ब्रिटेन की संसद में भारत में चल रहे किसान आंदोलन को लेकर चर्चा हुई है. ये चर्चा एक ऑनलाइन पेटिशन पर लोगों को मिले समर्थन के बाद हुई है. इस पेटिशन में ब्रिटिश सरकार से अपील की गई थी कि वो भारत सरकार पर आंदोलनरत किसानों की सुरक्षा और प्रेस फ्रीडम को सुनिश्चित करने के लिए दबाव बनाए. ये पेटिशन नवंबर महीने में शुरू हुई थी. जिस पर 1 लाख से भी ज्यादा लोगों ने साइन किए थे. मिली सूचना के अनुसार इस पेटीशन पर करीब 1.16 लाख लोगों ने सिग्नेचर किए हैं.
ये चर्चा लंदन स्थित पोर्टकुलिस हाउस में संपन्न हुई. जो करीब 90 मिनट तक चली. कोविड प्रोटोकॉल के चलते कुछ सांसदों ने घर से ही डिजिटल माध्यम से इसमें हिस्सा लिया, कुछ सांसद पार्लियामेंट में फिजिकली मौजूद रहे. किसान आंदोलन को सबसे अधिक लेबर पार्टी का समर्थन मिला. लेबर पार्टी के 12 सांसदों जिसमें लेबर पार्टी के पूर्व नेता जेरेमी कोर्बीन (Jeremy Corbyn) भी शामिल थे, जिन्होंने इससे पहले एक ट्वीट करके किसानों का समर्थन किया था.
इसी दौरान कंजर्वेटिव पार्टी की थेरेसा विलियर्स (Theresa Villiers) ने भारत सरकार का समर्थन करते हुए कहा कि कृषि भारत का अपना आंतरिक मामला है, इसके ऊपर विदेशी संसद में चर्चा नहीं की जा सकती.
इस चर्चा पर जवाब देने के लिए प्रतिनियुक्त किए गए मंत्री निगेल एडम्स (Nigel Adams) ने कहा कि 'कृषि सुधार भारत का अपना 'घरेलू मामला' है, ब्रिटिश मंत्री और अधिकारी इस मुद्दे पर भारतीय समकक्षों से लगातार संपर्क में हैं और अविश्वसनीय रूप से काफी बारीकी तौर पर इस मुद्दे पर नजर रखे हुए हैं.'
मंत्री निगेल एडम्स ने आगे कहा, 'हम, भारत के साथ यूएन सिक्योरिटी काउंसिल और जी-7 समिट में भी अच्छे परिणामों के लिए काम रहे रहे हैं. दोनों देशों के संबंध वैश्विक समस्याओं को सुलझाने के काम भी आएंगे. इससे भारत और यूके में भी समृद्धि आएगी.'
निगेल ने आगे कहा, 'हालांकि दोनों देशों के इतने अच्छे संबंध होने के बावजूद ये हमें कठिन मामलों को उठाने से नहीं रोकता.' निगेल एडम्स ने उम्मीद जताई है कि जल्द ही भारत सरकार और किसान यूनियनों के बीच बातचीत से कोई सकारात्मक परिणाम निकल जाएगा.