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एली कोहेन: वो जासूस जिसके दम पर इजरायल ने 6 दिन में 5 देशों को हरा दिया

नेटफ्लिक्स पर हाल ही में एक वेब सीरीज़ आई है, जिसका नाम है ‘द स्पाई’. ये कहानी एली कोहेन की है, जो मोसाद का एक जासूस था. जिसने अपनी जिंदगी के 5 साल सीरिया में बतौर जासूस गुजारे और अपने देश इजरायल की इतनी मदद की कि जंग में सिर्फ 6 दिनों में इजरायल ने सीरिया और उसके साथियों को मात दे दी.

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नेटफ्लिक्स की द स्पाई का एक सीन
नेटफ्लिक्स की द स्पाई का एक सीन

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ये तीन सवाल ऐतिहासिक हैं, जिसने एक देश को 5 देशों के खिलाफ सिर्फ 6 दिन में जीत दर्ज कराई. इन तीन सवालों के दम पर इज़रायल ने 1967 में हुई ऐतिहासिक जंग को शानदार तरीके से जीत लिया. ये सवाल इज़रायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने अपने जासूस एली कोहेन से पूछे थे, जब उन्हें एक मिशन के लिए तैयार किया जा रहा था. ऐसा मिशन जिसने इतिहास रच दिया. ये किस्सा क्या है और एली कोहेन कौन हैं, जिन्हें सीरिया ने अपने देश में गद्दारी के जुर्म में बीच चौराहे में फांसी दे दी थी. पूरी बात यहां पढ़िए...

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नेटफ्लिक्स पर हाल ही में एक वेब सीरीज़ आई है, जिसका नाम है ‘द स्पाई’. ये कहानी एली कोहेन की है, जो मोसाद का एक जासूस था. जिसने अपनी जिंदगी के 5 साल सीरिया में बतौर जासूस गुजारे और अपने देश इजरायल की इतनी मदद की कि जंग में सिर्फ 6 दिनों में इजरायल ने सीरिया और उसके साथियों को मात दे दी.

6 एपिसोड की इस सीरीज में हर एपिसोड करीब एक घंटे लंबा है. जिसमें 1967 में हुई इजरायल-सीरिया की जंग के पहले के हालातों को दर्शाया गया है. यहां हम उस सीरीज़ की बात करते हुए उस किस्से को भी आपके सामने रख रहे हैं. 1967 में हुई इस लड़ाई में एक तरफ इजरायल था तो दूसरी ओर मिस्र, सीरिया, जॉर्डन, ईराक शामिल थे. इसके अलावा लेबनान भी इन देशों के साथ था.

कौन था एली कोहेन?

दुनिया की सबसे खतरनाक खुफिया एजेंसी मोसाद, जो अपने दुश्मन को किसी भी हद तक नहीं छोड़ती और अपना मिशन पूरा ही करती है. 1960 के दशक में जब सीरिया की ओर से इजरायल पर हमला किया जाने लगा, तो मोसाद ने एक जासूस की तलाश शुरू की जो सीरिया में रहकर कुछ जानकारी जुटा सके.

इसी कड़ी में सामने आते हैं, एली कोहेन. जो पैदा मिस्त्र में हुए, पिता यहूदी थे और मां सीरियाई. मिस्त्र के बाद अर्जेंटीना पहुंचे और फिर इजरायल. पिता ने इजरायल में रुकने का फैसला लिया, लेकिन एली कोहेन अपनी पढ़ाई के लिए मिस्त्र में रुके. पहले पढ़ाई पूरी की, फिर बाद में एक कोर्स जासूसी का भी किया.

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जब मोसाद ने शुरू किया अपना मिशन

एली कोहेन 1960 में इजरायली खुफिया विभाग से जुड़े और काम शुरू किया. एक साल बाद ही उन्हें सीरिया में जासूसी करने के लिए ट्रेन करना शुरू कर दिया गया और एक कारोबारी बनाकर किसी तरह सीरिया पहुंचाया गया. कामिल अमीन थाबेत जो एक एक्सपोर्ट का काम करता था, उसने सीरिया के दमिश्क में अपना बिजनेस शुरू किया.

दमिश्क राजधानी थी, इसलिए सत्ता यहां पर ही थी. पैसों का इस्तेमाल कर कामिल अमीन थाबेत उर्फ एली कोहेन बड़े लोगों की नजर में आना शुरू हो गए. जिसके बाद उन्होंने सेना में अधिकारियों से संबंध बढ़ाए, जनरल के भतीजे से दोस्ती कर ली. उसी की मदद से बॉर्डर तक पहुंचे, ऐसे स्थानों पर पहुंचे जहां से सीरिया इजरायल के खिलाफ साजिश रचता था.

चार साल की जासूसी ने इजरायल को जिता दिया

1961 से 1965 तक एली कोहेन ने सीरिया के दमिश्क में रहकर इजरायल की मोसाद को छोटी से छोटी जानकारी दी. जिसमें सीरिया के पास क्या हथियार हैं, वो कब कितने जवानों को कहां पर तैनात कर रहा है. यहां तक कि घुसपैठ के लिए किस रास्ते का इस्तेमाल हो रहा, इजरायल-सीरिया के बीच गोल्डन हाइट्स जिसे इजरायल ने जीत लिया था वहां पर यूकेलिप्टस के पेड़ लगाने का आइडिया सीरिया को एली कोहेन ने ही दिया.

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इन पेड़ों के लगाने के बाद से ही इजरायल को हिंट मिला कि आखिर सीरियाई जवान बॉर्डर पर कहां तैनात हैं और कब हमला करने से फायदा होगा.

कैसे पकड़े गए और फिर बीच चौराहे में टांग दिया गया

1965 का वो दौर जब सीरिया को लगातार झटके पर झटके लग रहे थे, क्योंकि एली कोहेन ने काफी खुफिया जानकारी इजरायल को दे दी थी. लेकिन लगातार ट्रांसमिशन से बात करने की वजह से सीरिया के जनरल के चीफ ऑफ स्टाफ को एली कोहेम पर शक हुआ, शहर में जब ट्रांसमिशन की जांच शुरू हुई तो एली कोहेन धरे गए. वो भी तब जब उन्हें सीरियाई सरकार में रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी दी जा रही थी.

एली कोहेन को 1966 में दमिश्क में एक चौराहे पर फांसी दी गई थी. उनके गले में एक बैनर डाला गया था, जिसपर लिखा था 'सीरिया में मौजूद अरबी लोगों की ओर से.’ इजरायल की ओर से उनका शव वापस लाने की कई कोशिशें की गईं, लेकिन सीरिया ने एली कोहेन का शव नहीं लौटाया. हाल ही में पिछले साल इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने एली कोहेन की घड़ी को ढूंढ निकाला था जो उन्होंने सीरिया में पहनी थी.

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