उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि चिर प्रतीक्षित तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत (तापी) गैस पाइपलाइन परियोजना से दक्षिण और मध्य एशिया की अर्थव्यवस्था के एकीकरण में मदद मिलेगी. उन्होंने परियोजना में भारत के रचनात्मक और सहयोगात्मक योगदान का वादा किया. शहर में परियोजना के शिलान्यास कार्यक्रम में अंसारी ने कहा, 'आर्थिक रूप से एकीकृत दक्षिण और मध्य एशिया का विचार एक ऐसा विचार है, जिसका समय आ गया है.'
TAPI is much more than a gas pipeline project for our countries-Vice Pres Hamid Ansari at groundbreaking ceremony pic.twitter.com/LcIxZrjNI7
— ANI (@ANI_news) December 13, 2015
एक-दूसरे से जुड़ने की भावना का प्रतीक
अंसारी के अलावा इस अवसर पर तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति गुरबांगुली बर्दिमुहमदोव, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी मौजूद थे. उन्होंने कहा कि परियोजना सिर्फ एक गैस पाइपलाइन परियोजना नहीं है, बल्कि यह चारों संबंधित देशों की आपस में एक-दूसरे से जुड़ने की भावना का प्रतीक है. अंसारी ने कहा, 'हम अपनी साझी भौगोलिक विरासत को फिर से स्थापित करना चाह रहे हैं और आपसी संवाद की समृद्ध और सदियों पुरानी विरासत में फिर से नवीन ऊर्जा का संचार कर रहे हैं. तापी की शुरुआत बंगाल की खाड़ी से कैस्पियन सागर तक समूचे क्षेत्र के आर्थिक एकीकरण की दिशा में पहला कदम भी है.'
...that Afghanistan, Pakistan & India will all have positive carbon footprint. Congratulations on moving the first goal point! -Ashraf Ghani
— ANI (@ANI_news) December 13, 2015
साझा इतिहास लिखे गए
अंसारी ने कहा कि शिलान्यास समारोह का आयोजन ऐतिहासिक रेशम मार्ग शहर मैरी में पूरी तरह उचित है. इस शहर को पहले मर्व के नाम से जाना जाता था. अंसारी ने कहा, 'सदियों पहले माल लेकर गुजरने वाले कारवां यहां विश्राम करने के लिए रुकते थे और इस तरह पीढ़ी-दर-पीढ़ी परस्पर लाभकारी आदान-प्रदान की संस्कृति का विकास हुआ. इस जगह पर विभिन्न विचारों, और सोच का संगम हुआ और साझा इतिहास लिखे गए.'
It is historic because Paris agreement on climate is just been concluded & this project will ensure...:Ashraf Ghani pic.twitter.com/OjQFXgApMM
— ANI (@ANI_news) December 13, 2015
अंसारी ने कहा कि तापी परियोजना से संबंधित मुद्दों को सुलझाने में भारत रचनात्मक और सहयोगात्मक योगदान करेगा. अंसारी ने कहा, 'साझा भविष्य और साझी समृद्धि के लिए प्रतिबद्धता जताते हुए हम साम्राज्यवादी प्रभाव से आगे बढ़ रहे हैं, जिसने अब तक हमारे लोगों तथा इस क्षेत्र को संपूर्ण संभावना हासिल करने से रोक रखा था. तापी इस अध्याय को पीछे छोड़ने और विश्वास के साथ भविष्य में कदम बढ़ाने की हमारी चाहत का प्रतीक है.'
परियोजना निर्माण तीन साल में पूरी हो जाने की उम्मीद
तापी की सोच 1990 के दशक में सामने आई थी और पहले तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान तथा पाकिस्तान ने 2002 में इस्लामाबाद बैठक में इसके लिए प्रारूप समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. इसके लिए प्रारंभिक व्यवहार्यता अध्ययन एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने कराया था. भारत ने एडीबी से 2006 में इस परियोजना से आधिकारिक सदस्य के तौर पर जुड़ने का आग्रह किया और 2008 में 10वीं संचालन समिति की बैठक में परियोजना का स्थायी सदस्य बन गया. परियोजना निर्माण तीन साल में पूरी हो जाने की उम्मीद है, जो 30 साल तक कार्यरत रह सकती है. इस पाइपलाइन से सालाना 33 अरब घन मीटर गैस आपूर्ति की जाने की उम्मीद है.