
वो उन्नीसवीं सदी थी. आयरलैंड के बेलफास्ट की हार्लेंड एंड वूल्फ नाम की कंपनी दुनिया का सबसे बड़ा समुद्री जहाज तैयार कर चुकी थी. तीन हजार 300 लोगों की क्षमता वाले इस लग्जरी जहाज का नाम 'टाइटैनिक' (Titanic) रखा गया. ये जहाज अपने पहले और आखिरी सफर पर अटलांटिक महासागर में उतरा था.
269 मीटर लंबा और 28 मीटर चौड़ा आरएमएस टाइटैनिक ब्रिटेन से अमेरिका की तरफ जा रहा था. इसी बीच ऐसा हादसा हुआ कि विशाल समुद्री जहाज महासागर के पानी में हमेशा के लिए डूब गया.
टाइटन सबमरीन से टाइटैनिक का मलबा देखने गए 5 अरबपतियों के डूबने के बाद अब यह जहाज फिर सुर्खियों में है. 15 अप्रैल 1912 में जब टाइटैनिक डूबा तो उसके साथ ही समंदर सैकड़ों लोगों की कब्रगाह बन गया. दुनिया के सबसे बड़े समुद्री हादसे के बीच जिन भाग्यशाली लोगों की जान बची, उनके पीछे कुछ जांबाज लोग ऐसे थे, जिन्होंने मौत का सामना करते हुए रेस्क्यू को अंजाम दिया. जहाज डूबने तक लोगों को बचाने की जद्दोजहद में जुटे रहे.
महिलाओं और बच्चों को पहले किया गया था रेस्क्यू
जिस दिन टाइटैनिक समंदर में समाया, वो तारीख 15 अप्रैल 1912 थी. जहाज पर 2200 लोग सवार थे. टाइटैनिक हादसे में सबसे ज्यादा मौतें पुरुषों की हुई थीं, क्योंकि जब लोगों को बचाया जा रहा था तो सबसे पहले बच्चों और महिलाओं को रेस्क्यू करके छोटी नावों में उतारा गया. इस हादसे में कुल 2200 यात्रियों में 1500 लोग टाइटैनिक के साथ डूबे थे. जहाज पर 8 लोग ऐसे थे, जो Titanic Heroes के नाम से पहचाने गए. कौन थे वो लोग, इस कहानी में आपको बताते हैं.
जहाज पर लोगों का मनोरंजन कर रहे थे संगीतकार
दरअसल, टाइटैनिक में यात्रियों का मनोरंजन करने के लिए आठ म्यूजीशियन सवार थे. ये सभी अलग-अलग वाद्य यंत्र बजाते थे. 14 अप्रैल 1912 की रात 11 बजकर 40 मिनट हो रहे थे. टाइटैनिक विशाल हिमखंड से टकरा चुका था. इसी के साथ जहाज के दाहिने किनारे के पांच कंपार्टमेंट में पानी भरने लगा, कुछ घंटों में जहाज समंदर में डूबने लगा.
डूबने लगा जहाज तो बीच समंदर में मच गया हाहाकार
हालांकि Titanic, The New Evidence की रिपोर्ट के मुताबिक, टाइटैनिक आइसबर्ग से टकराने के बाद नहीं डूबा था. जहाज में आग लगने के बाद डूबा था. जैसे ही जहाज डूबने लगा, यात्री इतने घबरा गए कि हाहाकार मच गया. लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे, लेकिन वे कहां जा सकते थे. आंखों के सामने चारों तरफ समंदर ही समंदर.
जहाज को डूबते देख लोगों को लगने लगा कि अब बस वे मौत के करीब हैं. सभी नाउम्मीद हो चुके थे. इसी बीच जहाज में मौजूद संगीतकारों ने धैर्य नहीं खोया. वे यात्रियों को शांत रखने के लिए अपनी आखिरी सांस तक संगीत बजाते रहे. Daily Mail के मुताबिक, ये आठों कलाकार संगीत बजाते बजाते ही जहाज के साथ समुद्र में डूब गए.
टाइटैनिक पर सवार थीं इन आठ कलाकारों की दो टुकड़ियां
जहाज पर आठ कलाकारों की दो टुकड़ियां सवार थीं. एक टुकड़ी में तीन सदस्य थे और दूसरी टुकड़ी में पांच. ये म्यूजीशियन जहाज में पेरोल पर नहीं रखे गए थे, बल्कि ब्रिटिश कंपनी लिवरपूल ने सीडब्ल्यू और एफएन ब्लैक फर्म से कॉन्ट्रैक्ट पर हायर किए थे. म्यूजीशियन जहाज में सेकेंड क्लास यात्रियों की तरह सफर कर रहे थे.
संगीतकारों में थियोडोर रोनाल्ड ब्रेली पिआनो बजा रहे थे, पर्सी कॉनेलियस टेलर, रोजर ब्राइकॉक्स और जॉन वेस्ली वुडवर्ड सेलो बजा रहे थे, वहीं वैलेस हार्टले (बैंड मास्टर), जॉर्ज एलेक्जेंडर क्रिन्स और जॉन लॉ ह्यूम वायलिन पर थे. जॉन फ्रेड्रिक क्लॉर्क बास इंस्ट्रूमेंट बजा रहे थे. जब जहाज समंदर में समा रहा था, उस समय इन संगीतकारों ने लगातार एक गाना बजाया. वो था 'Nearer, My God, to Thee.' बता दें, यह एक ईसाई भजन है, जिसमें भगवान को याद किया जा रहा है.
हालांकि एक बड़ा वर्ग मानता है कि यह टाइटैनिक से जुड़े मिथकों में एक सबसे बड़ा मिथक है. फ़िल्म में इस गाने को इंटेंस सीन बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया था. लेकिन वास्तविकता से इसका कोई नाता नहीं है.
41KM की स्पीड में था टाइटैनिक, तभी हुई हिमखंड से टक्कर
जब टाइटैनिक डूबा, उसेसे कुछ महीने पहले एक घटना हुई थी. दरअसल, ग्रीनलैंड के एक हिस्से में ग्लेशियर टूट गया था. करीब 500 मीटर का ये टुकड़ा अलग होकर समंदर में दक्षिण की ओर जाने लगा. ये टुकड़ा 14 अप्रैल को 125 मीटर का था, जब टाइटैनिक से टकराया. इससे टकराने के करीब चार घंटे के भीतर जहाज डूबने लगा था. इंग्लैंड के साउथम्पैटन से अमेरिका के न्यूयॉर्क की ओर जाते समय टाइटैनिक 41 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड में था.
क्या कहते हैं जान गंवाने वालों के रिश्तेदार?
दुनिया के इस सबसे बड़े समुद्री हादसे में 1500 जानें गईं. ब्रिटेन और अमेरिका ने टाइटैनिक के डूबने की जांच कराई, तो हिमखंड से टक्कर होने की वजह ही सामने आई. टाइटैनिक के साथ जिन लोगों की जानें गईं, उनके रिश्तेदारों का कहना है कि समुद्रतल में स्थित टाइटैनिक के मलबे वाली जगह को छेड़ा नहीं जाना चाहिए, ये उनके रिलेटिव्स की कब्रगाह है.
कई दशक बाद मिल सका था टाइटैनिक का मलबा
जहाज डूबने के कई दशक बाद इसके मलबे का पता लग सका था. टाइटैनिक का मलबा सितंबर 1985 में मिला. ये जगह समुद्रतल से 2600 फीट नीचे अटलांटिक सागर में है. जहाज के मलबे की तलाशी अमेरिका और फ्रांस ने मिलकर की थी. अमेरिकी नौसेना की इसमें खास भूमिका रही थी. जहां पर टाइटैनिक का मलबा मिला, वो जगह कनाडा के सेंट जॉन्स के दक्षिण में 700 किलोमीटर दूरी पर है. ये जगह अमेरिका के हैलिफोक्स से 595 किलोमीटर दक्षिणपूर्व में है. डूबने के बाद जहाज के दो टुकड़े हो गए थे, दोनों टुकड़े एक दूसरे से 800 मीटर की दूरी पड़े थे. आसपास मलबा था.
टाइटैनिक बनाने वाली कंपनी के प्रबंध निदेशक भी थे सवार
टाइटैनिक का निर्माण करने वाली कंपनी व्हाइट स्टार के प्रबंध निदेशक जे ब्रूस भी जहाज पर सवार थे. वो वहां से निकली आखिरी लाइफबोट में मौजूद लोगों में से एक थे. जे ब्रूस ने बाद में हादसे को लेकर अमेरिकी सीनेट से कहा था कि ग्लेशियर के टुकड़े से टक्कर होने के दौरान वे सो रहे थे. उन्हें कैप्टन ने जगाकर बताया था कि जहाज का डूबना लगभग तय है. टक्कर के बाद जहाज में मौजूद टेलीग्राफर्स खतरे वाले सिग्नल भेजने लगे थे.
टक्कर होने के बाद किसे पहुंचा था सिग्नल?
जिन लोगों तक टाइटैनिक हादसे से पहल सिग्नल पहुंचा था, उनमें आर्थर मूर. आर्थर शामिल थे. उस समय वे 4800 किलोमीटर दूर साउथ वेल्स में अपने घर पर थे. उन्होंने घर के रेडियो स्टेशन पर ये सिग्नल पकड़े. वे अगले दिन 15 अप्रैल को पुलिस स्टेशन भी पहुंचे थे, लेकिन उनकी बात पर किसी ने भरोसा नहीं किया था. महासागर में डूबे जहाज के मलबे में अब जंग लग चुका है. बैक्टीरिया और दूसरे कीटाणु टाइटैनिक के मलबे को तेजी से खत्म कर रहे हैं. जानकारों का कहना है कि वो दिन दूर नहीं, जब टाइटैनिक का अस्तित्व हिस्ट्री बनकर रह जाएगा.