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एशिया और यूरोप की सीमा पर बसे मुस्लिम देश तुर्की पर सोमवार तड़के एक ऐसी आफत टूटी, जिसने हजारों लोगों की जिंदगियां छीन लीं. एक के बाद आए इन भूकंप के झटकों ने तुर्की का चेहरा ही बदल दिया. हजारों लोगों को मौत की आगोश में ले गए भूकंप के कहर से जो लोग बच गए, उनके लिए दिक्कतें और बढ़ीं. अपना सब कुछ गंवा चुके लोग सर्द रातों में या तो सड़कों पर या फिर राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं. ऐसे में राष्ट्रपति अर्दोगन की सरकार 'भूकंप टैक्स' पर घिर गई है.
विपक्ष के साथ-साथ स्थानीय लोग सरकार से पूछ रहे हैं कि भूकंप टैक्स का पैसा कहां है और सरकार ने उसे कहां-कहां और कब-कब खर्च किया? सरकार को सीधे तौर पर कटघरे में खड़ा कर उनसे सवाल पूछे जा रहे हैं कि 88 अरब लीरा की वह धनराशि कहां गई, जिसे कई दशकों से भूकंप टैक्स के नाम पर वसूला जा रहा है. बता दें कि लीरा तुर्की की मुद्रा का नाम है.
क्या है तुर्की का भूकंप टैक्स?
साल 1999 में तुर्की में एक भीषण भूकंप आया था, जिसमें 17000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. इस भूकंप से उबर पाना तुर्की के लिए आसान नहीं था. बड़े पैमाने पर देश को आर्थिक नुकसान भी पहुंचा था. ऐसे में तत्कालीन सरकार ने भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा से निपटने और राहत कार्यों को अंजाम देने के लिए लोगों से भूकंप टैक्स वसूलना शुरू किया था. तब से लगातार यह टैक्स लोगों से वसूला जा रहा है और फिलहाल इसकी धनराशि की अनुमानित राशि 88 अरब लीरा यानी 4.6 अरब डॉलर बताई जा रही है. इस टैक्स को आधिकारिक तौर पर स्पेशल कम्युनिकेशन टैक्स (Special Communication Tax) कहा जाता है. लेकिन सरकार ने आज तक कभी यह सार्वजनिक नहीं किया कि इस धनराशि का इस्तेमाल किस तरह किया गया.
भूकंप के बीच सियासी ड्रामा
तुर्की सरकार ने भूकंप से सर्वाधिक प्रभावित 10 प्रांतों में तीन महीने का आपातकाल लगा दिया है. इस तरह से यह आपातकाल अप्रैल तक रहेगा और मई में देश में राष्ट्रपति चुनाव होने जा रहे हैं. विपक्ष इसे भी अर्दोगन सरकार का सियासी हथकंडा बता रहा है. तुर्की में विपक्ष के रूप में दक्षिणपंथी पार्टियां सेंटर लेफ्ट पार्टियों का गठबंधन है. विपक्षी गठबंधन की ओर से Kamal Kilicdaroglu राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बन सकते हैं. उन्होंने अर्दोगन सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी सरकार ने इतने सालों में भूकंप से निपटने को लेकर कोई तैयारी नहीं की थी.
Kilicdaroglu ने बकायदा एक वीडियो पोस्ट कर कहा है कि वह राष्ट्रपति अर्दोगन से किसी भी प्लेटफॉर्म पर मुलाकात नहीं करेंगे. उन्होंने अर्दोगन पर भूकंप के बाद से पीआर गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया.
समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, विपक्ष के अलावा भूकंप से प्रभावित स्थानीय लोग भी अर्दोगन सरकार से सवाल पूछ रहे हैं कि हमारे टैक्स का पैसा कहां गया. हमने 1999 से जो पैसा भूकंप टैक्स के तौर पर दिया है, वह कहां है?
सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिनमें देखा जा सकता है कि लोग सरकार से पूछ रहे हैं कि सरकार कुछ खास मदद नहीं कर पा रही है. रोचक बात यह है कि भूकंप टैक्स के तहत वसूले जाने वाली इस धनराशि को किसी विशेष फंड में जमा नहीं किया जाता बल्कि इसे सीधे तौर पर बजट धनराशि में शामिल किया जाता है.
कहां खर्च हुआ भूकंप टैक्स का पैसा?
भूकंप टैक्स फंड को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया गया है. सरकार पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि भूकंप टैक्स के नाम पर इकट्ठा की गई अधिकांश धनराशि उस उद्देश्य के लिए खर्च ही नहीं की गई, जिस नाम पर लोगों से वसूली जाती रही. सरकार ने इतने सालों में कभी नहीं बताया कि यह पैसा कहां और कब खर्च किया गया.
अरब न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, तुर्की की विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि सरकार भूकंप से शहरों और गांवों को बचाने के लिए इकट्ठा कर रहे भूकंप टैक्स का दुरुपयोग कर रही है. पेशे से वकील और नेता अल्पाय एंटमेन का कहना है कि इस फंड का इस्तेमाल शहरों के विकास और भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में आपदा से बचाव में किया जाना था लेकिन इस धनराशि का एक बड़ा हिस्सा अन्य उद्देश्यों पर खर्च किया गया और यह धनराशि सरकार के करीबी बिल्डरों को ट्रांसफर कर दी गई.
अल्पाय एंटमेन ने यह भी कहा था कि 2019 में उन्होंने भूकंप टैक्स से इकट्ठा हुई धनराशि को सरकार ने जहां-जहां खर्च किया है, उसका ब्योरा तत्कालीन वित्त मंत्री को सौंपा था. यह जांच रिपोर्ट बाद में तुर्की के गृह मंत्रालय को सौंपी गई लेकिन वहां से जवाब आया है कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है.
बीते 20 सालों से तुर्की की सत्ता संभाल रहे अर्दोगन 2014 से देश के राष्ट्रपति हैं जबकि 2014 से पहले वह प्रधानमंत्री पद पर थे. भूकंप टैक्स पर जब पिछली बार 2019-2020 में हंगामा हुआ था तो उस समय अर्दोगन ने कहा था कि हमने इस धनराशि को वहीं खर्च किया है, जहां खर्च करना चाहिए था. फिलहाल हमारे पास इन मामलों की जवाबदेही का समय नहीं है.
बता दें कि तुर्की और सीरिया में भूकंप से अब तक 11,000 से ज्यादा मौतें हो गई है. अकेले तुर्की में भूकंप से अब तक लगभग 9000 मौतें हुई हैं जबकि तकरीबन 50,000 लोग घायल हैं.