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Russia Ukraine War: यूक्रेन के सेवेरोडोनेत्स्क शहर पर रूस का पूरी तरह कब्जा, पूर्वी हिस्से में यूक्रेनी सेना की पकड़ हुई कमजोर

पहले ही जानकारी आई थी कि पूर्वी हिस्से में यूक्रेन की सेना लगभग अपना कंट्रोल खो चुकी है. रूस अगर यहां अपना अधिकार जमा लेता है तो पूर्वी यूक्रेन पर उसकी पकड़ मजबूत हो जाएगी.

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रूसी सेना ने यूक्रेन के एक और शहर पर कब्जा कर लिया है.
रूसी सेना ने यूक्रेन के एक और शहर पर कब्जा कर लिया है.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • यूक्रेन के सेवेरोडोनेत्स्क शहर पर रूस का कब्जा
  • इससे पहले मारियुपोल पर भी हो चुका है कब्जा

रूसी सेना ने यूक्रेन के मारियुपोल के बाद सेवेरोडोनेत्स्क शहर पर भी पूरी तरह से कब्जा कर लिया है. सेवेरोडोनेत्स्क शहर को यूक्रेन के लुहांस्क क्षेत्र का प्रशासनिक केंद्र माना जाता है. यहां रूसी सेना ने भारी बमबारी की थी, जिसमें इस इंडस्ट्रियल शहर के अधिकतर इलाके तबाह हो गए थे. 

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एएफपी न्यूज एजेंसी के मुताबिक, सेवेरोडोनेत्स्क शहर को रूसी सेना ने पूरी तरह अपने कब्जे में ले लिया है. शहर के मेयर ने इसकी जानकारी दी है. रूसी हमले से पहले इस शहर की आबादी करीब 10 लाख थी, जो अब घटकर हजारों में रह गई है. बड़ी संख्या में इस शहर से लोग पलायन कर चुके हैं. हाल के दिनों में यूक्रेन की सेना को घेरने के लिए रूसी सैनिकों ने सेवेरोडोनेत्स्क और लिसिचन्स्क के अधिकतर इलाकों में कब्जा कर लिया था, लेकिन अब सेवेरोडोनेत्स्क शहर पूरी तरह रूसी सेना के कब्जे में आ चुका है. 

पहले ही जानकारी आई थी कि पूर्वी हिस्से में यूक्रेन की सेना लगभग अपना कंट्रोल खो चुकी है. रूस अगर यहां अपना अधिकार जमा लेता है तो पूर्वी यूक्रेन पर उसकी पकड़ मजबूत हो जाएगी. रूसी सेनाओं को इस इलाके तक पहुंचने में काफी नुकसान हुआ है. रूसी सेना ने सेवेरोडोनेत्स्क के जिस ब्रिज को उड़ाया था वो यूक्रेनी सेना के लिए सबसे बड़ा झटका था. चूंकि यूक्रेन का सेवेरोडोनेत्स्क शहर काफी घना बसा हुआ है. इसलिए बताया जा रहा है कि यहां काफी संख्या में लोग मारे गए. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोल्दोमिर जेलेंस्की ने सेवेरोडोनेट्स्क को मृत शहर तक कह दिया था. 

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डोनबास रूस के लिए अहम क्यों?  

डोनबास पूर्वी यूक्रेन में पड़ता है. यहां की ज्यादातर आबादी रूसी भाषा बोलती है. इसलिए रूस इसे यूक्रेन से अलग करना चाहता है. डोनबास में 2014 से ही रूस समर्थित अलगाववादी और यूक्रेनी सेना के बीच संघर्ष चल रहा है. डोनेत्स्क और लुहांस्क भी डोनबास में ही आते हैं. जंग शुरू होने से दो दिन पहले ही पुतिन ने डोनेत्स्क और लुहांस्क को आजाद देश के तौर पर मान्यता दी थी. रूस ने पहले की कह दिया था कि डोनबास पर कब्जा करना उसका मकसद है. वहीं यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा था कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कितने रूसी सैनिक यहां हैं, हम लड़ेंगे. ये भी कहा जा रहा था कि डोनबास पर अगर रूस का कब्जा हो गया तो राष्ट्रपति पुतिन यूक्रेन के दो टुकड़े करने में कामयाब हो जाएंगे. इसके अलावा डोनबास के अलग होने से यूक्रेन की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ेगा. वो इसलिए क्योंकि यहां बड़ी संख्या में कोयला खदानें और यहां देश का औद्योगिक केंद्र भी है. 

मारियुपोल पर भी हो चुका है कब्जा

सेवेरोडोनेत्स्क के अलावा रूसी सेना ने यूक्रेन के दक्षिण हिस्से के मारियुपोल में युद्ध के करीब 80 दिन बाद कब्जा कर लिया था. रूस की ओर से दावा किया गया कि मारियुपोल के अजोवस्तल स्टील प्लांट में यूक्रेनी सेना की आखिरी टुकड़ी ने रूसी सेना के सामने सरेंडर कर दिया है. स्टील प्लांट में महीनों से 260 से ज्यादा यूक्रेनी सैनिक बंद थे और यहीं से रूसी सेना पर जवाबी हमले कर रहे थे. बता दें कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 24 फरवरी को जब यूक्रेन के खिलाफ जंग का ऐलान किया था. उसके बाद से ही मारियुपोल पर रूसी सेना के ताबड़तोड़ हमले जारी थे. रूसी सेना के हमलों में मारियुपोल पूरी तरह खंडहर में बदल चुका है.

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