श्रीलंका में ईस्टर के दिन गिरजाघरों और लग्जरी होटलों में भीषण बम विस्फोट के बाद अब हुई आत्मघाती बमबारी के बाद अब द्वीपीय देश की अर्थव्यवस्था को खतरा पैदा हो गया है, जो काफी हद तक पर्यटन पर निर्भर है. यह देश अपने मौलिक समुद्र तटों, चाय बागानों और घने जंगलों की वजह से दक्षिण एशिया के शीर्ष पर्यटन स्थलों में से एक है.
इस आत्मघाती हमले के बाद लोगों पर इसका बुरा असर हुआ है. लोगों का कहना है कि इन हमलों ने कैसे उनके भविष्य को प्रभावित किया है, क्योंकि आगुंतकों में अनिश्चितता व्याप्त है और अब वे इस देश को सुरक्षित स्थान के रूप में नहीं देखते.
फ्रांस के एक पर्यटक जीन-मार्क एन अपनी पत्नी के साथ कोलंबो उसी दिन पहुंचे थे, जिस दिन हमले हुए थे. उन्होंने समाचार एजेंसी एफे को बताया कि उन्हें एक भी आदमी नहीं दिखा, ना ही एक भी कार दिखी है, केवल सैनिक दिख रहे हैं. यह दर्द में डूबा शहर है, हमें यह भुतहा शहर लग रहा है, जहां के निवासी डर में जीते हैं. उन्होंने कहा कि जिस दिन वह वहां पहुंचे उस दोपहर शहर पूरी तरह से निर्जन था, क्योंकि कर्फ्यू लगा हुआ था, इसलिए कोई दिख नहीं रहा था, जबकि हम जानते थे कि कोलंबो जीवन से भरपूर देश है.
बता दें कि श्रीलंका में रविवार को ईस्टर के दिन गिरजाघरों और लग्जरी होटलों में एक के बाद एक बम धमाकों में बुधवार सुबह तक मरने वालों का आंकड़ा 359 तक पहुंच गया है. श्रीलंका के अधिकरियों के मुताबिक इस बमबारी में 40 विदेशी मारे गए.
प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने एक प्रेस वार्ता में यह पूछे जाने पर कि हमलों का आर्थिक असर क्या होगा. उन्होंने कहा कि इसका असर खासतौर से पर्यटन पर होगा. हम मामले को देख रहे हैं, पर्यटकों की संख्या गिर सकती है. उन्होंने कहा कि कुछ पर्यटक लौट गए हैं, जो कि समझ में आता है. लेकिन इस बात को रेखांकित किया कि पर्यटन उद्योग सुचारू रूप से चल रहा है.
पर्यटन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष किशु गोम्स ने कहा कि हमलों का पर्यटन और सेवा क्षेत्र पर असर का अभी अनुमान लगाना काफी जल्दबाजी होगी. वर्ल्ड ट्रैवल एंड टूरिज्म कौंसिल के आंकड़ों को देखें तो श्रीलंका के सकल घरेलू उत्पाद में पर्यटन और सेवा क्षेत्र का योगदान 12.5 फीसदी है, जबकि आबादी 2 करोड़ से थोड़ी अधिक है. जिसमें से 10 लाख लोगों को पर्यटन और सेवा क्षेत्र से रोजगार मिलता है.