भारत में पहली बार 2-18 साल तक के बच्चों की कोरोना वैक्सीन की सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइज़ेशन, CDSCO ने सिफारिश की है. भारत-बायोटेक की कोवैक्सीन को भारतीय औषधि महानियंत्रक(DGCI) की मंजूरी का इंतज़ार है. कुछ समय पहले ही 12-17 साल के बच्चों के लिए जायडस कैडिला की कोरोना वैक्सीन को भारत में आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी गई.
भारत में बच्चों के लिए कोरोना टीके की दौड़ में फाइज़र- बायोएनटेक , कोवीशील्ड, और स्पुतनिक वी भी मौजूद हैं . रूस की स्पुतनिक-वी बच्चों के लिए नाक से सूंघी जा सकने वाली वैक्सीन के ट्रायल भी कर रही है. ऐसी उम्मीद की जा रही है कि अब अनुमतियां मिलने के बाद भारत में 2-18 साल के बच्चों की कोरोना वैक्सीन जल्द ही मिलने लगेगी.
आइए आपको बताते हैं कि भारत से बाहर की दुनिया में बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन का कार्यक्रम कहां तक पहुंचा है और किन देशों में प्रमुखता से बच्चों को कोरोना की वैक्सीन लगाई जा रही है.
क्यूबा
कैरेबियन देश क्यूबा दो साल के छोटे बच्चों को कोरोनावैक्सीन लगाने वाले दुनिया का पहला देश बना. इसी साल सितंबर में क्यूबा ने अपनी बनाई हुई कोरोना वैक्सीन सोबेराना 2 वैक्सीन (Soberana 2 vaccine) को 2-18 साल तक के बच्चों को देना शुरू किया. हालांकि क्यूबा की सोबेराना 2 वैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन से मंजूरी नहीं मिली है.
चीन
पूरी दुनिया जानती है कि चीन के वुहान से कोरोनावायरस की शुरुआत हुई और अब चीन वैक्सीन लगाने के मामले में भी दुनिया के कई देशों से आगे चल रहा है. चीन के सरकारी मीडिया के अनुसार इस साल 15 सितंबर तक चीन 12-17 साल के 91% बच्चों को कोरोना का टीका लगा चुका है. चीन की अपनी कोरोनावैक्सीन साइनोफॉर्म 12-17 साल के बच्चों को दी जा रही है. रॉयटर्स के मुताबिक चीन में बनी दोनों वैक्सीन 3-17 साल की उम्र के बच्चों को वैक्सीन लगाए जाने के लिए मंजूरी पा चुकी हैं लेकिन अभी तक चीन में 12 साल से छोटे बच्चों का वैक्सिनेशन कार्यक्रम शुरू नहीं हुआ है.
ब्रिटेन
ब्रिटेन के रेगुलेटर्स ने जून 2021 से ही फाइजर-बायोएनटेक की कोरोनावैक्सीन को 12 से 15 साल के बच्चों को लगाने की मंजूरी दे दी थी. और अब ब्रिटेन में सितंबर से यह वैक्सीन बच्चों को 12-15 साल के बच्चों को लग रही है. लेकिन छोटे बच्चों के लिए वैक्सीन की मंजूरी का यहां भी इंतजार है.
अमेरिका
अमेरिका में फाइजर-बोयोएनटेक का कोरोना टीका बनाया है वो 12 साल से बड़े बच्चों और व्यस्कों को दिया जा रहा है. हालांकि कंपनी का कहना है कि उसका टीका 5 से 11 साल के बच्चों पर भी प्रभावी है लेकिन अभी इस मामले में कंपनी को मंजूरी मिलनी बाकी है. पिछले हफ्ते फाइजर-बायोएनटेक (Pfizer and BioNTech) ने अमेरिका के खाद्य और दवा नियामक प्राधिकरण ( FDA) से गुज़ारिश की थी कि उनकी mRNA तकनीक आधारित कोविड-19 वैक्सीन को 5-11 साल के बच्चों के लिए मंजूरी दी जाए. FDA की एडवायज़री कमिटी की 26 अक्टूबर को बैठक होनी है जिसमें इसे मंजूरी मिलने की पूरी उम्मीद है.
इज़रायल
इज़रायल में 12-15 साल की उम्र के आधे से अधिक बच्चों को कोरोना वैक्सीन की एक डोज़ लग चुकी है. 16-19 साल के उम्र वर्ग की 84% जनसंख्या का इज़रायल पहली डोज़ के साथ टीकाकरण कर चुका है. जब अमेरिका में फाइज़र और मॉडर्ना ने 5-11 साल की उम्र के बच्चों पर वैक्सीन स्टडी करनी शुरू कीं तो इसके बाद इजरायल ने 5-11 साल के गंभीर तौर से बीमार उन बच्चों को कोरोना का टीका देने का फैसला किया जो कोरोना का आसान शिकार बन सकते थे. इज़रायल में छोटे बच्चों को फाइजर बायोएनटेक की कोरोना वैक्सीन का 1.0 milliliters का डोज़ दिया जा रहा है जबकि आम तौर पर व्यस्कों के लिए ये 3.0. milliliters होता है.
थाईलैंड
थाईलैंड में 12-18 साल के स्कूली बच्चों को फाइज़र का टीका लगाया जा रहा है . पहले बच्चों का टीका अस्पतालों में लगाने की तैयारी थी लेकिन फिर थाईलैंड के स्कूलों में यह कार्यक्रम चलाया जा रहा है . इसी के साथ ही थाईलैंड में 10-18 साल के बच्चों के लिए चीन की साइनोफॉर्म वैक्सीन भी लगाई जा रही है.
कंबोडिया
कंबोडिया में अगस्त से टीनेजर बच्चों को वैक्सीन लगनी शुरू हो गई थी. सितंबर 17 से कंबोडिया में 6-12 साल के बच्चों को चीन में बनी कोरोना की वैक्सीन साइनोवैक का टीका लगाना शुरू कर दिया गया है.
इन देशों के अलावा डेनमार्क, फ्रांस और लिथुआनिया में भी टीनेजर्स को कोरोना वैक्सीन लगनी शुरू हो गई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO ) ने जून 2021 में फाइज़र-बायोएनटेक के टीके को 12-15 साल की उम्र के बच्चों के लिए सुरिक्षत बताते हुए इसे लगाए जाने की सिफारिश की थी. जबकि12 साल के कम उम्र के बच्चों की किसी कोरोना वैक्सीन की WHO ने अब तक सिफारिश नहीं की है.