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पाकिस्तान में जिस तरह महंगाई आसमान छू रही है, कुछ वैसा ही हाल उसके करीबी दोस्त तुर्की का है. तुर्की भयानक महंगाई की मार झेल रहा है. सब्सिडी पर सस्ती ब्रेड खरीदने के लिए दुकानों के बाहर लंबी लाइनें लगी हैं. यहां तक कि दूध, दवाइयों और दैनिक इस्तेमाल की सभी जरूरी वस्तुएं भी बहुत महंगी मिल रही हैं. महंगाई से त्रस्त जनता अब सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आई है. लोग महंगाई के लिए राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन की आर्थिक नीतियों को ही जिम्मेदार मान रहे हैं.
सस्ती ब्रेड के लिए दुकानों के बाहर लगी हैं लंबी कतारें
तुर्की में ब्रेड लोगों के भोजन का मुख्य हिस्सा है. एक साल में प्रति व्यक्ति ब्रेड की खपत औसतन 200-300 किलो है. ऐसे में ब्रेड की बढ़ती कीमतों की मार जनता पर पड़ी है. तुर्की में सब्सिडी वाले 250 ग्राम सस्ते ब्रेड की कीमत 6.87 रुपए है. वहीं, निजी बेकरी पर 250 ग्राम ब्रेड कम से कम 14 रुपए में मिल रहा है. इसलिए लोग सस्ता ब्रेड खरीदने के लिए लाइनों में खड़े देख जा रहे हैं.
बढ़ती कीमतों से परेशान 71 वर्षीय नियाजी टोप्रेक ने अलजजीरा को बताया, 'सबकुछ महंगा होता जा रहा है. ब्रेड से लेकर खाने-पीने की सभी चीजें महंगी हो गईं हैं. कपड़े, मोजे भी महंगे हो गए हैं.'
लीरा में ऐतिहासिक गिरावट
सोमवार को स्थिति तब और खराब हो गई जब तुर्की के वित्त मंत्री ने चिंता जताई कि केंद्रीय बैंक 16 दिसंबर को फिर से ब्याज दरों में कटौती कर सकता है. इसके बाद तुर्की की मुद्रा लीरा में ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की गई. लीरा एक ही दिन में डॉलर के मुकाबले 7 फीसद कमजोर हो गई. पिछले एक साल में डॉलर के मुकाबले लीरा में 48 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, नवंबर महीने में तुर्की की वार्षिक महंगाई दर 21.3 प्रतिशत हो गई. लेकिन सरकार के आलोचक इस सरकारी आंकड़े पर सवाल उठा रहे हैं और कह रहे हैं कि महंगाई दर इससे कहीं अधिक है.
राष्ट्रपति की आर्थिक नीतियों के कारण तुर्की में बढ़ी महंगाई
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि तुर्की की आर्थिक समस्याएं काफी हद तक राष्ट्रपति की अपरंपरागत आर्थिक नीतियों का परिणाम हैं. उन्होंने अपने से असहमत होने वाले कई शीर्ष अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया और केंद्रीय बैंक पर उच्च मुद्रास्फीति के बावजूद ब्याज दरों में कटौती करने के लिए दबाव डाला है.
राष्ट्रपति का मानना है कि इससे तुर्की का आर्थिक विकास होगा और विदेशी निवेश बढ़ेगा. हालांकि, उनकी इस नीति से देश में महंगाई आसमान छू रही है और लोग राष्ट्रपति का विरोध कर रहे हैं.
राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन के गृहनगर में भी बढ़ा असंतोष
रेचेप तैयप एर्दोआन पिछले 18 सालों से तुर्की के राष्ट्रपति हैं और अपने गृहनगर राइज (Rize) में लोकप्रिय माने जाते हैं. लेकिन बढ़ती महंगाई का सबसे बुरा असर राइज पर ही पड़ा है. उर्वरक और कच्चे माल की बढ़ती लागत के कारण राइज का मुख्य उत्पाद और इसकी अर्थव्यवस्था की रीढ़, चाय की खेती कम हो गई है.
भोजन, ईंधन और दवा की बढ़ती कीमतों को लेकर राइन के लोग एर्दोआन के नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं. यहां के निवासियों और राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राष्ट्रपति की जस्टिस एंड डेवलपमेंट पार्टी, जिसे एकेपी के नाम से जाना जाता है, एक ऐसे शहर में भी अपना समर्थन खो रही है जहां एर्दोआन ने अपना बचपन बिताया.