पूर्व यूरोपीय देश हंगरी में कुदरत का एक चमत्कार हुआ है. यहां डॉक्टरों ने दिमागी रूप से मर चुकी एक महिला से एक स्वस्थ बच्चे की डिलीवरी कराई.
हंगरी के डेब्रेचन शहर में 31 वर्षीय महिला को दिल का दौरा पड़ने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया था, जहां डॉक्टरों ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया. उस वक्त महिला के पेट में 15 हफ्ते का गर्भ था. डॉक्टरों ने अल्ट्रासाउंड की मदद से देखा कि महिला के पेट में पल रहा भ्रूण हिल-डुल रहा है.
इसे कुदरत का करिश्मा नहीं तो और क्या कहा जाएगा. दिमागी रूप से मां की मौत हो चुकी थी, लेकिन गर्भ मे पल रहा बच्चा पूरी तरह स्वस्थ था. अब बच्चे की जिंदगी बचाना डॉक्टरों के लिए बड़ी चुनौती थी. डेब्रेचन मेडिकल यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने हिम्मत नहीं हारी. महिला को करीब तीन महीने तक लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया. इसके बाद गर्भ के 27वें हफ्ते में ऑपरेशन के जरिए महिला की डिलीवरी कराई गई. डिलीवरी के बाद महिला को लाइफ सपोर्ट से हटा दिया गया.
बच्चे का जन्म समय से थोड़ा पहले हुआ, लेकिन वो सेहतमंद है. डॉक्टरों का कहना है कि किसी ब्रेन डेड महिला की डिलीवरी का दुनिया में यह तीसरा मामला है. महिला के घरवाले चाहते थे कि उनकी निजता का खयाल रखा जाए इसलिए बच्चे की पहचान गुप्त रखी गई है.
वहीं, डॉक्टरों ने बच्चे के जन्म के बाद परिवारवालों की रजामंदी ली और महिला का हार्ट, लिवर और किडनी चार जरूरतमंदों को प्रत्यारोपित कर दिए. इस तरह डॉक्टरों ने न केवल गर्भ में पल रहे बच्चे को नया जीवन दिया, बल्कि चार और लोगों को भी नई जिंदगी दी.
डॉक्टरों ने बताया, 'वह पल अद्भुत था जब बच्चे का जन्म हुआ. जन्म के तुरंत बाद बच्चा रोया, वह लात मार रहा था. ट्रीटमेंट में शामिल सभी लोगों के लिए यह कभी ना भूलने वाला पल था.'आपको बता दें कि आमतौर पर ब्रेन डेड घोषित किए जाने के बाद मरीज को एक या दो दिन तक ही लाइफ सपोर्ट पर रखा जाता है. डॉक्टरों ने बताया, 'हमारा केस बिलकुल अलग था. हमें बच्चे को भी सुरक्षित रखना और महिला के पांच अंग भी किसी और को प्रत्यारोपित करने थे.'
प्रेग्नेंसी के दौरान बच्चे के दादा-दादी और पिता अस्पताल आकर मां के पेट को सहलाकर बच्चे से बात करते थे. यही नहीं म्यूजिक थेरेपिस्ट भी बुलाए गए. डॉक्टरों के लिए कई तरह के इंफेक्शन भी बड़ी चुनौती थे. और तो और बेडसोर यानी कि लेटे-लेटे पीठ और कमर पर होने वाले घावों से बचाने के लिए डॉक्टर बार-बार महिला को पलटते रहते थे.
गौरतलब है कि महिला ने बच्चे को जुलाई में जन्म दिया था. बच्चे को पिछले महीने ही अस्पताल से छुट्टी मिली है, लेकिन डॉक्टर इस सफल ऑपरेशन की घोषणा तब तक नहीं करना चाहते थे जब तक कि बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ ना हो जाए. बच्चा अब अपने घर में है और ठीक है. डॉक्टरों का कहना है कि हालांकि उसमें बीमारी के भी कोई लक्षण नहीं है, लेकिन अभी लगातार उसे निगरानी पर रखा जाएगा.