मिस्त्र की स्वेज नहर में हफ्तेभर से फंसा बड़ा मालवाहक जहाज आज (सोमवार) को आखिरकार हट ही गया. इस बात की जानकारी मिस्त्र के अधिकारियों ने दी है. अधिकारियों के मुताबिक, एक हफ्ते से स्वेज नहर में फंसे जहाज को हटा दिया गया है. इस जहाज का नाम 'एमवी एवर गिवेन' था, जो 400 मीटर लंबा और 59 मीटर चौड़ा था. ये जहाज चीन से नीदरलैंड्स के पोर्ट रोटेरडम जा रहा था.
पिछले एक हफ्ते से स्वेज नहर में जहाज के अटकने से कम से कम 367 जहाज फंस गए थे. इन जहाजों पर क्रूड ऑयल से लेकर मवेशियों के खाने तक का सामान जा रहा था. अब रास्ता खुलने से ये जहाज यहां से निकल सकेंगे.
तेज हवा की वजह से घूम गया था जहाज
एमवी एवर गिवेन जहाज दुनिया का सबसे बड़ा मालवाहक जहाज है. ये चीन से नीदरलैंड के पोर्ट रोटेरडम जा रहा था. तभी रास्ते में स्वेज नहर में जहाज घूम गया और अटक गया. इससे नहर का रास्ता ब्लॉक हो गया. मिस्त्र के अधिकारियों ने न्यूज एजेंसी एपी को बताया था कि तेज हवा की वजह से जहाज घूम गया और फंस गया. क्योंकि जिस दिन (23 मार्च) को ये जहाज नहर में फंसा था, उस दिन यहां 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चल रही थी. अधिकारियों के मुताबिक, स्वेज नहर से हर दिन 50 के आसपास जहाज गुजरते हैं.
ऐसे निकाला गया जहाज
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, स्वेज नहर में फंसे दुनिया के सबसे बड़े जहाज को निकालने के लिए टगबोट्स की मदद ली गई. टगबोट्स वो होते हैं, जिनसे जहाज को खींचकर ले जाया जाता है. एमवी एवर गिवेन को निकालने के लिए ऐसे ही 10 टगबोट्स लगाए गए. सोमवार सुबह तक इनकी मदद से जहाज को 80% तक सीधा कर लिया गया था. अधिकारियों ने बताया कि जहाज को निकालने में सबसे बड़ी चुनौती ये भी थी कि इसके ऊपर 2.20 लाख टन से ज्यादा का सामान लदा हुआ था.
क्यों खास है स्वेज नहर?
कारोबार के लिहाज से स्वेज नहर बहुत मायने रखती है. इस नहर को कारोबार के लिए 1869 में खोला गया था. ये नहर एशिया को यूरोप से और यूरोप को एशिया से जोड़ती है. दुनियाभर में तेल का जितना कारोबार होता है, उसका 7% इसी नहर के जरिए किया जाता है. वहीं वैश्विक कारोबार का 10% कारोबार भी स्वेज नहर से ही होता है. पिछले साल स्वेज नहर से सालभर में 19 हजार से ज्यादा जहाज गुजरे थे. 193 किलोमीटर से भी ज्यादा लंबी स्वेज नहर भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ती है.
कितना बड़ा है एमवी एवर गिवेन जहाज?
ये जहाज पनामा का है. इसे 2018 में बनाया गया था. इस जहाज की लंबाई 400 मीटर यानी 1,312 फीट और चौड़ाई 59 मीटर यानी 193 फीट है. इस लिहाज से ये दुनिया की सबसे बड़ी कार्गो शिप है. इस जहाज से एक बार में 20 हजार से ज्यादा कंटेनर ले जाए सकते हैं.
जहाज निकलने की खुशी का असर?
इस जहाज के फंसने से दुनियाभर में कच्चे तेल की आपूर्ति पर भी असर पड़ रहा था. नतीजा ये हुआ कि दुनियाभर में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ गईं. लेकिन सोमवार सुबह जब जहाज के निकलने और नहर के खुलने की खबरें सामने आने लगीं, तो कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट भी आई. सोमवार को बेंट क्रूड ऑयल की कीमत 2% गिरकर 63 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई.