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तुर्की के राष्ट्रपति ने ऐसा क्या किया रातोरात लीरा बन गया बादशाह

तुर्की की मुद्रा लीरा में लगातार कई दिनों से रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की जा रही थी. अब राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने एक फैसला लिया है जिसके बाद डॉलर के मुकाबले लीरा की कीमतों में उछाल देखा जा रहा है. हालांकि, विश्लेषकों का कहना है कि लीरा पर आया संकट अभी पूर्ण रूप से टला नहीं है.

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तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन (Photo-Reuters)
तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन (Photo-Reuters)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • तुर्की की मुद्रा लीरा में जबर्दस्त उछाल
  • तुर्की के राष्ट्रपति ने लीरा में बचत करने वालों को दी ये गारंटी
  • डॉलर के मुकाबले लीरा की सुधरी स्थिति

तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन के एक फैसले के बाद रातोरात तुर्की की करेंसी लीरा डॉलर की तुलना में 25 फीसदी मजबूत हो गई. सोमवार को लीरा ऐतिहासिक रूप से सबसे निचले स्तर पर आ गई थी. लीरा में इस साल 44 फीसदी तक की गिरावट आई है.  

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लीरा में जारी गिरावट के कारण तुर्की के राष्ट्रपति की आर्थिक नीतियों की आलोचना हो रही थी. इन्हीं आलोचनाओं के बीच राष्ट्रपति एर्दोगन ने सोमवार शाम घोषणा की कि वह गारंटी लेते हैं कि लीरा में बचत करने वालों को गिरावट के दौरान भी नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा. दरअसल, लीरा की कमजोर होती हालत के कारण लोगों ने डॉलर खरीदना शुरू कर दिया था और इससे डॉलर की मांग और बढ़ गई थी. ऐसी में लीरा की स्थिति और कमजोर होती. एर्दोगन के लिए इसे रोकना सबसे बड़ी चुनौती थी. 

एर्दोगन ने कहा कि लोग लीरा की जगह डॉलर में बचत करना बंद करें. तुर्की के राष्ट्रपति ने अपने नागरिकों से वादा किया कि एक्सचेंज रेट बढ़ने के बावजूद लीरा में बचत करने वालों के नुकसान की भरपाई सरकार करेगी. 

उनकी इस घोषणा के बाद डॉलर के मुकाबले लीरा की कीमत में अचानक बढ़ोतरी देखने को मिली. एर्दोगन के इस ऐलान से पहले एक डॉलर के मुकाबले लीरा की कीमत 18.4 थी. एर्दोगन के फैसले के बाद करीब एक ही दिन में डॉलर के मुकाबले लीरा की कीमत में 25 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई. किसी एक दिन में लीरा की कीमत में इतना उछाल अपने आप में ही रिकॉर्ड है.

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टर्किश बैंक्स एसोसिएशन के मुताबिक, एर्दोगन ने जैसे ही इस कदम की घोषणा की, लोगों ने करीब एक अरब डॉलर बाजार में बेचकर लीरा खरीदा. 

कैबिनेट बैठक के बाद संबोधित करते हुए एर्दोगन ने कहा कि अब देश को लोगों को डॉलर के मुकाबले अपनी मुद्रा की कीमत गिरने की वजह से लीरा को विदेशी मुद्रा में बदलने की जरूरत नहीं पड़ेगी. एर्दोगन तमाम आलोचना के बावजूद ब्याज दरों में कटौती की वकालत करते रहे हैं. एर्दोगन का मानना है कि इससे महंगाई दर काबू में रहेगी. हालांकि, लीरा की पस्त हालत के लिए एर्दोगन की ब्याज नीति को ही जिम्मेदार ठहराया जा रहा था.

तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने कहा कि अगर लीरा की कीमत डॉलर या दूसरी मजबूत मुद्रा की तुलना में गिरती है और ये गिरावट अगर बैंक की ब्याज दरों से ज्यादा होती है तो सरकार इस फर्क की भरपाई करेगी.

उदाहरण के तौर पर, अगर बैंक एक साल के लीरा डिपॉजिट पर 15 फीसदी ब्याज देता है लेकिन इसी अवधि में लीरा का डॉलर के मुकाबले 20 फीसदी तक अवमूल्यन हो जाता है तो इसके अंतर की भरपाई सरकार करेगी.

ये सुविधा उन लोगों के लिए होगी, जिन्होंने तीन महीने से लेकर एक साल तक की अवधि के लिए लीरा करेंसी में जमा किया हो. न्यूनतम ब्याज दर केंद्रीय बैंक के बेंचमार्क के मुताबिक ही होगी और इस पर कोई टैक्स भी नहीं लिया जाएगा.

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इससे लीरा की हालत में कैसे सुधार होगा?

अगर डॉलर या दूसरी मजबूत करेंसी में डिपॉजिट करने वाले लोग लीरा में जमा करना शुरू कर देते हैं तो मांग बढ़ने से टर्किश करेंसी लीरा की स्थिति में सुधार होगा. महंगाई पर भी रोक लगेगी और एर्दोगन को घटते वोटर बेस को भी बढ़ाने में मदद मिलेगी. बैंकिंग वॉचडॉग डेटा के मुताबिक, तुर्की बैंकिंग सिस्टम में आधे से ज्यादा डिपॉजिट हार्ड करेंसी (ऐसी करेंसी जिसकी कीमत सामान्यत: स्थिर रहती है जैसे-डॉलर) में ही है.

हालांकि, ज्यादातर अकाउंट्स का मैच्योरिटी पीरियड केवल कुछ हफ्तों का ही होता है, ऐसे में इसकी संभावना कम ही है कि लीरा में बड़े पैमाने पर अचानक से डिपॉजिट होने लगेंगे.

महंगाई और वित्तीय व्यवस्था पर क्या फर्क पड़ेगा?

विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार ने रिटेल बैंकिंग खातों में जमा 3.3 ट्रिलियन लीरा पर गारंटी लेकर एक बड़ा जोखिम लिया है. अगर लीरा की कीमत डिपॉजिट रेट से ज्यादा गिरती है तो इसका बोझ बजट पर पड़ेगा. दूसरी तरफ, अगर केंद्रीय बैंक इस अंतर की भरपाई करने के लिए ज्यादा बैंक नोट छापती है तो महंगाई और बढ़ेगी.

विश्लेषकों का कहना है कि भले ही कुछ समय के लिए लीरा पर आया संकट टल गया है और रिटेल डिपॉजिटर्स में लोकल करेंसी को लेकर कुछ भरोसा जगा है लेकिन ये संकट खत्म नहीं हुआ है. न्यूयॉर्क में वेल्स फार्गो में करेंसी स्ट्रैटेजिस्ट ब्रैंडन मैकन ने कहा, फिलहाल, तुर्की की संस्थाओं की विश्वसनीयता बहुत ज्यादा नहीं रह गई है, इसलिए लोगों का लीरा में पूरी तरह से भरोसा जगाना काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है. 

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