अफगानिस्तान पर कब्जे के करीब एक साल बाद तालिबान और ISIS खुरासान एक बार फिर आमने सामने आ गए हैं. दरअसल, तालिबान के आतंकी रहीमुल्ला हक्कानी की काबुल में हुए एक बम विस्फोट में मौत हो गई. इस हत्या की जिम्मेदारी ISIS खुरासान ने ली है. रहीमुल्ला हक्कानी को आत्मघाती हमलों का गॉडफादर कहा जाता था. हक्कानी काबुल के मदरसे में था, तभी ये विस्फोट हुआ. तालिबान ने रहीमुल्ला हक्कानी की मौत की पुष्टि की है. रहीमुल्ला हक्कानी तालिबानी गृहमंत्री शिराजुद्दीन हक्कानी का गुरु माना जाता था.
माना जा रहा है कि रहीमुल्ला हक्कानी की मौत के बाद अफगानिस्तान में तालिबान और ISIS खुरासान के बीच संघर्ष तेज हो सकता है. रहीमुल्ला तालिबान का प्रबल समर्थक था. वह लंबे वक्त तक पाकिस्तान में रहा. वह तालिबान को आईएसआईएस के खिलाफ संघर्ष के लिए प्रेरित करता था. रहीमुल्ला ने हाल ही में लड़कियों को स्कूल भेजे जाने की तरफदारी की थी.
रहीमुल्ला हक्कानी पर पहले भी हमले होते रहे हैं. इससे पहले उस पर 2020 में पाकिस्तान के पेशावर में हमला हुआ था. इस हमले में वह बच गया था. हालांकि, 7 लोगों की मौत हो गई थी. इस हमले की जिम्मेदारी भी आईएसआईएस ने ली थी.
तालिबान की ओर से बताया गया है कि इस हमले को ऐसे शख्स ने अंजाम दिया, जो अपने पैर पहले ही किसी हादसे में गंवा चुका था. उसने हमले के वक्त नकली पैर लगाए हुए थे. उसकी पहचान के लिए जांच शुरू हो गई है.
काबुल एयरपोर्ट पर किया था हमला
यह पहला मौका नहीं है, जब ISIS खुरासान चर्चा में है. इससे पहले जब अफगानिस्तान पर पिछले साल तालिबान ने कब्जा किया था और वहां से अमेरिका समेत तमाम देशों के नागरिक बाहर निकल रहे थे, तब काबुल एयरपोर्ट के पास धमाके हुए थे. इसमें 13 अमेरिकी कमांडों समेत 103 लोगों की मौत हो गई थी. इस हमले के पीछे भी ISIS खुरासान का ही हाथ था.
क्या है ISIS खुरासान?
ISIS खुरासान, ISIS का ही हिस्सा है, जिसे अफगानिस्तान-पाकिस्तान के आतंकवादी चलाते हैं. इसका मुख्यालय अफगानिस्तान के ही नांगरहार राज्य में है जो पाकिस्तान के बेहद नजदीक है. तालिबानी कमांडर मुल्ला उमर की मौत के बाद तालिबान के बहुत से खूंखार आतंकवादी ISIS खुरासान में शामिल हो गए. इस तरह ये तालिबान से ही निकला ग्रुप कहा जा सकता है.
ISIS खुरासान का मकसद खुरासान राज्य की स्थापना करना है. खुरासान फारसी शब्द है, जिसका मतलब होता है, जहां से सूरज उगता है. तीसरी-चौथी सदी में अरब से निकले लोग आज के ईरान पहुंचे और जहां वो आबाद हुए उसका नाम खुरासान पड़ा. इसका दायरा बढ़ता गया और वो एक बड़ी शक्ति के रूप में उभरा.
बाद में बगदादी की नजर खुरासान पर पड़ी और उसने आतंक का खुरासान नक्शा तैयार किया. इस्लामिक स्टेट ऑफ खुरासान के नक्शे में भारत का गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और जम्मू कश्मीर भी आता है. वहीं इसमें आधा चीन, पाकिस्तान, ईरान, तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान भी आता है.
तालिबान और ISIS-K एक दूसरे के दुश्मन
तालिबान और ISIS-K एक दूसरे के दुश्मन हैं. तालिबान का प्रभाव अफगानिस्तान में है. वहीं ISIS-K भी अफगानिस्तान से फैलकर बगदादी के खुरासान स्टेट के सपने को पूरा करना चाहता है. ISIS-K तालिबान की तरह किसी राजनीतिक एजेंडा में यकीन नहीं रखता. उसका मानना है कि तालिबान जो कर रहा है काफी नहीं है, इसलिए वो तालिबान से भी ज्यादा कट्टर और खूंखार है.
अफगानिस्तान में अपने कब्जे वाले इलाकों में खुरासान ने कड़ाई से शरिया कानून लागू कर रखा है. जो कानून को मानने से इनकार करता है, या फिर उसकी नजर में उसका उल्लंघन करता है तो ISIS-K उसे बहुत ही क्रूर सजा देता है. यही बात ISIS-K को तालिबान से भी ज्यादा खतरनाक आतंकवादी संगठन बनाता है. उसका मकसद सारी दुनिया में इस्लाम का राज कायम करना है.