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कंधार हाईजैक के मास्टरमाइंड के बेटे को तालिबान ने बनाया अफगानिस्तान का रक्षा मंत्री

अफगानिस्तान में तालिबान ने अपनी नई सरकार का ऐलान कर दिया है. तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर का बेटा मुल्ला याकूब को अफगानिस्तान का नया रक्षा मंत्री बनाया गया है. मुल्ला याकूब उसी मुल्ला उमर का बेटा है जो 1999 में हुए कंधार हाईजैक का मास्टरमाइंड था.

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मुल्ला याकूब (फोटो-गीता मोहन)
मुल्ला याकूब (फोटो-गीता मोहन)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 1999 में हुआ था प्लेन हाईजैक
  • मुल्ला उमर था मास्टरमाइंड

अफगानिस्तान में तालिबान ने अपनी नई सरकार का ऐलान कर दिया है. तालिबान के संस्थापक आतंकी मुल्ला उमर का बेटा मुल्ला याकूब को अफगानिस्तान का नया रक्षा मंत्री बनाया गया है. मुल्ला याकूब उसी मुल्ला उमर का बेटा है जो 1999 में हुए कंधार हाईजैक का मास्टरमाइंड था.

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24 दिसंबर 1999 को पाकिस्तानी आतंकवादियों ने इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 को जैश-ए-मोहम्मद के सरगना आतंकी मसूद अजहर, अल उमर मुजाहिदीन का नेता मुश्ताक अहमद जरगर और अलकायदा नेता अहमद उमर सईद शेख की रिहाई के लिए हाईजैक कर लिया गया था. नेपाल की राजधानी काठमांडू से उड़े इस विमान को आतंकी अफगानिस्तान के कंधार में ले गए थे. तब कंधार में तालिबान का राज था. ये तीनों आतंकी भारतीय जेल में बंद थे. इस फ्लाइट में 176 यात्री सवार थे, जिन्हें हाईजैकर्स ने 7 दिनों तक बंधक बनाए रखा था. 

ऐसा माना जाता है कि इस हाईजैकिंग ऑपरेशन को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद से अंजाम दिया गया था. मुल्ला उमर इस ऑपरेशन का मास्टरमाइंड था. जब विमान कंधार पर पहुंचा तो तालिबानी आतंकियों ने विमान को चारों ओर से टैंकों से घेर लिया था. जब भारत ने हाईजैकरों से निपटने के लिए सैन्य कार्रवाई करनी चाही तो तालिबान और मुल्ला उमर ने अनुमति नहीं दी. अब इसी मुल्ला उमर का बेटा मुल्ला मोहम्मद याकूब अफगानिस्तान का रक्षा मंत्री होगा. 

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मुल्ला याकूब के अलावा सिराजुद्दीन हक्कानी, जिसे अफगानिस्तान का गृह मंत्री बनाया गया है, वो भी खतरनाक आतंकी है. सिराजुद्दीन हक्कानी, हक्कानी नेटवर्क का सरगना है, जिसे पाकिस्तान समर्थन करता है. सिराजुद्दीन हक्कानी और मुल्ला याकूब, दोनों चाहते थे कि अफगानिस्तान में ऐसी सरकार बने जिसका सैन्य दृष्टिकोण हो और उसका नेता सेना के साथ रहे. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मुल्ला याकूब तालिबान का नेता बनने की इच्छा रखता है. 

वहीं, भले ही हक्कानी नेटवर्क तालिबान के साथ जुड़ गया है, लेकिन वो अब भी एक स्वतंत्र समूह बना हुआ है. अगर हक्कानी नेटवर्क तालिबान सरकार में सत्ता हासिल करता है तो पाकिस्तान अपने फायदे के लिए इसका इस्तेमाल कर सकता है और वहां भारत के प्रभाव को भी कम कर सकता है. हक्कानी नेटवर्क पहले भी काबुल में भारतीय दूतावासों को निशाना बना चुका है.

 

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