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Ukraine Russia war: यूक्रेन के 20% हिस्से पर रूस का कब्जा, अर्थव्यवस्था भी चौपट... तबाही के 100 दिन

24 फरवरी को शुरू हुए इस संघर्ष के 100 दिन हो गए हैं. ऐसे में ये समझना जरूरी है कि रूस का यूक्रेन के किन क्षेत्रों पर नियंत्रण है? रूस का डोनबास के 95% हिस्से पर नियंत्रण माना जा रहा है, इसमें मारियूपोल भी शामिल है. वहीं, सेवेरोदोनेत्स्क में रूस और यूक्रेन की सेना के बीच भयंकर संघर्ष चल रहा है.

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मारियूपोल में रूसी हमले से तबाह इमारत
मारियूपोल में रूसी हमले से तबाह इमारत
स्टोरी हाइलाइट्स
  • रूस-यूक्रेन युद्ध को 100 दिन हुए पूरे
  • 24 फरवरी को शुरू हुआ था रूस और यूक्रेन का युद्ध

यूक्रेन और रूस युद्ध के 100 दिन पूरे हो गए हैं. इसी बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की ने दावा किया है कि रूस का यूक्रेन के 20 प्रतिशत हिस्से पर नियंत्रण है. यह रूस और यूक्रेन युद्ध की सही स्थिति को बताने के लिए काफी है. 

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24 फरवरी को शुरू हुए इस संघर्ष के 100 दिन हो गए हैं. ऐसे में ये समझना जरूरी है कि रूस का यूक्रेन के किन क्षेत्रों पर नियंत्रण है? रूस का डोनबास के 95% हिस्से पर नियंत्रण माना जा रहा है, इसमें मारियूपोल भी शामिल है. वहीं, सेवेरोदोनेत्स्क में रूस और यूक्रेन की सेना के बीच भयंकर संघर्ष चल रहा है. रूस यहां आर्टिलरी, रॉकेट और मिसाइल से लगातार हमले कर रहा है. इस युद्ध को आज तक संवाददाता गौरव सावंत ने शुरुआत से ही कवर किया है. उन्होंने अपना आंखों देखा हाल बताया है.

24 फरवरी को शुरू हुई बमबारी

मैं (गौरव सावंत) रूस के 'स्पेशल ऑपरेशंस' के शुरू होने से एक हफ्ते पहले 17 फरवरी को कीव पहुंचा था. हालांकि, यह यूक्रेन पर रूस के हमले में बदल गया. फरवरी के मध्य में युवाओं को यूक्रेन की सीमाओं की रक्षा के लिए भेजा जा रहा था. जबकि पार्टियां कीव में थीं, और इनमें से ज्यादातर को विश्वास था कि बातचीत से रूस और यूक्रेन के बीच समझौता हो जाएगा. 
 
लेकिन 24 फरवरी को बमबारी शुरू हो गई. रूस ने यूक्रेन में 14 एयरफील्ड और एयर डिफेंस सिस्टम को निशाना बनाना शुरू किया. इसके साथ ही हवाई, रॉकेट और मिसाइल हमलों की खबरें यूक्रेन, यूरोप और दुनिया के बाकी देशों के लिए एक कठोर चेतावनी थी. 
 
रूस के हेलिकॉप्टर्स और लड़ाकू विमानों ने यूक्रेन के शहरों को निशाना बनाया. ऐसे में सब यह सोच रहे थे कि कुछ दिन नहीं तो हफ्तों में यूक्रेन रूस के सामने घुटने टेक देगा. लेकिन रूस का यूक्रेन के बहादुर लोगों की सभी बाधाओं के खिलाफ लड़ने के लिए धैर्य, दृढ़ संकल्प और दृढ़ इच्छाशक्ति पर ध्यान नहीं गया था. 

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दिन से हफ्ते फिर हफ्तों से महीने बीतते चले गए. अमेरिका और यूरोप ने न सिर्फ रूस पर प्रतिबंध लगाए, बल्कि यूक्रेन को हथियार भी देने शुरू कर दिए. इससे यह स्पष्ट हो गया कि युद्ध कुछ महीनों आगे बढ़ सकता है.  

जमीनी हकीकत कुछ और

यूक्रेन और अमेरिका के नेतृत्व वाला पश्चिम शुरुआत में सूचना युद्ध जीतने में सफल रहा. लेकिन Aaj Tak ने मारियूपोल और खारकीव और इरपिन और बूचा से रिपोर्टिंग की, जिसमें जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां करती है. 

रूस व्यवस्थित रूप से यूक्रेन की युद्ध लड़ने की क्षमता को कम कर रहा था. रूस न सिर्फ डोनबास पर कब्जे के लिए बल्कि क्रीमिया पर नियंत्रण के लिए भी एक साथ कई ऑपरेशन शुरू कर रहा था. यूक्रेन की सेना ने कीव की रक्षा के लिए रूसी सेना को कड़ा जवाब दिया और इरपिन, होस्टोमेल, बूचा, ब्रोवरी समेत बाहरी इलाकों में रूसी सेना को रोकने में सफल रही. कीव के आसपास के इन इलाकों में हर क्षेत्र पर कब्जे के लिए भयंकर लड़ाई हुई। 

मैंने ग्राउंड ज़ीरो से रिपोर्टिंग की और तबाह इमारतें, सड़कों पर बम और सैकड़ों लड़ाकू वाहनों से भयानक लड़ाई की दास्तां सुनाई. शव सड़कों पर पड़े थे. कब्जे को लेकर लड़ाई जारी थी. अचानक रूसी सेना डोनबास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए बेलारूस वापस चली गई. 
 
यूक्रेन को कितना नुकसान?

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उधर, यूक्रेन का कहना था कि वह रूसी सेना को पीछे धकेलने में सफल रहा और कीव में सत्ता परिवर्तन की राष्ट्रपति पुतिन की योजना विफल रही. लेकिन अब युद्ध के 100 दिन हो गए हैं. यूक्रेन ने न सिर्फ 20% हिस्सा गंवाया. बल्कि यूक्रेन की अर्थव्यवस्था चरमरा गई. रूस का औद्योगिक बेल्ट, बंदरगाह और सबसे अहम अनाज पर कब्जा हो गया. 

यूक्रेन को यूरोप की रोटी की टोकरी के रूप में जाना जाता था. लेकिन उसका दावा है कि उसके गेहूं का स्टॉक रूस के नियंत्रण में है. यूक्रेन गेहूं को बाहर भेजने के लिए अपने बंदरगाहों तक नहीं पहुंच पा रहा है. हालात इतने खराब हो गए हैं कि ब्रिटेन ने रूस पर इसे हथियार बनाने का आरोप लगाया है. 
 
माना जा रहा है कि रूस ने गेहूं को बाहर भेजने के लिए प्रतिबंधों में ढील देने की मांग की है. रूस का आजोव के समुद्र पर कब्जा है, इसके साथ ही यूक्रेन ने मारियूपोल के बंदरगाह और संसाधनों पर भी अपनी पहुंच खो दी है. 

रूस पर प्रतिबंध से यूरोप को भी पहुंच रहा नुकसान

जबकि अमेरिका और यूरोप ने रूस पर कई प्रतिबंध लगाए हैं लेकिन प्रतिबंध एक दोधारी तलवार की तरह हैं, जो यूरोपीय अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं. वहीं, युद्ध के 100वें दिन यूक्रेन रूस के खिलाफ कठोर प्रतिबंध लगाने और रूसी क्षेत्र में युद्ध करने में सक्षम होने के लिए लंबी दूरी के हथियारों की मांग कर रहा है. हालांकि, अमेरिका ने ऐसा न करने का ऐलान किया है. 

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दरअसल, रूस ने अमेरिका और नाटो सहयोगियों को चेतावनी दी थी कि यूक्रेन को ऐसे हथियार न दें जो रूसी जमीन पर हमला करने में सक्षम हों. रूस ने कहा था कि अगर ऐसा हुआ तो इसके बहुत गंभीर परिणाम होंगे और तनाव को रोका नहीं जा सकेगा. इस युद्ध के 100 दिनों में दोनों पक्षों के बीच हुई भीषण लड़ाई, जानमाल की हानि और प्रतिष्ठा को देखते हुए भविष्य में शांतिपूर्ण ढंग से समझौता होने की बहुत कम संभावना नजर आ रही है.


 

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