पाकिस्तानी तालिबान से अलग हुए धड़े ने मलाला यूसुफजई को 'काफिरों का एजेंट' करार देते हुए उन्हें शांति के लिए 2014 का नोबेल पुरस्कार दिए जाने की आलोचना की है. इसी संगठन के आतंकियों ने दो साल पहले मलाला को गोली मारी थी.
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) से अगस्त में अलग हुए जमात-उल-अहरार ने शुक्रवार रात माइक्रोब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर पोस्ट किया कि मलाला को दुष्प्रचार के लिए नास्तिक इस्तेमाल कर रहे हैं.
उग्रवादी संगठन के प्रवक्ता एहसानुल्ला एहसान ने ट्विट किया, 'मलाला बंदूकों और सशस्त्र संघर्ष के बारे में बहुत-कुछ कहती हैं, लेकिन यह नहीं जानती कि उसे जो नोबेल पुरस्कार मिला है, वह विस्फोटकों का आविष्कार करने वाले के नाम पर दिया जाता है.'
जमात-उर-अहरार सुरक्षा बलों पर कई हमलों में शामिल उमर खालिद खुरासैनी द्वारा नियंत्रित है. अभी तक मलाला (17) को पुरस्कार दिए जाने पर भगोड़े उग्रवादी मुल्ला फजल उल्लाह नीत TTP ने कोई प्रतिक्रिया नहीं की है.