रूस के सैनिक यूक्रेन की राजधानी कीव में घुस गए हैं. दोनों देशों के इस युद्ध को अब तीसरा दिन हो गया है और अभी भी भारी गोलीबारी जारी है. रूस ने हमले तेज कर दिए हैं. इस युद्ध में कई देश खुलकर यूक्रेन के समर्थन में आगे आए हैं.
रूस पर प्रतिबंधों की तैयारी में पोलेंड
इस बीच पोलैंड सरकार के प्रवक्ता पियोट्र मुलर ने ट्विटर पर जानकारी दी कि पोलिश प्रधानमंत्री माटुज मोराविकी और लिथुआनियाई राष्ट्रपति गीतानास नौसेदा शनिवार को बर्लिन में जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ से मुलाकात करेंगे और रूस पर प्रतिबंधों पर चर्चा करेंगे. मुलर ने शनिवार तड़के एक ट्वीट में कहा, "प्रधानमंत्री मोरावीकी की पहल पर आज बर्लिन में एक बैठक होगी. लिथुआनिया के राष्ट्रपति के साथ प्रधानमंत्री मोराविकी जर्मन चांसलर के साथ बातचीत करेंगे. यूरोपीय संघ को तुरंत रूस के खिलाफ सख्त प्रतिबंधों का एक पैकेज अपनाना चाहिए." हालांकि मुलर ने इस बैठक का समय नहीं बताया है.
कई देश लगा रहे रूस पर प्रतिबंध
इससे पहले ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन भी कह चुके हैं कि ब्रिटेन, रूसी सेना की तैनाती के बाद पांच रूसी बैंकों पर प्रतिबंध लगाएगा. ये (प्रतिबंध) रूस को बहुत प्रभावित करेंगे और आक्रमण की स्थिति में हम और भी बहुत कुछ करने जा रहे हैं. वहीं जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने कहा कि हमारी सरकार जापान में रूस के सरकारी बांड को जारी करने और वितरण पर बैन लगाएगी. किशिदा ने ये भी कहा कि जापान दो यूक्रेनी विद्रोही क्षेत्रों से जुड़े लोगों को वीजा जारी करना भी निलंबित कर देगा. इसके अलावा जापान में उनकी संपत्ति को फ्रीज किया जाएगा और दोनों क्षेत्रों के साथ व्यापार पर प्रतिबंध लगाए जाएंगे.
यूक्रेन को 350 मिलियन डॉलर की सैन्य सहायता देगा अमेरिका
इधर फ्रांस, जर्मनी और अमेरिका पहले ही रूस के खिलाफ खुलकर खड़े हो गए हैं. जहां अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन के लिए 350 मिलियन डॉलर की सैन्य सहायता देने का ऐलान किया है. वहीं, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा है कि यूक्रेन में 'लंबे' युद्ध के लिए दुनिया को 'तैयार' रहना चाहिए.
बताते चलें कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को यूक्रेन के दो अलगाववादी क्षेत्रों लुहान्सक और दोनेत्स्क को स्वतंत्र देश की मान्यता दे दी. इन दोनों ही क्षेत्रों में रूस समर्थित अलगाववादियों का नियंत्रण है. पुतिन ने इसके बाद कई अहम दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए. उनके आदेश के मुताबिक, अब रूसी सेनाएं यूक्रेन के इन अलगाववादी क्षेत्रों में घुसकर शांति कायम करने का काम करेंगी. रूस के इस फैसले से यूक्रेन-रूस के बीच तनाव बढ़ा और अब युद्ध की स्थिति आ गई है.