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भूकंप के जोरदार झटकों से तुर्की तहस नहस हो चुका है. भूकंप के 100 घंटे बाद तुर्की और सीरिया में मरने वालों का आंकड़ा 21 हजार के पार पहुंच गया है. पलभर में हजारों लोग बेघर हो गए. यह पिछले 100 साल में आई सबसे भयंकर आपदा है. भूकंप की तबाही के बीच अब भीषण सर्दी, भूख और निराशा लगातार मुसीबत को बढ़ा रही हैं. रेस्क्यू में जुटी टीमें इमारतों के मलबे से लोगों को बचाने के प्रयास में लगी हुई हैं. पिछले सोमवार को तुर्की और सीरिया के बीच सीमा क्षेत्र में 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था. यहां तबाही का मंजर कुछ ऐसा है कि शहर की सड़कों पर लाशें बिछी हैं कंबलों, गलीचों और तिरपालों में शव लिपटे पड़े हैं. मुर्दाघर और कब्रिस्तान फुल हो चुके हैं. वहीं एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि अभी आगामी 6 महीने तक तुर्की में इसी तरह के भूकंप के झटके आते रहेंगे. जानते हैं तुर्की में आए भूकंप के बाद बड़े अपडेट्स...
राष्ट्रपति एर्दोआन बोले- एक साल में बना देंगे नए घर
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन ने भूकंप से तबाह क्षेत्रों का दौरा किया. उन्होंने कहा कि भूकंप से बचे लोगों के लिए घरों को फिर से तैयार किया जाएगा. साथ ही कहा कि नष्ट हुए घरों को एक साल के अंदर फिर से बनाया जाएगा. उन्होंने कहा कि सरकार प्रभावित परिवारों को 10,000 तुर्की लीरा (532 डॉलर) प्रदान करेगी. वहीं तुर्की के भूकंप प्रभावित इलाकों में रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. अब भी कई लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका है. जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है. वैसे-वैसे लोगों के जिंदा मिलने की उम्मीदें भी कम होती जा रही हैं. तुर्की में 6 फरवरी की सुबह भूकंप आया था, यानी इसे अब तक 4 दिन (करीब 100 घंटे) हो चुके हैं.
एक्सपर्ट बोले- 40 हजार पार कर सकता है मौतें का आंकड़ा
एक्सपर्ट्स के मुताबिक तुर्की में अगले 6 महीनों तक यहां भूकंप के झटके लग सकते हैं. भूकंप से करीब 10 से 20 मिलियन लोग प्रभावति हुए हैं. इसके साथ ही आशंका जताई गई है कि मरने वालों का आंकड़ा 40 हजार से ज्यादा हो सकता है. जबकि घायलों का आंकड़ा लगभग 2 लाख लोगों के करीब हो सकता है. भूकंप में तुर्की के 10 प्रांतों सबसे ज्याद प्रभावित हुए हैं. इनमें 10,000 इमारतें जो गिर गई हैं, जबकि 50 हजार से एक लाख इमारतें क्षतिग्रस्त हो गई हैं.
7.8 की तीव्रता वाले भूकंप के बाद आए 1509 आफ्टरशॉक
एपी की रिपोर्ट्स के मुताबिक तुर्की में सोमवार को आए 7,8 की तीव्रता वाले भूकंप के बाद अबतक 1509 ऑफ्टरशॉक आ चुके हैं. यहां 20700 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. रेस्क्यू की टीमें दिनरात लोगों को बचाने में लगी हुई हैं. तुर्की में भूकंप प्रभावित कई इलाकों में अभी भी मदद नहीं पहुंच पाई है. इसे लेकर लोगों में गुस्सा भी है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अन्ताकिया शहर में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला. यहां 64 साल की महिला मेलक ने कहा कि हमें कहीं रेस्क्यू टीम नजर नहीं आ रही. न टेंट हैं और न फूड ट्रक. उन्होंने कहा कि हम भूकंप से तो बच गए, लेकिन सर्दी और भूख से मर जाएंगे. हमें कहीं भी खाना मिलता नहीं दिख रहा.
94 घंटे तक फंसे किशोर को सुरक्षित निकाला
तुर्की के गाजियांटेप शहर में शुक्रवार तड़के एक ढह गई इमारत के मलबे के नीचे से एक17 साल के किशोर को बचाया गया है. बचाव दल ने अदनान मुहम्मद कोरकुट को उस तहखाने से निकाला, जहां सोमवार को भूकंप आने के बाद से वह फंसा हुआ था. 94 घंटे तक मलबे में फंसे रहने वाले अदनान ने कहा कि यह काफी खतरनाक हालात थे. उसने कहा कि प्यास लगने पर उसे मजबूरी में अपना टॉयलेट तक पीना पड़ा.
70 देशों ने बढ़ाया मदद का हाथ
भयंकर भूकंप की चपेट में आए तुर्की की मदद के लिए 70 देशों के साथ ही भारत भी आगे आया है. भारत ने तुर्की को 'ऑपरेशन दोस्त' के तहत विशेष मदद भेजी है. भारत की तरफ से NDRF की 3 टीमें रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए तुर्की पहुंची हैं. इनमें विशेष रेस्क्यू डॉग स्क्वायड भी शामिल है. इसके अलावा भारत ने भारतीय वायु सेना के एक ट्रांसपोर्ट विमान में जीवन रक्षक दवाओं और चिकित्सा वस्तुओं सहित छह टन राहत सामग्री तुर्की के अलावा भूकंप से प्रभावित हुए सीरिया में भेजी हैं. दुनिया भर के कई देशों ने बचाव और बचाव के प्रयासों में इन दोनों देशों की मदद की है.
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