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तुर्की में भूकंप से मरने वालों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. 7.8 की तीव्रता से आए भूकंप से हजारों इमारतें ताश के पत्ते की तरह पल भर में धराशायी हो गईं. आलम ये है कि यहां अबतक 21 हजार लोगों की मौत हो चुकी है. बताया जा रहा है कि तुर्की में पिछले 100 साल में आई ये पहली आपदा है. जिंदगियों को बचाने की जद्दोजहद के तहत बड़े स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. लेकिन मलबे में दबे लोगों को बचाना सबसे बड़ी चुनौती है.
कई देश, सरकारें और कई टीमें यहां चौबीसों घंटे बचाव कार्य में जुटी हुई हैं. तुर्की के उन 10 प्रांतों में जहां प्राकृतिक आपदा आई है, लोगों की आंखों और दिलों में डर है. लोगों को शरण देने के लिए सुरक्षित स्थानों का आकलन करना भी किसी चुनौती से कम नहीं है. क्योंकि लोग यहां अब कॉन्क्रीट की इमारतों में रहना नहीं चाहते.
स्ट्रक्चरल इंजीनियर और मियामोतो इंटरनेशनल के सीईओ डॉ. किट मियामोटो ने कहा कि ये झटके काफी खतरनाक थे. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगले 6 महीनों तक यहां भूकंप के झटके लग सकते हैं. लोगों को भी दरार वाली इमारतों की पहचान करने में मदद की ज़रूरत है कि क्या वे रहने के लिए सुरक्षित हैं. डॉ मियामोटो कहते हैं कि यह इस दशक की सबसे बड़ी आपदा है जो लगभग 10 से 20 मिलियन लोगों को प्रभावित करती है. जो देश का लगभग 15-20% है.
मियामोटो कहते हैं कि आप मरने वालों की संख्या को बढ़ते हुए देख रहे हैं, अभी यह कई हजार के आसपास है. यह 40 हजार से ज्यादा हो सकता है. इसका मतलब है कि घायलों का आंकड़ा लगभग 2 लाख लोगों के करीब हो सकता है. उन्होंने कहा कि 10 प्रांतों के भीतर 10,000 इमारतें जो गिर गई हैं, 50,000-100,000 इमारतें क्षतिग्रस्त हो गई हैं. उन्होंने कहा कि न केवल इमारतें, बल्कि सड़कें और पुल भी बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं. छोटे गांव और कस्बों का सपर्क मार्ग टूट चुका है. अब आलम ये है कि लोग वहां पहुंचने के लिए भी कड़ी मशक्कत कर रहे है.
क्या है इमारत गिरने की वजह?
जब उनसे पूछा गया कि इन इमारतों के गिरने की वजह क्या है? डॉ. मियामोतो ने कहा कि 1997 में तुर्की की बिल्डिंग कोड में भारी बदलाव आया था. क्योंकि बिल्डिंग कोड बदल गया है. भूकंप संबंधी मुद्दों को कैसे हैंडल किया जाए. 1997 के बाद अगर कोड का पालन किया गया, लिहाजा ढांचे को सुरक्षित बनाया गया. बिल्डिंग कोड भी हर समय विकसित होते हैं, मौजूदा बिल्डिंग कोड जितना ही अच्छा है. लेकिन इंजीनियरिंग भी अच्छी होनी चाहिए.
तुर्की के इंजीनियर अच्छे हैं, लेकिन सवाल ये है कि इन इमारतों को बनाने वाल ठेकेदार क्या उन नियमों का पालन करते हैं, क्या डिजाइन को लागू करते हैं, यही अंतर है. बेशक कई इमारतें जो ढह गईं, लेकिन वे पुरानी इमारतें थीं. हमारी टीमों ने जमीन से जो रिपोर्ट दी है, वह यह है कि गिरने वाली हर 10 इमारतों में से 9 इमारतें पुरानी थीं. जबकि एक नई थी. उन्होंने कहा कि पुरानी इमारतें ईंट से बनाई गईं थी. जैसी कि आप भारत में देखते हैं.
उन्होंने कहा कि यह एक बड़ा भूकंप है, तुर्की सरकार कुछ इस तरह की तैयारी कर रही है. 1999 में आए भूकंप के बाद से वे जोखिम प्रबंधन के बारे में गंभीर हैं, खासकर इस्तांबुल में जहां 20 मिलियन लोगों का शहर है. उनके पास बहुत मजबूत आपातकालीन प्रतिक्रिया है. इसके साथ ही कहा कि डिजाइन और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के लिए अगर बिल्डिंग कोड का पालन किया जाता है. ऐसे में अगर एक बड़ा भूकंप आता है, तो यह ज्यादा बहुत हिल जाएगा. उन्होंने कहा कि इस नियम का यही मकसद है कि लोगों कीजान बचाना.
नेपाल अपना रहा ये तकनीकी
मियामोटो ने कहा कि नेपाल ने 2015 में एक बड़ा भूकंप देखा था, और उसके बाद वे सही निर्माण कर रहे हैं. उदाहरण के लिए काठमांडू में भूकंप से बचाव को लेकर कई परियोजनाएं तैयार की गई हैं. क्योंकि ऐसा करना जरूरी है. इमारत को अधिक सुरक्षित बनाने के लिए समग्र निर्माण लागत का 5-15% के बीच होती है, जनता को यह बिल्कुल पता नहीं है कि किस बारे में बात करना बहुत महत्वपूर्ण है.
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