दो भारतीय आयुर्वेदिक डॉक्टरों को संयुक्त अरब अमीरात (UAE) का प्रतिष्ठित गोल्डन वीजा मिला है. खलीज टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक यूएई के फेडरल अथॉरिटी फॉर आइडेंटिटी एंड सिटिजनशिप (आईसीए) ने केरल के डॉक्टर श्याम विश्वनाथन पिल्लई और डॉक्टर जसना जमाल को गोल्डन वीजा दिया है.
अबू धाबी में बुर्जील डे सर्जरी सेंटर में वैद्यशाला के सीईओ पिल्लई को 17 जून को चिकित्सा पेशेवरों और डॉक्टरों की श्रेणी के अंतर्गत गोल्डन वीजा दिया गया. पिल्लई ने कहा कि आयुर्वेद और आयुर्वेद के डॉक्टरों को इस तरह के समर्थन के लिए यूएई के प्रशासकों और नीति निर्माताओं के प्रति मेरा हार्दिक आभार.
केरल के कोल्लम के रहने वाले पिल्लई 2001 में दुबई आए थे. दुबई के अल ममजार की रहने वाली डॉक्टर जसना जमाल को 24 जून को गोल्डन वीजा दिया गया. उन्होंने कहा कि अल्लाह के चलते मुझे गोल्डन वीजा से सम्मानित किया गया है. यह बहुत खुशी की बात है. मैं इस शानदार अवसर के लिए यूएई के नेताओं को तहे दिल से धन्यवाद देती हूं. जसना केरल के त्रिशूर की रहने वाली हैं.
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क्या है गोल्डन वीजा
असल में, गोल्डन वीजा से संयुक्त अरब अमीरात में लंबे समय तक रहने और काम करने की इजाजत मिल जाती है. गोल्डन वीजा सिस्टम से अनिवार्य रूप से कुछ खास श्रेणी के लोगों को लंबे समय (5 और 10 वर्ष) तक यूएई में रहने की इजाजत मिल जाती है. इनमें निवेशक, उद्यमी, उत्कृष्ट प्रतिभा वाले व्यक्ति मसलन शोधकर्ता, मेडिकल पेशेवर, वैज्ञानिक और छात्र शामिल हैं.
संयुक्त अरब अमीरात में गोल्डन वीजा सिस्टम के तहत कारोबारियों के अलावा, विशेष प्रतिभा वाले लोग भी वीजा के लिए आवेदन कर सकते हैं. इनमें डॉक्टर, रिसर्चर, वैज्ञानिक, निवेशक और कलाकार शामिल हैं. इन लोगों को उनके संबंधित विभागों और क्षेत्रों द्वारा दी गई मान्यता के बाद 10 साल का वीजा दिया जा सकता है. वीजा इनके जीवनसाथी और बच्चों को भी दिया जाएगा.
डॉ श्याम विश्वनाथन पिल्लई ने कहा कि आयुर्वेद को यूएई के स्वास्थ्य मंत्रालय ने पारंपरिक और वैकल्पिक चिकित्सा के रूप में मान्यता दी है. 2002 में संयुक्त अरब अमीरात में आयुर्वेद को वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के तौर पर मान्यता मिली थी. दोनों भारतीयों को मेडिकल पेशेवर के तौर पर यूएई में गोल्डन वीजा मिला है.