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Russia Ukraine war: क्या चेर्नोबिल के खंडहर में 'डर्टी बम' बना रहा था यूक्रेन? रूसी मीडिया के दावे से मचा बवाल

Russia-Ukraine War: रूस ने दावा किया कि यूक्रेन अपने चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र में 'डर्टी बम' विकसित कर रहा है. तो क्या वाकई यूक्रेन चोरी-छुपे डर्टी बम बना रहा था? कम से कम रूस ने यूक्रेन पर जो नया इल्ज़ाम लगाया है, वो कुछ ऐसा ही है...

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यूक्रेन पर रूसी मीडिया ने 'डर्टी बम' बनाने का आरोप लगाया है. (सांकेतिक तस्वीर)
यूक्रेन पर रूसी मीडिया ने 'डर्टी बम' बनाने का आरोप लगाया है. (सांकेतिक तस्वीर)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • क्या 'डर्टी बम' से थी रूस को निशाना बनाने की साज़िश?
  • यूक्रेन के प्लूटोनियम बेस्ड 'डर्टी बम' का क्या है रहस्य?
  • क्या यूक्रेन पर इल्ज़ामों से परमाणु हमले की ज़मीन तैयार कर रहा है रूस?

Russia-Ukraine War:  रूस और यूक्रेन की जंग आज अपने 13वें दिन में है, जिसके कारण 15 लाख लोगों को यूक्रेन छोड़कर भागना पड़ा है. इस बीच रूस ने दावा किया है कि यूक्रेन अपने चेर्नोबिल के खराब पड़े न्यूक्लियर प्लांट में डर्टी बम डेवलप करने में जुटा था, ताकि इन बमों के धमाके से रेडियोएक्टिव प्रदूषण फैले और वो बड़े पैमाने पर बर्बादी फैला सके.

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हालांकि यूक्रेन ने इन इल्ज़ामों से इनकार किया है. दुनिया में बहुत से लोग रूस के इस इल्ज़ाम को उस पर यूक्रेन के साथ और सख्ती करने के एक बहाने के तौर पर देख रहे हैं. डर्टी बम असल में वो बम होता है, जिसमें विस्फोटक के साथ रेडियोएक्टिव मेटेरियल मिलाकर धमाका किया जाता है ताकि धमाके के साथ-साथ रेडियोएक्टिव प्रदूषण फैले और बर्बादी ज्यादा हो.

दरअसल, रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग लगातार बढ़ती जा रही है. रूसी हमलों से यूक्रेन के शहर दर शहर तबाह होते जा रहे हैं, लेकिन क्या ये जंग अभी यूं ही चलती रहेगी या फिर आनेवाले दिनों में ये परमाणु युद्ध की शक्ल भी अख़्तियार कर सकती है? ये सवाल इसलिए क्योंकि जंग के बीच रूस ने यूक्रेन पर जो इल्ज़ाम लगाए हैं, वो कुछ ऐसे ही हैं.

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तो बड़ा खतरा पैदा हो जाता

रूस ने कहा है कि यूक्रेन अपने ख़राब पड़े चेर्नोबिल न्यूक्लियर सेंटर में डर्टी बम बनाने की कोशिशों में जुटा था. ऐसा डर्टी बम, जिसके धमाके से फ़िज़ा में घुलनेवाले रेडियोएक्टिव तत्व इंसानों के साथ-साथ किसी भी ज़िंदा शय के लिए इतनी मुश्किल पैदा कर देते हैं कि फिर उसका जीना ही मुश्किल हो जाता है. मौत तो ख़ैर अपनी जगह है ही, डर्टी बम के वार से होनेवाली कैंसर समेत कई घातक बीमारियों के चलते इंसान तिल-तिल कर मरने को मजबूर हो जाता है. 

'चोरी-छुपे डर्टी बम बनाने के सबूत मिले'

असल में रूस की तीन बड़ी समाचार एजेंसियों ने रविवार को इससे जुड़ी एक ख़बर प्रसारित की. TASS यानी टास, रिया और इंटरफ़ैक्स ने रूस के एक निकाय अधिकारी के हवाले से ये ख़बर दी कि उसे चेर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट में यूक्रेन के चोरी-छुपे डर्टी बम बनाने के सबूत मिले हैं और ये अपने-आप में एक ख़तरनाक बात है. यूक्रेन पर हुए रूसी हमले के बाद चेर्नोबिल के इस न्यूक्लियर प्लांट पर रूसी फ़ौज ने क़ब्ज़ा कर लेने के बाद ये ख़ुलासा अपने-आप में एक संगीन बात है. 

ब्रिटेन ने फेक प्रौपेगैंडा करार दिया

ऐसे में रूसी मीडिया के हवाले से आई इस ख़बर ने पूरी दुनिया के कान खड़े कर दिए हैं. हालांकि यूक्रेन ने इन इल्ज़ामों से इनकार करते हुए ये कहा है कि उसने चेर्नोबिल तो क्या, कहीं भी कभी कोई न्यूक्लियर वेपन बनाने की कोशिश नहीं की. उधर, ब्रिटेन के डिप्टी पीएम डोमिनिक रॉब ने इसे रूस का फेक प्रौपेगैंडा करार दिया और कहा कि ये रूस की दुनिया को मुद्दे से भटकाने की कोशिश भर है और मुद्दा है रूस का ग़ैर क़ानूनी तरीक़े से यूक्रेन पर हमला करना, जो अब उल्टा पड़ने लगा है. 

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रूस कर चुका है चेर्नोबिल पर कब्जा

रूसी फ़ौजियों ने कीव के उत्तर में मौजूद चेर्नोबिल के अलावा यूक्रेन के दक्षिण पूर्वी हिस्से में बने ज़ैपोरिज़िया न्यूक्लियर प्लांट पर भी क़ब्ज़ा कर लिया है, जिस पर शुक्रवार को हुई बमबारी के बाद पूरी दुनिया की सांसें अटक गई थीं. क्योंकि एक बारगी ये लगने लगा था कि कहीं बमबारी और शैलिंग की वजह से अगर न्यूक्लियर प्लांट के किसी रिएक्टर में धमाका हो गया, तो उसका अंजाम क्या होगा? 

कई सालों से बंद पड़ा चेर्नोबिल प्लांट

उधर, चेर्नोबिल को लेकर यूक्रेन के सूत्रों ने दावा किया है कि ये प्लांट बेशक फिलहाल कई सालों से बंद पड़ा हो, लेकिन वहां शुरू से न्यूक्लियर एक्सपर्ट्स और सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी रही है. मगर 24 फरवरी को जब से रूस ने यूक्रेन पर धावा बोला है, तब से प्लांट के मुलाज़िमों को शिफ्ट में बदलाव की इजाज़त भी नहीं मिली है. ऐसे में प्लांट के थके हुए कर्मियों की वजह से कहीं वहां की सुरक्षा पर कभी भी कोई ख़तरा पैदा हो सकता है. 

1986 को हुआ था हादसा

- चेर्नोबिल के इस न्यूक्लियर प्लांट में 25 और 26 अप्रैल 1986 को वो हादसा हुआ था, जिसका नंबर दुनिया भर में अब तक हुए न्यूक्लियर एक्सिडेंट्स की लिस्ट में सबसे ऊपर है और जिसमें हुई लोगों की मौत को लेकर अब तक कोई सही-सही गिनती किसी के पास नहीं है. हां, ये ज़रूर है कि इस हादसे में क़रीब 6 लाख लोग उजड़ गए और यूक्रेन और बेलारूस के बीच का 2600 स्क्वायर किलोमीटर का इलाक़ा हमेशा-हमेशा के लिए वीरान हो गया.

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रूस के डर्टी बम का इल्ज़ाम नया नहीं

- रूस के ताज़ा इल्ज़ामों को लेकर यूक्रेन ने साफ़ किया है कि 1994 में सोवियत संघ की टूट के बाद ही उसने अपने परमाणु हथियार बनाने का प्रोग्राम छोड़ दिया था और आगे भी उसके न्यूक्लियर क्लब में शामिल होने का कोई इरादा नहीं था, ऐसे में रूस के नए इल्ज़ामों का भी कोई आधार नहीं है. वैसे रूस के डर्टी बम का इल्ज़ाम नया नहीं है. आपको याद होगा कि यूक्रेन पर हमले से ठीक पहले पुतिन ने यूक्रेन पर परमाणु हथियार की सोवियत तकनीक का इस्तेमाल किए जाने का इल्ज़ाम लगाया था और ये कहा था कि वो किसी भी क़ीमत पर यूक्रेन को एक परमाणु ताक़त नहीं बनने देगा. 

अब सवाल ये है कि आख़िर ये डर्टी बम क्या होता है और ये क्यों इतना ख़तरनाक है? तो जानकारों की मानें तो...

- डर्टी बम दूसरे विस्फोटकों के साथ रेडियोएक्टिव तत्वों को मिलाकर बनाया जाता है. जब विस्फोटकों में धमाका होता है, तो इसके साथ ही रेडियोएक्टिव कण धमाके वाली जगह पर बिखर जाते हैं और बड़ी तबाही मचाते हैं.

- अमेरिका के सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन यानी सीडीसी का कहना है कि डर्टी बम असल में डायनामाइट या ऐसे ही किसी दूसरे विस्फोक के साथ रेडियोएक्टिव मेटेरियल को मिलाने की एक तकनीक है और इसकी भयाहवता के चलते ही इसे रेडियोलॉजिकल डिसपर्सल डिवाइस या डर्टी बम का नाम दिया जाता है.

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- जानकारों की मानें तो डर्टी बम में बेशक रेडियोएक्टिव मेटेरियल शामिल हों, लेकिन ये परमाणु बम नहीं है. असल में परमाणु विस्फ़ोटक के समय बहुत ज़्यादा उर्जा निकलती है. असल में परमाणु बमों में परमाणु विस्फोट होता है, जिसके चलते तबाही ज़्यादा मचती है, लेकिन डर्टी बम में रेडियोएक्टिव मेटेरियल होने के बावजूद इसमें परमाणु विस्फ़ोट नहीं होता और इसीलिए इससे रेडियोएक्टिविटी तो फैलती है, लेकिन परमाणु विस्फोट तरह ज़्यादा भयानक उर्जा नहीं नहीं निकलती है. 
 
- रूस ने यूक्रेन पर प्लूटोनियम बेस्ड डर्टी बम बनाने का आरोप लगाया है यानी वो कहना चाहता है कि वो प्लूटोनियम के ज़रिए रेडियोएक्टिव बम बनाने की कोशिश कर रहा है, जिसके धमाके से घातक प्रदूषण फैले और जान-माल का बड़ा नुकसान हो. असल में जब डर्टी बम फटता है, तो उसके क़रीब रहनेवाले लोगों को सीधा नुकसान तो होता ही है, लेकिन जो इस बम से दूर होते हैं, रेडियोएक्टिव प्रदूषण उन तक भी पहुंचता है, जो आगे चल कर घातक बीमारियों की वजह बनता है. 

(आजतक ब्यूरो)

 

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