थाइलैंड में मौत की गुफा में चल रहे सबसे बड़े रेस्क्यू ऑपरेशन का रविवार को 15वां दिन है. गुफा में फंसी 13 जिंदगियों को बचाने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है. लेकिन जिस तरह से हर मिनट मौसम खराब हो रहा है उसे देखते हुए थाइलैंड सरकार ने मौत की गुफा से बच्चों को निकालने के लिए चार दिन की टाइम लिमिट तय की है. ये बच्चे अभी सुरक्षित हैं. इन्हें बचाने के लिए 8 देशों के एक्सपर्ट लगे हुए हैं. आपको बता दें कि 13 जिदंगियों में 12 फुटबॉल खिलाड़ी हैं और एक कोच है.
इनके अलावा करीब 1000 राहतकर्मी लगे हैं. इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या बच्चे बच पाएंगे. पूरी दुनिया की निगाहें उनपर लगी हुई हैं. सबसे बड़ा सवाल ये है कि अगर राहतकर्मी पहुंच चुके हैं, बच्चे मिल चुके हैं तो वे बच्चों को बाहर क्यों नहीं ले आए. इन्हें बचाने के लिए थाईलैंड की सेना लगी हुई है, लेकिन रेस्क्यू ऑपरेशन में 3 से 4 महीने भी लग सकते हैं.
बच्चों को ऑक्सीजन सप्लाई करने जा रहे एक गोताखोर की मौत ने ऑपरेशन को और खतरनाक बना दिया.
गुफा में कैसे पहुंचे बच्चे
23 जून को वाइल्ड बोर्स नाम की टीम ने फुटबॉल मैच खेला. बच्चे हमेशा की तरह मौज मस्ती करना चाहते थे. साइकिल रेस लगाते हुए टीम गुफा तक जा पहुंची. रेस में 13वां लड़का भी था. लेकिन किसी कारणों से उसको वापस जाना पड़ा.
वे अलग-अलग रास्ते से अंदर घुसते जा रहे थे. देखते-देखते इतनी बारिश हुई कि गुफा में बाढ़ आ गई. बाहर निकलने का एक ही रास्ता था और वह पूरी तरह बंद हो चुका था.
रात तक जब बच्चे घर नहीं लौटे तो घरवाले परेशान हो गए. इसकी खबर प्रशासन को दी गई. प्रशासन खोज में लग गया. थाईलैंड की नेवी सील इस ऑपरेशन में लगा दी गई.
ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, चीन समेत 8 देश बचाव में लगे. आखिरकार गोता लगाते हुए रेस्क्यू टीम बच्चों के करीब तक पहुंची, लेकिन अभी वे प्रवेश द्धार से 4 किमी दूर थे. एक प्रशिक्षित तैराक को वहां पर पहुंचने में 6 घंटे लग रहे हैं और निकलने में 5 घंटे. लोगों को लगा राहतकर्मी बच्चों को लेकर आएंगे, लेकिन गुफा के अंदर कई जगह ऐसी हैं जहां तैराकी करनी है, ऐसी स्थिति में एक प्रशिक्षित तैराक ही तैर सकता है.
बारिश में हमेशा इन गुफाओं में पानी भर जाता है और सितंबर के महीने तक ही उतरता है. 9 दिन तक बच्चों ने खाना नहीं खाया, सिर्फ बाढ़ के पानी के सहारे ही जिंदा थे. बच्चों को ये तक नहीं पता था कि वे कितने दिन से फंसे हुए हैं. पहाड़ों के नीचे गुफा है. कुछ रास्ते ऊपर जाते हैं और कुछ नीचे. हर रास्ते को जोड़ने वाले में पानी भर हुआ है.
बच्चों को न तैरना और न ही गोता लगाना आता है. बच्चों को स्विमिंग और डाइविंग सिखाई जा रही है. गुफा के अंदर डॉक्टरों का एक दल पहुंच चुका है. गोताखोर ने खाना पहुंचा दिया है. बच्चों के लिए 4 महीने के खाने का इंतजाम कर दिया गया है.
बातचीत के लिए फोन भी पहुंचाया गया, लेकिन भीगने से वह भी खराब हो गया. पानी निकालने के लिए पंप लगा हुआ है. गुफा का जलस्तर 16 सेंटीमीटर तक घट चुका है. लेकिन पहाड़ से रिसकर पानी दोबारा भर जा रहा है. डर है कि अगर फिर तेज बारिश हुई तो जहां बच्चों ने शरण ली है, वह जगह धंस सकती है और अगले कुछ दिन भारी बारिश की चेतावनी है.
ऐसे में आज का दिन बच्चों के जिदंगी बचाने के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. बता दें 15वें दिन शुरू हुए ऑपरेशन में 13 इंटरनेशनल और 5 थाई नेवी सील के गोताखोर गुफा में भेजे गए हैं. एक बच्चे दो गोताखोर के साथ बाहर आएंगे. पहले बच्चे को बाहर आने में 11 घंटे का वक्त लग सकता है. सभी बच्चे एक साथ बाहर नहीं आ पाएंगे. ऑपरेशन दो से 4 दिनों तक चल सकता है.