तुर्की और सीरिया में पिछले हफ्ते आए विनाशकारी भूकंप से मरने वालों का आकंड़ा 40,000 हो गया है. तुर्की की मदद के लिए भारत समेत दुनिया के कई देश आगे आए हैं. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी सोमवार को तुर्की के लोगों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करने के लिए इस्लामाबाद स्थित तुर्की दूतावास का दौरा किया.
पाकिस्तानी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक, शहबाज शरीफ ने तुर्की के राजदूत मेहमत पक्कासी से मुलाकात के दौरान तुर्की के लोगों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की और तुर्की में विनाशकारी भूकंप के पीड़ितों के लिए प्रार्थना की.
पीएम शरीफ ने तुर्की के राजदूत को यह भी आश्वासन दिया कि पाकिस्तान की सरकार और लोग तुर्की के लोगों के साथ एकजुटता के साथ खड़े हैं. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान तुर्की में अपने राहत और बचाव के प्रयासों को तब तक जारी रखेगा जब कि अंतिम प्रभावित व्यक्ति का पुनर्वास नहीं हो जाता.
इस दौरान पीएम शरीफ ने बताया कि पाकिस्तान किस तरह तुर्की के प्रभावित लोगों की मदद कर रहा है. शहबाज शरीफ के साथ पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी, वित्त मंत्री इशाक डार, आर्थिक मामलों के मंत्री सरदार अय्याज सादिक, कानून मंत्री आजम नजीर तरार आदि नेताओं ने भी तुर्की दूतावास का दौरा किया.
तुर्की के राजदूत ने तुर्की की मदद के लिए पाकिस्तान के लोगों और प्रधानमंत्री का शुक्रिया अदा किया और कहा कि वो मदद से अभिभूत हैं.
शहबाज शरीफ भूकंप के बाद तुर्की भी जाने वाले थे. पाकिस्तान ने शरीफ के तुर्की दौरे की घोषणा भी कर दी थी लेकिन निर्धारित दौरे के दिन ही उनका दौरा रद्द कर दिया. कहा गया कि राहत कार्य और खराब मौसम को देखते हुए शरीफ का दौरा रद्द किया गया है.
हालांकि, ऐसी रिपोर्टें सामने आईं कि तुर्की ने खुद शहबाज शरीफ को अपने यहां आने से मना कर दिया. तुर्की का कहना था कि फिलहाल वो अपने देश के लोगों की देखभाल कर रहा है, किसी गेस्ट की मेहमाननवाजी नहीं कर सकता.
पिछले सोमवार को तुर्की-सीरिया में आया था भीषण भूकंप
पिछले सोमवार को तुर्की और सीरिया में आए विनाशकारी भूकंप ने करीब 40,000 लोगों की जान ले ली है. 7.8 तीव्रता वाले भूकंप के बाद भी कई अफ्टरशॉक आए जिसमें तुर्की के दसियों शहर जमींदोज हो गए और लोग इमारतों के मलबे में दब गए. तुर्की में राहत और बचाव कार्य के लिए बहुत से देशों ने अपनी रेस्क्यू टीमें भेजी.
भूकंप को एक हफ्ता बीत जाने के बाद अब मलबे से किसी का जिंदा निकल पाना बेहद मुश्किल लग रहा है. फिर भी चमत्कार की उम्मीद लिए रेस्क्यू टीमें बचाव कार्य में लगी हुई हैं. जो लोग मलबे से जिंदा निकाले जा रहे हैं, उनकी जिंदगी भी अब आसान नहीं रही है. उनका आशियाना छिन चुका है. अब वो हर चीज के लिए सरकारी और दूसरे देशों की मदद पर निर्भर हैं. लोग ठंड में टेंटों में रहने को मजबूर हैं और साफ पानी, शौचालय की कमी का सामना कर रहे हैं.
पाकिस्तान ने भी राहत और बचाव कार्य के लिए अपनी सेना के खोज और बचाव दल को भेजा है. पाकिस्तानी टीम ने इस दौरान छह से ज्यादा लोगों को मलबे से जिंदा निकाला है. टीम में मलबे में दबकर मरने वाले 80 लोगों के शव भी बरामद किए हैं.