scorecardresearch
 

Taliban Victory Day: तालिबान ने मनाया विक्ट्री डे, सोवियत यूनियन ने 27वें रोजे पर छोड़ा था अफगानिस्तान

Taliban Victory Day: सोवियत यूनियन (वर्तमान रूस) की सेना 1989 में 27वें रमजान के दिन अफगानिस्तान छोड़कर चली गई थी. उस दिन की याद में ही तालिबान हर साल विक्ट्री डे मनाता है. इसे 'युवी फतेह' कहा जाता है.

Advertisement
X
अफगान डिप्टी पीएम मौलवी हनफी (दाएं) और तालिबान के प्रतिनिधि अनस हक्कानी
अफगान डिप्टी पीएम मौलवी हनफी (दाएं) और तालिबान के प्रतिनिधि अनस हक्कानी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • गृहमंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी ने लाइव टीवी पर किया संबोधन
  • हक्कानी ने कहा- 40 साल में 20 लाख से ज्यादा लोगों ने कुर्बानी दी

अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने गुरुवार को 'युवी फतेह' यानी विक्ट्री डे मनाया. दरअसल, 1989 में 27वें रमजान के दिन सोवियत यूनियन की फौज अफगानिस्तान छोड़कर चली गई थी. उस दिन की याद में ही तालिबान विक्ट्री डे मनाता है. तालिबान ने सत्ता में आते ही विक्ट्री डे पर बड़ा आयोजन किया.

Advertisement

तालिबान सरकार की तरफ से विक्ट्री डे पर काबुल में एक समारोह हुआ. इसमें तालिबान के सभी नेता शामिल हुए. खास बात यह रही की समारोह में पहली बार अफगानिस्तान के गृहमंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी लाइव टेलीविजन पर सामने आए. हक्कानी ने एक बार फिर अफगानिस्तान के विपक्षी नेताओं से सरकार के साथ हाथ मिलाने की अपील की.

सिराजुद्दीन हक्कानी ने कहा कि अफगानिस्तान में पिछले 40 साल के दौरान 20 लाख से भी ज्यादा लोगों ने अपनी कुर्बानी दी है. लेकिन इसके बाद भी विश्व की 2 बड़ी ताकतें (सोवियत यूनियन और अमेरिका) अफगानिस्तान छोड़ने पर मजबूर हो गईं. अफगानिस्तान की यह कुर्बानियां अफगानिस्तान में इस्लामी निजाम कायम करने के लिए दी गईं. फिलहाल अफगानिस्तान में तालिबान अपने मिशन में कामयाब हो गया है. अब अफगानिस्तान में हुक्म-ए-इलाही की ही सरकार चलेगी.

Advertisement

कम नहीं हो रहीं धमाकों की घटनाएं

बता दें कि अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता कायम होने के बाद भी पूरी तरह से शांति कायम नहीं हो सकी है. वहां कुछ दिनों के अंतर से बम धमाकों की घटनाएं सामने आती रहती हैं. उत्तरी अफगानिस्तान में एक दिन पहले 28 अप्रैल को कुछ ही मिनटों के अंदर 2 बम धमाकों में 9 लोगों की मौत हो गई और 13 अन्य घायल हो गए. तालिबान के पुलिस प्रमुख के प्रवक्ता मोहम्मद आसिफ वजीरी ने बताया कि बल्ख प्रांत की राजधानी मजार-ए-शरीफ में दो अलग-अलग धमाके हुए.

स्थानीय निवासियों ने सुरक्षा के डर से नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बम धमाके का लक्ष्य शिया अल्पसंख्यक हजारा जातीय समूह के सदस्य थे. अफगानिस्तान में घातक बम विस्फोटों की श्रृंखला में यह नया हमला है. पिछले हफ्ते, एक मस्जिद और एक धार्मिक भवन स्कूल में बम फटने से 33 शिया मुस्लिम मारे गए थे. पिछले दिनों भी एक मस्जिद में जोरदार धमाका हुआ था. जिसमें कम से कम 5 लोगों की मौत हो गई और 65 लोग घायल हो गए थे.

Advertisement
Advertisement