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पाकिस्तान: अशांत कुर्रम में  बढ़ा तनाव, तेल टैंकरों के काफिले पर अज्ञात हथियारबंद लोगों ने किया हमला

पाकिस्तान के कुर्रम जिलें में सोमवार को बंदूकधारियों ने बगन क्षेत्र में काफिले पर गोलीबारी की. हालांकि, इस घटना में कोई नुकसान नहीं हुआ है और तेल वाहन जिले के अलीजई क्षेत्र में पहुंच गए. अधिकारियों के अनुसार, तीन काफिले थल क्षेत्र से भोजन और अन्य आवश्यक चीजें लेकर हांगु जिले से कुर्रम जा रहे थे. पहले काफिले में 62 वाहन थे, जबकि दूसरे में 58 बड़े मालवाहक ट्रक शामिल थे.

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सांकेतिक फोटो. (photo Source @Meta)
सांकेतिक फोटो. (photo Source @Meta)

उत्तर पश्चिम पाकिस्तान के अशांत क्षेत्र में तेल टैंकरों के काफिले पर अज्ञात हथियारबंद लोगों ने हमला किया, जिससे कुर्रम जिले में डीजल और पेट्रोल की आपूर्ति बाधित करने की कोशिश की. पुलिस ने बताया कि बंदूकधारियों ने सोमवार को बगन क्षेत्र में काफिले पर गोलीबारी की. हालांकि, इस घटना में कोई नुकसान नहीं हुआ है और तेल वाहन जिले के अलीजई क्षेत्र में पहुंच गए.

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पुलिस ने बताया कि जब काफिला पुलिस और सुरक्षाबलों के नेतृत्व में बागान बाजार पहुंचा तो अपराधियों ने नजदीकी तालु कुंज इलाके में भारी गोलीबारी शुरू कर दी.

अधिकारियों के अनुसार, तीन काफिले थल क्षेत्र से भोजन और अन्य आवश्यक चीजें लेकर हांगु जिले से कुर्रम जा रहे थे. पहले काफिले में 62 वाहन थे, जबकि दूसरे में 58 बड़े मालवाहक ट्रक शामिल थे.

अधिकारियों ने कहा कि पांच टैंकरों समेत तीसरे काफिले ने मार्ग बंद होने के बाद पहली बार सोमवार को कुर्रम तक सफलतापूर्वक पेट्रोलियम उत्पादों की डिलीवरी की. शांति जिरगा के सदस्यों ने कहा कि वह हाल ही में हुए शांति समझौते के उल्लंघनों, विशेष रूप से बगन में तेल टैंकरों पर गोलीबारी पर चर्चा करेंगे. और समस्या प्रकृति के खिलाफ कार्रवाई के बारे में फैसला लेंगे.

'शांति जिरगा बैठक में उठाएंगे मुद्दा'

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क्षेत्रीय प्रांतीय विधानसभा के सदस्य अली हादी इरफानी ने हमले की निंदा करते हुए कहा कि निहित स्वार्थ कुर्रम में अशांति पैदा करने पर उतारू हैं. इरफानी ने कहा कि वह मंगलवार को शांति जिरगा की बैठक में इस मुद्दे को उठाएंगे और जिरगा और सरकार से शांति समझौते के बार-बार उल्लंघनों के संबंध में अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने की सिफारिश करेंगे.

शिया और सुन्नी जनजातियों के बीच सांप्रदायिक झड़पों में पिछले साल नवंबर से कम से कम 130 लोगों की जान चली गई है, जबकि इस इलाके में हफ्तों तक सड़क नाकाबंदी के कारण खाना और दवा की कमी की सूचना मिली है. एक जनवरी को लडाकाई जनजातियों के बीच एक शांति समझौता हुआ, लेकिन पाराचिनार को जोड़ने वाले मार्ग बंद रहेंगे.

शांति समझौते के तहत निवासियों ने अपने हथियार विभिन्न चरणों में राज्य को 15 दिनों के अंदर समर्पण करने का वादा किया, जबकि स्थानीय बंकरों को फरवरी 2025 तक हटाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. हालांकि, जनवरी में कुर्रम जिले में आपूर्ति काफिलों पर बार-बार हमले हुए, जिसके परिणामस्वरूप कई लोग हताहत हुए. पिछले 119 दिनों से पाराचिनार, ऊपरी कुर्रम, घेराबंदी में हैं, जिसमें आवश्यक आपूर्तियों की कमी के कारण लोग मर रहे हैं.

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