बेलारूस में सैन्य अभ्यास के बाद रूस ने अपने कुछ जवानों को बॉर्डर वापस बुला लिया है. रूस के रक्षा मंत्रालय की तरफ से भी कहा गया है कि सैनिक जल्द ही बॉर्डर को छोड़कर अपने अपने बैरकों में वापस लौटने लगे हैं. लेकिन बावजूद इसके यूक्रेन और रूस के बीच तनाव चरम सीमा पर है. कहा जा रहा है कि अगले 24 से 48 घंटों के भीतर कुछ बड़ा हो सकता है. युद्ध की आशंका अभी टली नहीं है. हालांकि, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी कहा है कि रूस 'बेशक' युद्ध नहीं चाहता. हम मिसाइल तैनाती और सैन्य पारदर्शिता की सीमाओं पर अमेरिका और नाटो के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं.
यूक्रेन मुद्दे पर रूस और पश्चिमी देशों में तनाव के बीच रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने मंगलवार शाम जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ के साथ मुलाकात की. मास्को में इस मुलाकात के बाद पुतिन ने कहा, 'क्या हम युद्ध चाहते हैं या नहीं? बिल्कुल नहीं. यही वजह है कि हमने बातचीत की प्रक्रिया के लिए प्रस्ताव रखे. लेकिन हमें सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली.
अमेरिका और नाटो ने खारिज की रूस की मांग
पुतिन ने कहा कि अमेरिका (US) और नाटो (NATO) ने यूक्रेन और अन्य पूर्व-सोवियत देशों को नाटो से बाहर रखने, रूसी सीमाओं के पास हथियारों की तैनाती को रोकने और पूर्वी यूरोप से सैन्य बलों को वापस लेने की हमारी मांग को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि जबकि रूस यूरोप में मध्यम दूरी की मिसाइलों की तैनाती की सीमा, अभ्यास की पारदर्शिता पर बातचीत में शामिल होने के लिए तैयार है, लेकिन अमेरिका को भी रूस की मुख्य मांगों को ध्यान में देने की जरूरत है.
#Kremlin: Talks with Federal Chancellor of Germany Olaf Scholz https://t.co/bcxGrzdQYY pic.twitter.com/dm5jG2DmnM
— President of Russia (@KremlinRussia_E) February 15, 2022
पता हो कि शनिवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच इस झगड़े के तनाव को कम करने को लेकर टेलीफोन पर तकरीबन 62 मिनट तक बातचीत हुई, लेकिन इसके बाद भी कोई हल निकलता दिखाई नहीं दिया.
सैनिकों की आंशिक वापसी
बता दें कि रूसी रक्षा मंत्रालय क्रेमलिन ने सैन्य अभ्यास के बाद सैनिकों की आंशिक वापसी की घोषणा की है. उम्मीद जताई जा रही है कि रूसी रक्षा मंत्रालय क्रेमलिन यूक्रेन पर हमला नहीं करने जा रहा. इससे पहले भी रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण करने से इनकार किया था.
पश्चिमी देशों को शक
हालांकि, अमेरिका को इस बात पर शक है कि रूसी सेना ने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी है कि कहां से और कितने सैनिक वापस बुलाए गए हैं और जो सैन्य टुकड़ियां बॉर्डर से वापस लौट रही हैं, उनसे असल में इस तनाव पर क्या सकारात्मक असर पड़ सकता है.
गले नहीं उतर रही रूस की बात
जाहिर-सी बात है कि युद्ध के मुहाने पर खड़े दोनों देशों की सेनाओं के बीच अचानक एक मुल्क की सैन्य टुकड़ियों का बॉर्डर से दूर जाना किसी के गले उतरना मुश्किल है. वहीं, Nato के सहयोगी देशों का मानना है कि सेना वापस बुलाने के कदम से रूस और यूक्रेन के बीच चरम पर पहुंच चुके तनाव कम करने में मदद मिल सकती है.