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अमेरिका की सख्त चेतावनी, कहा- एशिया में चीन की दबंगई नहीं की जाएगी बर्दाश्त

एशिया के देशों को लगातार धमकाने वाले चीन को अमेरिका ने कड़ी चेतावनी दी है. अमेरिकी प्रशासन ने सख्त लहजे में कहा कि वह चीन को एशिया के देशों को धमकाने और उनके साथ जबरदस्ती करने की इजाजत कतई नहीं देगा.

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग

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एशिया में दबंगई दिखाने वाले चीन को अमेरिका ने कड़ी चेतावनी दी है. अमेरिकी प्रशासन ने सख्त लहजे में कहा कि वह एशिया क्षेत्र में चीन की दबंगई को कतई बर्दाश्त नहीं करेगा. डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की सीनियर अधिकारी सुसान थार्नटन ने कहा कि चीन को एशियाई देशों को धमकाने और उनके साथ जबरदस्ती करने की इजाजत किसी कीमत पर नहीं दी जाएगी.

उन्होंने कहा कि अमेरिका चीन के साथ सकारात्मक संबंध चाहता है. लिहाजा दोनों देशों को अपने मतभेदों को सुलझाने के लिए काम करना चाहिए. पूर्व एशियाई एवं प्रशांत मामलों की कार्यवाहक सहायक सुसान थार्नटन ने ये बात सीनेट की फॉरेन रिलेशंस कमेटी के सदस्यों के समक्ष सुनवाई के दौरान कही.

उन्होंने कहा कि हम इस बात को स्पष्ट करते आए हैं कि एशिया से अमेरिका को दूर करने और क्षेत्र के देशों को धमकाने की चीन की कोशिशों को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि अगर अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था ने चीन को लगातार आगे बढ़ने के लिए सक्षम बना रहा है, तो उसको इसके नियमों और मानकों का भी पालन करना चाहिए. इसका गलत इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

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उन्होंने कहा कि चीन को एशिया के देशों को धमकाने और उनसे जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए, बल्कि उनके साथ समानता का व्यवहार करना चाहिए. सुसान थार्नटन ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिकी प्रशासन हिंद प्रशांत रणनीति के जरिए एशिया क्षेत्र के देशों के साथ भागीदारी को मजबूत करने के लिए काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि अमेरिकी प्रशासन एशिया प्रशांत में उच्च मानकों और निष्पक्ष व्यापार को बढ़ावा देने को भी लगातार प्राथमिकता देता रहेगा.

सुसान थार्नटन ने कहा कि वर्तमान में एशिया-प्रशांत क्षेत्र सुरक्षा संबंधित खतरों और आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है. उत्तर कोरिया की ओर से तनाव और खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है. महत्वाकांक्षी चीन के उदय और आतंकवाद के बढ़ने से भी क्षेत्र में खतरा बढ़ा है. हालांकि कई वर्षों तक एशिया क्षेत्र में शांति और समृद्धि रही है. उन्होंने कहा कि अमेरिका एशिया प्रशांत क्षेत्र के हित के लिए प्रतिबद्ध है और आगे भी रहेगा.

मालूम हो कि दक्षिण चीन सागर मामले को लेकर चीन लगातार पड़ोसी मुल्कों को धमका रहा है और परेशान कर रहा है. वह इस पर अपना अधिकार बता रहा है, जबकि वियतनाम, फिलिपींस, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान भी इस पर अपना अधिकार जता रहे हैं. इसके अलावा सीमा विवाद को लेकर भी चीन के भारत समेत कई देशों के साथ विवाद है.

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पाकिस्तान के चीन के खेमे में जाने की आशंका

पाकिस्तान के चीन के खेमे में जाने की आशंका जाहिर की जा रही है. इससे पहले गुरुवार को अमेरिका की खुफिया एजेंसियों ने कहा था कि आने वाले वर्षों में पाकिस्तान दक्षिण एशिया में अमेरिकी हितों के लिए घातक साबित हो सकता है. पाकिस्तान का झुकाव साल 2019 तक अमेरिका से हटकर चीन की तरफ बढ़ सकता है.

अमेरिका की नेशनल इंटेलिजेंस के डायरेक्टर डेनियल आर कोट्स ने अमेरिकी कांग्रेस में वर्ल्डवाइड थ्रेड असेसमेंट रिपोर्ट पेश करते हुए बताया था कि भविष्य में अमेरिकी हितों के आड़े कौन-कौन से देश आ सकते हैं? अमेरिका की सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (CIA), डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी (DIA), फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (FBI) और नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी (NSA) समेत कुल 17 खुफिया एजेंसियों ने इस रिपोर्ट को तैयार किया है.

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