ब्रिटेन के व्यापार सचिव जोनाथन रेनॉल्ड्स ने सोमवार को कहा कि भारत के 'जीवंत बाजार' के साथ मुक्त व्यापार समझौता (FTA) हासिल करना ब्रिटिश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है. दोनों देशों के बीच बहुत समय से मुक्त व्यापार समझौते को लेकर बातचीत चल रही है लेकिन पिछले साल दोनों देशों में आम चुनावों के कारण वार्ता रुक गई थी. अब मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत आगे बढ़ाने के लिए ब्रिटिश व्यापार सचिव रेनॉल्ड्स तीन दिवसीय भारत दौरे पर हैं. मुक्त व्यापार समझौते पर भारत-ब्रिटेन के बीच वार्ता ऐसे वक्त में हो रही है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दुनिया के देशों पर भारी टैरिफ लगा रहे हैं.
मुक्त व्यापार वार्ता के लिए नई दिल्ली पहुंचे रेनॉल्ड्स ने कहा, 'जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे भारत के साथ व्यापार समझौता करना अब ज्यादा दूर नहीं है. यह मेरे और हमारी सरकार के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है.'
वार्ता ब्रिटिश व्यापार सचिव और भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के बीच हो रही है. भारत आए ब्रिटिश व्यापार सचिव से मुलाकात के बाद वाणिज्य मंत्री गोयल ने कहा, 'बैठक के दौरान, हमारी चर्चा भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत को आगे बढ़ाने और यह सुनिश्चित करने पर केंद्रित रही कि समझौता संतुलित, महत्वाकांक्षी और पारस्परिक रूप से लाभकारी हो.'
उन्होंने आगे कहा, 'हम सभी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं. हम तीन अलग-अलग पहलुओं- एफटीए, द्विपक्षीय निवेश संधि और दोहरा योगदान सम्मेलन समझौते (Double Contribution Convention Agreement) पर सक्रिय रूप से बातचीत कर रहे हैं. ये तीनों समानांतर हैं और एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं.'
भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते में हो रही देरी को लेकर पीयूष गोयल ने कहा, 'हमें जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए लेकिन चीजों को जल्दी निबटाना अच्छा होता है. इस दिशा में हम तेजी से काम करेंगे लेकिन जल्दबाजी नहीं करेंगे.'
क्या है मुक्त व्यापार समझौता?
मुक्त व्यापार समझौता या Free Trade Agreement दो या इससे ज्यादा देशों के बीच व्यापार और उससे होने वाले लाभ को बढ़ाने के लिए किया जाता है. इस समझौते के तहत दो देश वस्तुओं और सेवाओं के आयात-निर्यात में आने वाली रुकावटों, दिक्कतों को कम करते हैं. इस समझौते के बाद देशों को अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार व्यापार के लिए बहुत कम या न के बराबर टैरिफ देना पड़ता है. अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए कोटा और सब्सिडी आदि भी दिए जाते हैं.
भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते को लेकर जनवरी 2022 में ही वार्ता शुरू हुई थी. ब्रिटेन की तत्कालीन कंजर्वेटिव पार्टी ने भारत के साथ यह वार्ता द्विपक्षीय व्यापार को 41 अरब डॉलर तक बढ़ाने के मकसद से की थी. तब से दोनों देशों के बीच 14 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन मुक्त व्यापार को लेकर कोई समझौता नहीं हो पाया है.
पिछले साल ब्राजील में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर ने कहा था कि नए साल यानी 2025 में एफटीए पर वार्ता फिर से शुरू होगी.
समझौते में 26 चैप्टर हैं जिसमें वस्तु, सेवा, निवेश और बौद्धिक संपत्ति से जुड़े अधिकार शामिल हैं. इन चैप्टर्स पर सहमति के बाद ही दोनों देशों के बीच यह समझौता हो पाएगा.
वित्त वर्ष 2023-24 में भारत और ब्रिटेन के बीच 21.34 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ जो कि 2022-23 के 20.36 अरब डॉलर के मुकाबले ज्यादा है. ब्रिटेन भारत का छठा सबसे बड़ा निवेशक है. अप्रैल 2000 से सितंबर 2024 के बीच ब्रिटेन ने भारत में 35.3 अरब डॉलर का निवेश किया है.
मुक्त व्यापार समझौते से क्या चाहते हैं दोनों देश?
मुक्त व्यापार समझौता दोनों देशों के लिए लाभकारी साबित होने वाला है. ब्रिटेन इस समझौते के जरिए एडवांस मैन्यूफैक्चरिंग, स्वच्छ ऊर्जा और व्यापार सेवाओं को भारत में बेचना चाहता है. ब्रिटेन अपनी कारों, स्कॉच व्हिस्की का निर्यात भारत में बढ़ाना चाहता है. तेजी से बढ़ती भारत की अर्थव्यवस्था ब्रिटेन के लिए अरबों डॉलर का बाजार है.
वहीं, भारत इस समझौते से अपने नागरिकों को ब्रिटेन में आसानी से आने-जाने की सुविधा चाहता है. भारत चाहता है कि भारतीय छात्रों और पेशेवरों को ब्रिटेन आने-जाने और वहां रहकर काम करने में आसानी हो. साथ ही भारत वीजा प्रक्रिया में तेजी लाने पर जोर दे रहा है.
अगर दोनों देशों के बीच समझौता हो जाता है तो भारत के कपड़ा, चमड़ा, जूलरी, आईटी, फार्मा और कृषि जैसे सेक्टर्स को ब्रिटेन में निर्यात के लिए बढ़ावा मिलेगा.