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ट्रंप के मुस्लिम प्रेम की हकीकत आई सामने, यात्रा बैन के लिए लड़ेंगे आखिरी जंग

अमेरिकी राष्ट्रपति का पद संभालने के फौरन बाद ही ट्रंप ने ईरान, लीबिया, सोमालिया, सुडान, सीरिया और यमन के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था. इस फैसले की दुनिया भर में कड़ी आलोचना हुई थी.

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अमेरिकी राष्ट्रपित डोनाल्ड ट्रंप
अमेरिकी राष्ट्रपित डोनाल्ड ट्रंप

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले विदेशी दौरे की शुरुआत सऊदी अरब से करके इस्लाम जगत को हैरान कर दिया था. सऊदी अरब में आयोजित पहली 'अरब इस्लामिक अमेरिकी समिट' में जुटे 55 मुस्लिम देशों के नेताओं को ट्रंप ने इस्लाम पर प्रवचन भी दिया. साथ ही शांति का संदेश दिया था. इससे लोगों को लगने लगा था कि ट्रंप का इस्लाम और मुसलमानों के प्रति नजरिया बदल गया है. हालांकि अभी वह अपने पहले विदेशी दौरे से वापस भी नहीं लौटे थे कि मुस्लिम देशों पर बैन लगाने की आखिरी जंग लड़ने की तैयारी शुरू हो गई है. इससे साफ हो गया है कि सऊदी में ट्रंप का मुस्लिम प्रेम महज एक दिखावा है.

अमेरिकी राष्ट्रपति का पद संभालने के फौरन बाद ही ट्रंप ने ईरान, लीबिया, सोमालिया, सुडान, सीरिया और यमन के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था. इस फैसले की दुनिया भर में कड़ी आलोचना हुई थी और मामले में अदालत को दखल देना पड़ा था. इतने पर भी ट्रंप प्रशासन नहीं माना और अमेरिका की निचली अदालत के खिलाफ फेडरल कोर्ट में अपील की थी. बृहस्पतिवार को फेडरल अपील कोर्ट ने मामले में निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए ट्रंप के बैन लगाने वाले कार्यकारी आदेश के खिलाफ फैसला सुनाया.

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ट्रंप के हालिया सऊदी दौरे और वहां पर मुस्लिम देशों के प्रमुखों को प्रवचन सुनाने के बाद यह माना जा रहा था कि ट्रंप का मुसलमानों के प्रति नजरिया बदल गया है, लेकिन हकीकत इससे उलट है. आज भी ट्रंप सरकार का नजरिया जस का तस है. लिहाजा ट्रंप प्रशासन ने मुस्लिम देशों पर बैन लगाने के फेडरल कोर्ट के आदेश को अमेरिका की शीर्ष अदालत में चुनौती देने का मन बना लिया है. अटॉर्नी जनरल जेफ सेशन्स ने कहा है कि फेडरल कोर्ट के फैसले के खिलाफ यूएस सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाएगी.

अमेरिकी अपील कोर्ट ने क्या कहा?
मुस्लिम देशों पर बैन के खिलाफ अमेरिकी निचली अदालत के फैसले को यूएस सर्किट कोर्ट ऑफ अपील ने 10-3 से सही ठहराया. पहली अपीलीय अदालत ने कहा कि यह बैन संविधान का उल्लंघन करता है. ट्रंप प्रशासन की दलील थी कि राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया था, लेकिन अदालत ने इसको सिरे से खारिज कर दिया. मालूम हो कि ट्रंप ने मार्च में ईरान, लीबिया, सोमालिया, सुडान, सीरिया और यमन के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था.

ट्रंप का मुस्लिम प्रेम महज एक दिखावा
मुस्लिमों के खिलाफ हमेशा जहर उगलते आए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अचानक मुस्लिम प्रेम जाग्रत होने से सिर्फ इस्लामी जगत ही नहीं, बल्कि अमेरिका के लोग भी हैरान थे. ट्रंप के इस बदले रुख पर किसी को यकीन नहीं हो रहा था. विशेषज्ञ ट्रंप के इस कथित बदलाव को शक की निगाह से देख रहे थे, जो एक बार फिर सच साबित हो रहा है. उनका कहना था कि ट्रंप के मुस्लिम प्रेम के पीछे स्वार्थ छिपा हुआ है. वो अपनी सत्ता बचाने और रूस विवाद से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए अपने रुख से उलट मुस्लिम प्रेम जताकर दुनिया को गुमराह कर रहे हैं.

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