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अफगान लोगों का भरोसा जीतने के लिए बोला तालिबान- हमने सुपरपावर को हरा दिया तो...

हक्कानी ने एक चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा है कि तालिबान देश की सुरक्षा-व्यवस्था बहाल करने की कोशिश कर रहा है, जिसने पिछले चार दशकों से युद्ध देखे हैं. अफगान लोगों में भरोसा कायम करने के मकसद से हक्कानी ने ये भी कहा कि अगर हम सुपरपावर को हरा सकते हैं तो निश्चित तौर पर अफगान लोगों को सुरक्षा भी दे सकते हैं.

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फोटो-PTI
फोटो-PTI
स्टोरी हाइलाइट्स
  • तालिबान के डर से अफगानिस्तान छोड़ रहे हैं वहां के लोग
  • लोगों में भरोसा कायम करने की लगातार कोशिश कर रहा तालिबान

काबुल पर कब्जा जमाने के बाद तालिबान अब अफगानिस्तान में सरकार बनाने की तैयारी कर रहा है. इसके साथ ही वो अपनी दागदार छवि को सुधारने के प्रयास भी करता दिखाई दे रहा है. लगातार तालिबान की तरफ से ऐसे बयान दिए जा रहे हैं, जो उसके किरदार से बिल्कुल अलग हैं. तालिबान सबकी सुरक्षा की बात कर रहा है, महिलाओं के हक की बात कर रहा है. इसी कड़ी में तालिबान की तरफ से सुरक्षा इंचार्ज की जिम्मेदारी संभाल रहे खलील-उर रहमान हक्कानी का बयान आया है. 

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हक्कानी ने एक चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा है कि तालिबान देश की सुरक्षा-व्यवस्था बहाल करने की कोशिश कर रहा है, जिसने पिछले चार दशकों से युद्ध देखे हैं. अफगान लोगों में भरोसा कायम करने के मकसद से हक्कानी ने ये भी कहा कि अगर हम सुपरपावर को हरा सकते हैं तो निश्चित तौर पर अफगान लोगों को सुरक्षा भी दे सकते हैं. 

कहीं पे निगाहें-कहीं पे निशाना

तालिबान के सुरक्षा इंचार्ज का ये बयान काफी अहम है. इसे अमेरिका के लिए एक कड़े संदेश के तौर पर तो देखा ही जा रहा है, साथ ही अफगान लोगों में भरोसा कायम करने वाला भी माना जा रहा है. हक्कानी ने अपने इस बयान में ये भी कहा है कि एक सुपरपावर थी, जो हमें बांटने के लिए बाहर से आई थी, उन्होंने हम पर युद्ध थोपा. हमारी किसी से कोई दुश्मनी नहीं है, हम सब अफगान हैं.

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तालिबान के लड़ाके (फोटो-PTI)

तालिबान के सिक्योरिटी इंचार्ज ने साफ कहा कि अमेरिका हमारे मुल्क में हमें बांटने आया था, उसकी वजह से हालात लड़ाई तक पहुंचे, हमने उसे हरा दिया है और अब हम सब एक हैं, हम अफगान लोगों की सुरक्षा करेंगे. 

क्यों दिया गया ये बयान

तालिबान के इस तरह के रुख के पीछे दरअसल वो तस्वीरें हैं जो अफगानिस्तान से हर दिन सामने आ रही हैं. कंधार और मज़ार-ए शरीफ जैसे इलाकों पर कब्जा करते हुए तालिबान जैसे-जैसे काबुल की तरफ बढ़ रहा था, लोगों ने वहां से पलायन शुरू कर दिया था. उनकी तरफ से डर वाले बयान आ रहे थे. लोग तालिबान राज से खौफजदा थे, और देश छोड़ रहे थे. 15 अगस्त को जैसे ही काबुल पर तालिबान ने कब्जा किया, उसके बाद तो अफगान लोगों ने विमान के पहियों तक पर चढ़कर सरहद पार करने की कोशिश की.

बता दें कि अमेरिका और भारत समेत कई अन्य मुल्क अपने लोगों को वापस ले जा रहे हैं, साथ ही अफगान नागरिकों को भी शरण दी जा रही है.

इसके अलावा अफगानिस्तान से जुड़े बुद्धिजीवी लोग भी लगातार अपने बयानों में तालिबान राज की आलोचना कर रहे हैं. वो लोग तालिबान के ये वादे मानने को राजी ही नहीं हैं, कि तालिबान राज में महिलाओं से क्रूरता नहीं होगी, नियम थोपे नहीं जाएंगे. यही वजह है कि आज भी काबुल एयरपोर्ट समेत अन्य कई सीमाई इलाकों पर अफगान लोग अपना सबकुछ छोड़कर जाने को उतारू बैठे हैं. वो तालिबान पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं. 

शायद यही वजह है कि एक बार तालिबान की तरफ से अफगान लोगों को सुरक्षा देने का वादा किया गया है. साथ ही उसने सुपरपावर को हराने का दंभ भरते हुए अफगान लोगों को अपनी ताकत बताने का भी प्रयास किया है, ताकि लोग तालिबान की हुकूमत में रहें. 

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