पीएम मोदी के अप्रैल में ब्रिटेन के दौरे के समय वहां की सरकार उनके सामने भारत में सिखों और ईसाइयों के 'उत्पीड़न' का मसला उठा सकती है. ब्रिटिश सांसदों के भारी दबाव में सरकार ने यह निर्णय लिया है. पीएम मोदी अप्रैल में कॉमनवेल्थ सरकारों के प्रमुखों की बैठक (CHOGM) में शामिल होने के लिए लंदन और विंडसर के दौरे पर जा रहे हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के अनुसार पिछले हफ्ते ब्रिटिश संसद के हाउस ऑफ कॉमन्स में एक चर्चा के दौरान सांसदों ने इस बारे में विस्तार से बताया कि भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश सहित कई देशों में किस तरह से अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहा है.
गौरतलब है कि पीएम मोदी 16 से 20 अप्रैल तक सीएचओजीएम की बैठक में शामिल होने के लिए लंदन जा रहे हैं. इस दौरान पीएम मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे के बीच द्विपक्षीय वार्ता भी होने की उम्मीद है. यह उनकी दूसरी ब्रिटिश यात्रा होगी. इसके पहले वह नवंबर, 2015 में ब्रिटेन की यात्रा पर गए थे.
ब्रिटिश संसद में बहस के दौरान स्कॉटिश नेशनल पार्टी के सांसद मार्टिन डॉचर्टी ह्यूग्स ने कहा कि उनके इलाके के एक मतदाता जगतार सिंह जोहाल को पंजाब में बिना किसी आरोप के कैद कर लिया गया है. उन्होंने कहा, 'ब्रिटेन के समूचे सिख समाज के लोगों में इस बात को लेकर भारी चिंता है कि ऐसे तो किसी भी सिख होने की वजह से गिरफ्तार किया जा सकता है.'
डॉचर्टी के साथ ही लेबर पार्टी के सांसद फैबियन हैमिल्टन ने ईसाइयों के कथित उत्पीड़न का मसला उठाया. उन्होंने कहा कि भारत में ईसाइयत की जड़ें काफी प्राचीन हैं, लेकिन तमाम ऐसी खबरें आ रही हैं, जिससे यह लगता है कि भारत अब ईसाइयत के पालन करने वालों के लिए सबसे खतरनाक देश बन गया है.
इस बहस का जवाब देते हुए ब्रिटेन के विदेश मंत्री ने कहा, 'मेरे अजीज सदस्य ने एक ऐसा मसला उठाया है, जिस पर हम लगातार काम कर रहे हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और भारत में ईसाइयों एवं सिखों के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदु उठाए हैं. हम अप्रैल में होने वाले कॉमनवेल्थ प्रमुखों की बैठक के दौरान उपयुक्त तरीके से इन्हें उठाने की बेहतरीन कोशिश करेंगे.'
सांसद फैबियन हैमिल्टन ने हाल में केरल की यात्रा की थी. उन्होंने ईसाइयों के उत्पीड़न का आरोप लगाया और साथ में यह भी कहा, 'निश्चित रूप से हमें पंजाब में सिखों की दशा को भी याद रखनी चाहिए.'