ब्रिटिश सरकार ने मंगलवार को बताया कि अश्लील ‘डीपफेक’ कॉन्टेंट बनाने वाले लोगों को अब एक नए कानून के तहत मुकदमे का सामना करना पड़ेगा. यह कानून इस समय संसदीय प्रक्रिया से गुजर रहा है. डीपफेक से मतलब ऐसी तस्वीरों और वीडियो से है, जिन्हें आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से बनाया जाता है, जो देखने में बहुत हद तक सही प्रतीत होती हैं. पीड़ित आमतौर पर ऐसी तस्वीरों और वीडियो के बारे में अंजान होता है, क्योंकि इन्हें बनाने वालों ने उसकी सहमति नहीं ली होती है.
नए कानून के तहत बिना सहमति के इस तरह की तस्वीरें और वीडियो बनाने वाले लोगों को आपराधिक मुकदमों और भारी जुर्माने का सामना करना पड़ेगा. कानून में प्रस्तावित प्रावधान के अनुसार अगर ‘डीपफेक’ कॉन्टेंड सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर वायरल होता है तो दोषियों को जेल की सजा हो सकती है. यूके की विक्टिम और सेफगार्डिंग मिनिस्टर लॉरा फैरिस ने कहा, 'डीपफेक से बनाई गईं अश्लील तस्वीरें और वीडियो घृणित और पूरी तरह से अस्वीकार्य है.'
लॉरा फैरिस ने कहा, 'यह उन तरीकों का एक और उदाहरण है जिसके जरिए कुछ लोग दूसरों को नीचा दिखाना और अमानवीय बनाना चाहते हैं- विशेषकर महिलाओं को. और यदि डीपफेक कॉन्टेंट को अधिक व्यापक रूप से साझा किया जाता है तो इसमें विनाशकारी परिणाम पैदा करने की क्षमता है. हमारी सरकार इसे बर्दाश्त नहीं करेगी. यह नया अपराध एक स्पष्ट संदेश भेजता है कि ऐसा कॉन्टेंट बनाना अनैतिक है और अक्सर महिलाओं के प्रति द्वेषपूर्ण भावना से किया जाता है'.
पिछले साल, यूके के ऑनलाइन सेफ्टी एक्ट में संशोधन करके पहली बार 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की डीपफेक से बनाई गईं अश्लील तस्वीरों और वीडियो को शेयर करना अपराध घोषित किया गया था. अब क्रिमिनल जस्टिस एक्ट में संशोधन के माध्यम से एक नया कानून लाया जाएगा, जिसमें प्रावधान होगा कि कोई भी दुर्भावनापूर्ण रूप से और सहमति के बिना वयस्क नागरिकों की डीपफेक करके अश्लील तस्वीरें और वीडियो बनाता है, तो उसे आपराधिक मुकदमे का सामना करना पड़ेगा.