नैरोबी स्थित वेस्टगेट मॉल में जब जिहादी लड़ाके मौत और आतंक का तांडव मचा रहे थे, उसी समय नैरोबी के जैन समुदाय ने यहां कई दिनों तक चले आपातकालीन प्रयास के दौरान पीड़ितों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए. अलकायदा से संबंधित सोमालिया के अल शबाब आतंकी समूह ने 21 सितंबर को जब मॉल पर हमला किया था.
इस मॉल के चारों ओर की फिजा में जिस समय गोलियों की आवाजें गूंज रही थीं, उसी समय यहां से करीब 100 मीटर की दूरी पर स्थित ओसवाल धार्मिक केंद्र इस हमले में जीवित बचे लोगों, सुरक्षा बलों और पत्रकारों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बना हुआ था.
विसा ओसवाल समुदाय के एक वरिष्ठ सदस्य भूप्रेंद्र शाह ने कहा, ‘हमारे पास लोगों के ठहराने और गाड़ियां खड़ी करने के लिए काफी जगह थी.’
शाह ने कहा, ‘शनिवार को जब यह हमला शुरू हुआ, तो मैंने वहां का एक चक्कर लगाया और देखा कि वहां पुलिस और सैनिक भूखे प्यासे लड़ रहे हैं. हमने मदद के लिए लोगों को ईमेल भेजा और रविवार सुबह तक हमें चंदा मिलना शुरू हो गया.’ कुछ ही घंटों के भीतर कई जैन परिवार अपने घरों से फलों का ताजा रस ले आए, एक खेल क्लब ने डिब्बा बंद भोजन से भरे आठ वाहन भेज दिए, एक औद्योगिक बेकरी ने रोटियां भेजी और एक शीर्ष रिटेल चेन ने पानी की बोतलें दान दी.
मॉल की घेराबंदी के दूसरे और तीसरे दिन ओसवाल स्वयंसेवकों ने अपने धार्मिक केंद्र के भीतर 15,000 भोजन के डिब्बे बांटे. लाल जर्सी पहने रेड क्रॉस के कार्यकताओं, हरी जर्सी पहने सेंट जॉन एंबुलेंस सेवा के कार्यकर्ताओं और मॉल के हमलावरों से लोहा लेने वाले सैनिकों को भोजन लेने के लिए इस कतार में खड़े देखा गया.