पाकिस्तान देश में सक्रिय प्रतिबंधित चरमपंथी संगठन तहरीक-ए-तालिबान (TTP) को अफगान तालिबान की परीक्षा के रूप में देख रहा है. पाकिस्तान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि अगर अफगान तालिबान की अंतरिम सरकार TTP से निपट लेती है तो अन्य आतंकवादी समूहों से निपटने को लेकर दुनिया में उसकी साख स्ठापित होगी.
घटनाक्रम से परिचित एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर पाकिस्तान के अंग्रेजी एक्सप्रेस ट्रिब्यून को बताया, 'हम तालिबान नेतृत्व से कह रहे हैं कि वो TTP को अपना टेस्ट केस मानें. अगर तालिबान पाकिस्तान की इन चिंताओं को दूर नहीं कर सकता है तो उन पर अल कायदा और ऐसे अन्य समूहों से संबंध खत्म करने के उनके वादे पर कौन भरोसा करेगा?'
पाकिस्तान और तालिबान की अंतरिम सरकार के बीच घनिष्ठ संबंध हैं. तालिबान की सरकार भी पाकिस्तान से हर तरह की मदद की अपेक्षा करती है.
इस बात को लेकर पाकिस्तान के अधिकारी ने कहा, 'अगर तालिबान पाकिस्तान की चिंताओं को ध्यान में रखने में असफल रहता है तो यह अफगान तालिबान के लिए हानिकारक होगा. वैश्विक समुदाय, विशेष रूप से पश्चिम के देश पूछेंगे कि तालिबान पाकिस्तान तक की चिंताओं को दूर नहीं कर पाया तो वे दूसरे देशों की आतंकवाद से जुड़ी चिंताओं को कैसे दूर करेगा?'
पाकिस्तान की तरफ से ये बात ऐसे समय में सामने आई है जब अफगानिस्तान की तालिबान सरकार TTP के मुद्दे को सुलझाने को कोई खास सफलता हासिल नहीं कर पाई है. पाकिस्तान का अखबार लिखता है कि ये बात पाकिस्तान से तालिबान सरकार के संबंध कमजोर कर सकती है.
पाकिस्तान शुरू से ही अफगानिस्तान की तालिबान सरकार का हिमायती रहा है. पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अफगानिस्तान के लिए न केवल मानवीय सहायता मांग रहा है बल्कि युद्धग्रस्त अफगानिस्तान को अकेले नहीं छोड़ने का भी आग्रह करता रहा है.
पाकिस्तान ने कुछ समय पहले ही अफगानिस्तान के मसले पर OIC (Oragnisation Islamic Cooperation) की मीटिंग बुलाई थी. इस मीटिंग में तालिबान सरकार के लिए अंतर्राष्ट्रीय समर्थन जुटाने पर चर्चा की गई थी. इन सब के बदले में पाकिस्तान सरकार को उम्मीद है कि तालिबान सरकार प्रतिबंधत TTP से उसे छुटकारा दिलाएगी.
अगस्त 2021 में जब तालिबान सत्ता में आया तब पाकिस्तान ने TTP के खिलाफ कार्रवाई को लेकर तालिबान सरकार को एक लिस्ट सौंपी थी. तालिबान को TTP के मोस्ट वांटेज आतंकवादियों की लिस्ट भी दी गई थी.
लेकिन तालिबान के कोई कार्रवाई करने के बजाए पाकिस्तान से कहा था कि वो TTP से शांति समझौता करे. पाकिस्तान इस बात पर राजी हो गया और TTP से कई दौर की बातचीत की गई. नवंबर 2021 में दोनों पक्षों के बीच युद्धविराम समझौता हुआ.
पिछले हफ्ते एक संवाददाता सम्मेलन में पाकिस्तान के मुख्य सैन्य प्रवक्ता महानिदेशक इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार ने पहली बार सार्वजनिक रूप से खुलासा किया कि पाकिस्तान ने TTP के साथ युद्धविराम क्यों किया.
पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता के अनुसार, अंतरिम तालिबान सरकार ने विश्वास बहाली के उपाय के रूप में TTP के साथ संघर्ष विराम की बात की. हालांकि, महीने भर से चले आ रहे युद्धविराम को 9 दिसंबर को खत्म कर दिया गया है और आगे कोई प्रगति नहीं हुई है.
जनरल बाबर ने कहा कि बातचीत अब रुकी हुई है क्योंकि TTP द्वारा रखी गई कुछ शर्तों को पाकिस्तान सरकार नहीं मान सकती. उन्होंने शर्तों का ब्योरा नहीं दिया, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि TTP अपने वरिष्ठ कमांडरों की रिहाई, किसी दूसरे देश में एक राजनीतिक कार्यालय की स्थापना, FATA विलय को खत्म करने और देश में शरिया कानून लाने की मांग कर रहा है.
मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार ने बताया कि TTP के खिलाफ प्रतिदिन अभियान चलाया जा रहा है और उनके खिलाफ लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक कि उनका खतरा पूरी तरह से समाप्त नहीं हो जाता.
उनके बयान से स्पष्ट है कि पाकिस्तान को कम से कम निकट भविष्य में TTP के साथ बातचीत या शांति समझौते की किसी भी संभावना की उम्मीद नहीं है.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया है कि पाकिस्तान TTP के मुद्दे पर तालिबान सरकार से बात कर रहा है. एक अन्य अधिकारी ने कहा, 'यह एक जटिल प्रक्रिया है. अफगान तालिबान चाहता है कि TTP अब पाकिस्तान के खिलाफ अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल न करे लेकिन वे उसके खिलाफ कार्रवाई करने को तैयार नहीं हैं.'