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5 घंटे और 132 कमरों में बदलाव, नए राष्ट्रपति के लिए कैसे इतनी जल्दी तैयार होता है White House?

कुछ ही दिनों में डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति होने वाले हैं. शपथ ग्रहण की शाम वे परिवार समेत वाइट हाउस पहुंचेंगे, जहां उनके अगले चार साल बीतने वाले हैं. मौजूदा लीडर के जाने और ट्रंप के आने के बीच लगभग 5 घंटों का फासला होगा. इतने ही वक्त में 55 हजार स्क्वायर फीट वाला राष्ट्रपति निवास नए लीडर के मुताबिक तैयार हो जाएगा.

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वाइट हाउस में राष्ट्रपति के ट्रांजिशन को बेहद मुश्किल माना जाता है. (Photo- Getty Images)
वाइट हाउस में राष्ट्रपति के ट्रांजिशन को बेहद मुश्किल माना जाता है. (Photo- Getty Images)

जनवरी 20 को डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के साथ ही वाइट हाउस पहुंचेंगे. इससे कुछ घंटों पहले ही मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन निवास खाली करेंगे. दोनों लीडरों के आने-जाने के बीच सिर्फ 5 घंटों का फर्क रहेगा. इस दौरान 500 से ज्यादा स्टाफ लगातार काम करता है ताकि वाइट हाउस नए प्रेसिडेंट की पसंद के मुताबिक तैयार हो जाए. सबसे ज्यादा ध्यान सुरक्षा का रखना होता है.

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अमेरिकी आबादी के बीच इसे 'ट्रांसफर ऑफ फैमिलीज' कहा जाता है. 

132 कमरों और 412 दरवाजों वाला वाइट हाउस दुनिया के सबसे सुरक्षित घरों में से एक है. अमेरिकी राष्ट्रपति के इस आधिकारिक आवास से दुनियाभर की नीतियां और एक्शन तय होते हैं. लेकिन नए से पुराने राष्ट्रपति के वाइट हाउस आने के बीच वक्त बहुत कम रहता है, जिसमें सारी तैयारी की जाती है.

ट्रंप का मामला थोड़ा पेचीदा

आमतौर पर शपथ लेने से पहले ही राष्ट्रपति एक कमरे में आ जाते हैं, और वहीं से शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचते हैं. बराक ओबामा और जो बाइडेन ने भी यही किया था. हालांकि ट्रंप जरा हटके हैं. साल 2017 में वे शपथ के बाद ही वाइट हाउस पहुंचे थे. इस साल भी उन्होंने इसे लेकर कोई सूचना नहीं दी है कि वे एक रात पहले पहुंचेंगे, या नहीं. वहीं फर्स्ट लेडी मेलानिया ट्रंप पांच महीने बाद यहां पहुंची थीं. अनुमान है कि इस बार वे ट्रंप के साथ ही, यानी 20 जनवरी को ही यहां शिफ्ट हो जाएंगी. एक इंटरव्यू में वे खुद यह इशारा दे चुकीं.  

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this is how the White House transition takes place from old to new president of america photo - AP

ट्रांजिशन से पहले औपचारिक भेंट 

आने-जाने के बीच दोनों परिवारों के बीच चाय पर एक मुलाकात होती है. यह मीटिंग आमतौर पर फर्स्ट लेडीज के बीच रहती है ताकि वे ट्रांजिशन के दौरान अपनी पसंद-नापसंद बता सकें. या अगर फैमिली में किसी को कोई खास जरूरत पड़ती हो, तो वह भी बताया जा सके. हालांकि ट्रंप के पिछले टर्म के खत्म होने पर बाइडेन परिवार को आधिकारिक न्यौता नहीं दिया गया था, बल्कि ट्रंप तब चुनाव के फैसले को ही चुनौती दे रहे थे.

दोपहर ढलने से पहले नहीं पहुंच पाते हैं

इस दिन की शुरुआत शपथ लेने से होती है. देश के मुख्य न्यायाधीश उन्हें कैपिटल हिल के पास शपथ दिलवाएंगे. इसके बाद इनॉगरल एड्रेस होता है. ये वो भाषण है जिसमें राष्ट्रपति अपने आने वाले कामों का ड्राफ्ट देंगे. कैपिटल हिल से निकलकर वे पहले एक औपचारिक लंच लेंगे, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के जज समेत सारे बड़े अधिकारी होंगे. भोज में दोपहर लगभग बीत चुकी होती है. इसी समय कैपिटल हिल से लेकर वाइट हाउस तक परेड होती है, ताकि जनता अपने चुने हुए लीडर को देख सके. यहीं से वे वाइट हाउस पहुंचते हैं. 

इस तरह होती है प्रिपरेशन

इसके लिए एक ट्रांजिशन टीम बनती है, जो पहले से ही सारी लिस्टिंग कर चुकी होती है. किसे क्या काम और कितनी देर में करना है, ये भी तय रहता है. कई बार इसकी मॉक ड्रिल हो चुकी होती है ताकि संभावित परेशानियां पहले ही ठीक की जा सकें. सब कुछ ठीक से हो सके, इसके लिए वाइट हाउस का परमानेंट स्टाफ सुबह ठीक चार बजे से काम पर लग जाता है. ज्यादातर लोग रातभर जागते हैं. इन्हें लीड करने का काम वाइट हाउस चीफ रॉबर्ट बी डाउनिंग कर सकते हैं, जो फिलहाल वहां ज्यादातर काम संभाल रहे हैं. वे सीधे फर्स्ट लेडी को रिपोर्ट करेंगे. 

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इस पूरे काम में करीब 500 लोग लगते हैं. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि रिपब्लिकन के बाद दूसरा उसी पार्टी का राष्ट्रपति आए, या डेमोक्रेट्स आएं. तैयारी उतनी ही होगी.  

this is how the White House transition takes place from old to new president of america photo AFP

आखिरी दिन तक होती रहती है पैकिंग

चूंकि राष्ट्रपति जाते तक कई फैसले लेते हैं और मीटिंग्स होती रहती हैं, लिहाजा वे आखिरी दिन तक वहां बने रहते हैं. शपथ ग्रहण से एक रात पहले ही सामानों की पैकिंग होती है. इस बीच नए राष्ट्रपति का सामान भी आ चुका होता है लेकिन ये पैकिंग शपथ वाले दिन ही खुलती है, वो भी सुबह 10 बजे के आसपास, जब पूर्व राष्ट्रपति विदा हो चुके होते हैं. 

जाने से पहले गुडबाय सेरेमनी भी 

इस दौरान लगभग सारा परमानेंट स्टाफ स्टेट डाइनिंग रूम में जमा होता है, जहां राष्ट्रपति और फर्स्ट लेडी को विदाई दी जाती है. अलविदा कहते हुए राष्ट्रपति को वो झंडा तोहफे में दिया जाता है, जो उनके कार्यकाल के पहले दिन वाइट हाउस पर फहराया गया था. इसके लिए लकड़ी का खास बॉक्स तैयार होता है, जिसकी प्रिपरेशन भी यही स्टाफ करता है. 

वाइट हाउस के अंदर क्या-क्या बदलता है

लगभग 55 हजार स्क्वायर फीट के वाइट हाउस में आ रही फर्स्ट फैमिली का लगेज आते ही परमामेंट स्टाफ उसे अपनी कस्टडी में ले लेता है. वाइट हाउस को सजाते हुए प्रेसिडेंट इलेक्ट की पसंद का खास ध्यान रखा जाता है. दीवारों से पेंटिंग तक हटाकर नई लगाई जाती हैं. कई पेंटिंग्स काफी बड़ी होती हैं, जिन्हें जंबो कहा जाते है. अक्सर पहले से ही पूछ लिया जाता है कि क्या उन्हें बदलना जरूरी है, या मौजूदा अरेंजमेंट भी चल जाएगा. कारपेट और फोन का रंग भी बदल जाता है.

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ट्रंप अपनी पसंद को लेकर काफी सख्त हैं. ऐसे में वॉशरूम से लेकर पैंट्री और मेन किचन में भी बदलाव होंगे. ये भी हो सकता है कि नए राष्ट्रपति अपने हेड शेफ भी बदल दें लेकिन ये पहले दिन नहीं होता है. और ये भी जरूरी नहीं कि शेफ बदला ही जाए. हां, पैंट्री में नए परिवार की पसंद का सामान भरपूर स्टॉक कर दिया जाता है. 

this is how the White House transition takes place from old to new president of america photo- Getty Images

दफ्तर में भी होता है बदलाव

राष्ट्रपति अपना कामकाज ओवल हाउस से करते हैं. ट्रंप अब तक पहले ही दिन कई एग्जीक्यूटिव ऑर्डर्स पर साइन करने का वादा कर चुके. इसके लिए वे पहली शाम ही ओवल हाउस पहुंचेंगे. यहां भी दीवारों पर से पुराने राष्ट्रपति की पहचान हटाई जाती है.

दफ्तर में केवल एक चीज से छेड़छाड़ नहीं होती, वो है रिजॉल्यूट डेस्क. ये वो डेस्क है, जिसपर दशकों से अमेरिकी राष्ट्रपति काम करते रहे. ट्रंप ने भी अपने पहले टर्म में इसी का इस्तेमाल किया था. ये एक तरह से वाइट हाउस की पहचान है, जो इस बार भी वहीं बनी रहेगी. 

'एक्सप्लोरिंग द वाइट हाउस' किताब की लेखिका केट एंडरसन के मुताबिक, इतनी तैयारियों के लिए भी प्रोफेशनल हायर नहीं किए जाते क्योंकि इससे सिक्योरिटी को खतरा हो सकता है. 9/11 के बाद से ये बदलाव हुआ. अब वाइट हाउस का परमानेंट स्टाफ ही सारे काम देखता है. इस सारी प्रोसेस में कितना खर्च आता है, इसकी कहीं कोई जानकारी नहीं मिल सकी. लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नए राष्ट्रपति के सामान की पैकिंग और उसे वाइट हाउस तक लाने का खर्च उनका निजी होता है, जबकि इसके बाद के खर्च वाइट हाउस उठाता है. 

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