पाकिस्तान सरकार के साथ हुए अनिश्चितकालीन संघर्षविराम को खत्म करने के बाद से आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) चर्चा में बना हुआ है. टीटीपी ने अपने आतंकियों को पूरे पाकिस्तान में हमले करने के आदेश दे दिए हैं. इससे पाकिस्तान में खलबली मच गई है. टीटीपी का ठिकाना के तार अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर मौजूद कबाइली क्षेत्र है.
कैसे बना टीटीपी?
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान कई छोटे-छोटे आतंकी संगठनों से मिलकर बना है. दरअसल पाकिस्तान सेना से मुकाबला करने के लिए इन संगठनों ने 2007 में मिलकर टीटीपी को खड़ा किया. इस संगठन को आतंकी बैतुल्ला मसूद की अगुवाई में खड़ा किया गया था. इसे पाकिस्तान तालिबान भी कहा जाता है. एक अनुमान के मुताबिक टीटीपी में 30,000 से 35,000 के आसपास लड़ाके हैं.
टीटीपी का मकसद
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का मतलब है 'पाकिस्तानी छात्रों का अभियान'. 'तालिब' का मतलब 'छात्र' होता है या फिर 'धार्मिक शिक्षा मांगने वाला' और 'तहरीक' का अर्थ 'अभियान' या 'मुहिम' है. टीटीपी अफगानिस्तान के तालिबान से अलग है. लेकिन यह उसकी विचारधारा का समर्थन करता है.
टीटीपी का मकसद पाकिस्तान में शरिया पर आधारित एक कट्टरपंथी इस्लामी शासन कायम करना है. इसकी स्थापना दिसंबर 2007 में 13 आतंकी गुटों ने मिलकर की थी. पाकिस्तानी तालिबान अक्सर पाकिस्तानी राज्यों को अपना निशाना बनाता रहा है. लेकिन कई खुफिया एजेंसियों का मानना है कि इस संगठन का असली मकसद अमेरिका के कई बड़े शहरों को अपना निशाना बनाना है.
आतंकी संगठन अल-कायदा से टीटीपी के गहरे रिश्ते माने जाते हैं. मई 2010 को न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वॉयर पर हुए हमले में टीटीपी का नाम सामने आया था. इस संगठन ने ही ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद अमेरिका पर हमले की धमकी दी थी.
तहरीक-ए-तालिबान के छः आतंकियों ने पाकिस्तान के पेशावर में 16 दिसबंर 2014 को आर्मी स्कूल पर हमला किया था. इस हमले में तकरीबन 200 मासूम बच्चों की जान चली गई थी. इस हमले से टीटीपी का नाम फिर से सुर्खियों में आ गया था. पाकिस्तान सरकार ने इसके बाद कई आतंकियों को सजा-ए-मौत भी सुनाई थी.
टीपीपी के निशाने पर पाकिस्तानी सेना और सरकार
टीटीपी का मकसद पाकिस्तान की चुनी गई सरकार को उखाड़ फेंकने की है ताकि वह इस्लामिक शरिया कानून को वहां पर लागू कर सके. इसके लिए टीटीपी ने पाकिस्तान को अस्थिर करने के लिए कई बार प्रत्यक्ष तौर पर पाकिस्तानी सेना पर हमला किया और कई पाकिस्तानी नेताओं की हत्या की.
टीटीपी आमतौर पर आत्मघाती हमलावरों का इस्तेमाल करता है, जिसके तहत वह पाकिस्तानी सेना के हजारों सैनिकों, आम लोगों को मार चुका है. टीटीपी के संस्थापक नेता बैतुल्ला मसूद ने 30 मार्च 2009 को लाहौर की पुलिस अकेडमी पर हमले की सार्वजनिक तौर पर जिम्मेदारी ली थी. इस हमले में हमलावरों ने ऑटोमैटिक मशीन गनों से पुलिस रिक्रूट की भीड़ पर गोलीबारी कर दी थी, जिसमें आठ की मौत हो गई थी जबकि 100 घायल हो गए थे.
पिछले साल अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से पाकिस्तान पर टीपीपी के हमले बढ़े हैं. इसके बाद से ही टीटीपी और पाकिस्तान सरकार के बीच अफगान तालिबान ने मीडिएटर की भूमिका निभाई है.