पाकिस्तानी तालिबान के नए मुखिया मुल्ला फजलुल्ला को वहां के अखबारों ने कसाई और निर्मम हत्यारे की उपाधियों से नवाजा है. उसने शिक्षा, पोलियो वगैरह के खिलाफ जबर्दस्त मुहिम छेड़ी थी और सैकड़ों स्कूल जलवा दिए थे. मलाला युसुफजई पर उसने ही हमला करवाया था. उसे मुल्ला रेडियो भी कहा जाता है क्योंकि वह रेडियो पर सरकार के खिलाफ जहर उगलता था.
पाकिस्तानी तालिबान के पिछले मुखिया हकीमुल्ला महसूद के अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे जाने के बाद उसे ही मुखिया बनाया गया है. एक पाकिस्तानी अखबार ने उसे स्वाट घाटी का हत्यारा बताया है तो दूसरे ने उसे बूचर कहा है.
तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) ने फजलुल्ला के डिप्टी के तौर पर शेख खालिद हक्कानी को चुना है. इन दोनों ने आते ही सरकार के साथ शांति वार्ता की पेशकश ठुकरा दी. महसूद सरकार से बातचीत करना चाहता था लेकिन नई टीम बातचीत के सख्त खिलाफ है. टीटीपी के एक प्रवक्ता ने कहा कि इस सरकार के पास कोई अधिकार नहीं है और यह एक संप्रभु सरकार भी नहीं है, यह अमेरिका की गुलाम सरकार है. इसलिए इससे बातचीत करना समय की बर्बादी है.
टीटीपी पाकिस्तान के कई कट्टरपंथी संगठनों का मिलाजुला संगठन है. इसने 2007 के बाद से हजारों फौजियों, पुलिसकर्मियों, नागरिक और शांतिवार्ताकारों को मारा है. स्वात घाटी में इस संगठन का ऐसा दबदबा था कि लोग उसके नाम से कांपते थे. उसके पीछे मुल्ला फजलुल्ला का हाथ बताया जाता है. वह इतना क्रूर और निर्मम है कि उसके समय में स्वात घाटी में हर रोज लोगों को मारकर चौराहों पर टांग दिया जाता था. कोड़े मारने की सजा तो आम थी. वह इस्लाम की सबसे कट्टर विचारधारा मानने वाला तालिबानी है.
2009 में तंग आकर पाकिस्तानी सरकार ने स्वात घाटी, जिसे कभी पाकिस्तान का स्विटजरलैंड कहा जाता था, में फौजी कारर्वाई की जिसके बाद फजलुल्ला को भागना पड़ा. लेकिन इसके बाद भी उसकी क्रूरता जारी रही और 2012 में उसने पकड़े गए 17 पाकिस्तानी फौ़जियों के सिर कलम करवा दिया था. उसने यह भी दावा किया था कि उसने एक पाकिस्तानी मेजर जनरल को बम से उड़वा दिया था.
उसने एक वीडियो जारी करके कहा कि पाकिस्तान में शरिया कानून लागू करवाने के लिए जो हो सकेगा वह करेगा. इसके रास्ते में आने वाले हर किसी को मार डाला जाएगा चाहे वह पिता या भाई अथवा फौजी या पुलिसकर्मी या फिर मौलवी ही क्यों न हो.
फजलुल्ला अभी 39 साल का है. उसका जन्म स्वात के फज़ल हयात में हुआ था. उसने एक मदरसे में पढ़ाई की और बाद में वह जलावन की लकड़ियां बेचकर गुजारा करता था. उसने अपने ससुर के कहने पर तहरीक-ए-शरीयत-ए-मुहम्मदी ज्वॉइन कर लिया. यह संगठन शरिया कानून लागू करवाने के लिए आंदोलन चला रहा था. 2001 में उसने अमेरिका के खिलाफ अफगानिस्तान में लड़ाई लड़ी. 2007 में उसने अपने साथियों के साथ स्वात घाटी में कब्जा करके वहां भयंकर अत्याचार किए. वहां के मुख्य चौराहे ग्रीन स्कवायर को खूनी चौराहे में बदल दिया. हर रोज वहां लोगों की गर्दन काटी जाती थी या गोली मारकर लटकाया जाता था.
फजलुल्ला पर पांच लाख डॉलर का इनाम है. उसका असली नाम फज़ल हयात है. वह अमेरिका से बेपनाह नफरत करता है क्योंकि उसका भाई फज़ल वाहिद मदरसे में पढ़ रहे छात्रों के साथ एक ड्रोन हमले में मारा गया था.