कामिल ने अंतरराष्ट्रीय कानून में पीएचडी की डिग्री हासिल की है और पहले विदेश मंत्रालय के सुरक्षा सहयोग और सीमा मामलों के विभाग में उप निदेशक के रूप में कार्य किया है. अब उनसे अपेक्षा है कि वे मुंबई में अफगान नागरिकों के लिए काउंसलर सेवाओं को सुगम बनाएंगे और अफगानिस्तान के हितों का भारत में प्रतिनिधित्व करेंगे.
कामिल की यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब भारत के विदेश मंत्रालय के अफगानिस्तान मामलों के प्रमुख ने हाल ही में काबुल में तालिबान के कार्यवाहक रक्षा मंत्री मुल्ला मोहम्मद याकूब के साथ बातचीत की थी. तालिबान के उप विदेश मंत्री शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई ने भी X पर कामिल की नियुक्ति के बारे में पोस्ट किया है.
अफगान मिशनों में तालिबान शासन के आने के बाद से ही भारत में राजनयिक कर्मचारियों की उपस्थिति नगण्य रही है. अधिकतर राजनयिक, जिन्हें अशरफ गनी सरकार ने नियुक्त किया था, भारत छोड़ चुके हैं.
गौरतलब है कि मई में, अफगानिस्तान की वरिष्ठतम राजनयिक ज़किया वारदक ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, जब खबर आई थी कि उन्हें मुंबई हवाई अड्डे पर कथित रूप से 25 किलोग्राम सोना, जिसकी कीमत लगभग 18.6 करोड़ रुपये थी, दुबई से तस्करी करने की कोशिश में पकड़ा गया था. वारदक ने पिछले साल नवंबर में नई दिल्ली में अफगानिस्तान के दूतावास का कार्यभार संभाला था, जहां उनसे पहले तैनात राजदूत फ़रीद ममनज़ई यूके चले गए थे.