वक्त बीतने के साथ बग़दादी का आईएसआईएस आतंकवादी संगठऩ और भी ज्यादा बेलगाम और खूंखार होता जा रहा है. पिछले करीब चार महीने से इराक और सीरिया पर पर कब्जे को लेकर बग़दादी के बेलगाम आतंकवादी अब तक कितने सौ या कितने हजार लोगों को मौत के घाट उतार चुके हैं इसकी सही-सही गिनती किसी के पास नहीं है. क्योंकि आज भी इराक और सीरिया में ऐसे ना जाने कितने इलाके हैं जहां हर तरफ लाशें पड़ी हैं पर वहां तक पहुंचने वाला कोई नहीं है. और इसी कड़ी मे बग़दादी ने अब सिर कलम करने के वीडियो के बाद इराकी फौज को गोलियों से उड़ाने का नया वीडियो जारी किया है.
चार रोज पहले सोशल मीडिया के जरिये ये वीडियो सामने आया था. यानी 29 अक्टूबर को. इस वीडियो में इराकी सैनिक अपनी फौज की वर्दी में घुटनों पर बैठा दिखाई दे रहा है. उसके दोनों हाथ पीछे की ओर बंधे हुए हैं, पैरों में जूतों के बजाय चप्पलें हैं और उसके चेहरा धुंधला कर रखा है. उस फौजी के ठीक पीछे गन लिए एक शख्स भी खड़ा दिखाई दे रहा है.
मौत के साये में बैठा ये सैनिक आखिरी बार अपने खुदा से दुआ मांग रहा है. जैसे ही उसकी दुआ खत्म होती है और उसके मुंह से अल्लाह हो अकबर निकलता है, उसके सिर के करीब अचानक दो आंतकी अपनी अपनी बंदूकों को मुंह ले आते हैं और पलक झपकते ही एक साथ कई गोलियों उसके ये है दुनिया को दहलाने निकले आईएसआईएस का नया और खौफनाक चेहरा. जी हां. आईएसआईएस के आतंकियों ने अब दूसरे देशों के नागरिकों के साथ साथ इराक के बंधक बनाए गए सैनिकों पर बेरहम मौत बरसानी शुरू कर दी है.
घुटनों के बल बैठा ये वो इराकी सेना का वो फौजी है जो सुन्नी आतंकियों के खिलाफ छिड़ी जंग में आईएसआईएस आतंकियों के हत्थे चढ़ गया और उसे इसी तरह मौत के घाट उतार दिया गया. और हैरत की बात यही है कि अब आतंकियों ने सैनिकों या इराकी नागरिकों को मौत के घाट उतारने का वीडियो दुनिया को दिखाना शुरू कर दिया है. गरज ये कि अरब के रेगिस्तान को खून ले लाल करने निकले आईएसआईएस के आतंकी ऐसी खौफनाक तस्वीरों के जरिए आंखों से उतरकर दुनिया के दिलों में दहशत बनाने का नया तमाशा शुरू कर दिया है.
एक हफ्ते में 85 से ज्यादा कुर्द नागरिकों को मार डाला
जिस इराकी फौजी को कैमरे के सामने गोलियों से भूनकर मौत के घाट उतारा गया वो अकेला नहीं
था. बल्कि ये तो बस एक बानगी है आईएसआईएस के आतंकियों की, जिसे उन लोगों ने सोशल
मीडिया के जरिए दुनिया के सामने रखा है. अगर अरब से आई बिखरी हुई खबरों पर यकीन किया
जाए तो आईएसआईएस के आतंकियों ने पिछले शनिवार से लेकर अब तक 85 से ज्यादा उन लोगों
को ठीक इसी तरह मौत के घाट उतार है और फिर उनकी लाशों को चील और कौवों का निवाला बनने
के लिए खुले रेगिस्तान में बिखेर दिया.
मारे गए ज्यादातर लोग इराक की कुर्द जनजाति से ताल्लुक रखते हैं और ये मौत का खूनी खेल शनिवार की सुबह उत्तरी रामादी के रास अल मा के वीराने में कहीं अंजाम दिया गया. बताया यही जा रहा है कि अभी तक इस जाति के 300 से ज्यादा लोगों को मौत के घाट उतारा जा चुका हैं और वो भी महज बीते चंद दिनों के भीतर.
'गोली मारो या गोली खाओ'
इस तरह का खून खराबा करने के पीछे आईएसआईएस का बस एक ही मकसद है. वो ये कि इराक के
दूर दराज के हिस्सों में जो उसे आम लोगों से मुकाबला करना पड़ रहा है. इराकी लोगों की बंदूकें
आतंकियों की रुकावट बन रही थीं. उन्हें जैसे भी हो रास्ते से हटाना जरूरी है. ये ताजा तस्वीर गवाह है
कि इराकी लोगों के सामने अब दो ही रास्ते बचे हैं. या तो वो आतंकियों को अपनी गोली का निशाना
बनाएं. या खुद इस तरह से आखिरी दुआ के साथ उनकी गोली का निशाना बन जाएं.
सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहा बगदादी
आईएसआईएएस के लड़ाके, इराक और सीरिया के कई शहरों पर कब्ज़ा जमा चुके हैं और कई शहरों में
क़त्ल-ए-आम मचा रहे हैं. पर दुनिया के लिए सबसे बड़ी फिक्र इस बात को लेकर है कि बग़दादी के
चक्कर में ना जाने कितने ही मुल्कों के नौजवान आतंक की भट्टी में झुंकने को तैयार हो चके हैं. और
इस काम के लिए बगदादी ने हथियार बनाया है सोशल मीडिया को. वो सोशल मीडिया के जरिए
दुनियाभर के नौजवानों तक पहुंच रहा है और उनका ब्रेन वॉश कर रहा है.
अभी तक इराक और सीरिया के रेगिस्तानी इलाकों की तपती रेत पर इंसानों की लाशें मिल रही थीं. इराक के किसी भी गांव या शहर के किसी भी चलते हुए रास्ते पर इंसानी लाशों का मिलना रोजमर्रा की बात बन गई थी. खुले मैदानी इलाकों में कतार में पड़ी गोलियों से छलनी इंसानी लाशें इराक में मानों एक बेलगाम सिलसिला बन चुका था. लेकिन अब यहां कुएं से लाशें निकल रही हैं. पांच महीने से जारी क़त्लेआम के बाद अब इराक के लोगों को उन कुओं से मौत के खौफनाक शक्ल दिखाई देने लगी हैं. जिन कुओं में इंसान को जिंदगी देने वाला पानी मौजूद रहता था और कुएं से निकली लाशों की जब गिनती हुई तो उसने 50 का आंकड़ा पार कर लिया. कुएं से जो लाशें मिली उनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे. उनकी शिनाख्त इराक के अल बू निम्र कबीले के लापता लोगों के तौर पर हुई. इराक के मानवाधिकार मंत्रालय का खुलासा है कि आईएस ने इतवार की सुबह अपने ताजा हमले में इस कबीले के लोगों की गोली मारकर हत्या की है.
अल बू निम्र कबीले के लोगों का क़त्लेआम
ये 50 उन 65 लोगों में से ही हैं जो पिछले एक हफ्ते से लापता थे. आशंका भी यही जताई गई थी
कि इस कबीले के लोगों को आईएसआईएस ने अगवा कर लिया है. इराक का सरकारी आंकड़ा गवाह है
कि बगदादी के आतंकी अब तक इस कबीला जाति के तीन सौ से ज्यादा लोगों को मौत के घाट उतार
चुके हैं. इतना ही नहीं आतंकियों ने इस कबीले के लोगों को अपने कब्जे में करने के साथ साथ उनके
पास मौजूद तमाम गोला बारूद भी लूट लिया है.
आईएसआईएस के आतंकियों ने जिन चार विदेशी नागरिकों के सिर कलम किए उनमें सबसे पहले अमेरिकी पत्रकार जेम्स फोले का सिर था. उसके बाद ब्रिटिश पत्रकार स्टीवन स़ॉटलॉफ का सिर. फिर मानवाधिकार कार्यकर्ता और ब्रिटिश बंधक डेविड हेंस का सिर. और फिर एक और ब्रिटिश नागरिक एलन बैनिंग का सिर. इन तस्वीरों के जरिए दुनिया भर के पत्रकारों को दहलाने की कोशिश में लगे इस्लामिक आतंकी संगठन के आतंकवादियों ने अब एक नया दांव चला है और अगर वो दांव सही बैठ गया तो यकीन जानिए तब दुनिया का सामना तबाही की इससे भी कहीं ज्यादा खौफनाक तस्वीरों से होगा...?
आतंक की भट्टी में दुनियाभर के नौजवान
संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट के हवाले से जो जानकारी सामने आई है, वो बेहद चौंकाने वाली और
हैरतअंगेज है. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट का खुलासा यही कहता है कि इससे पहले इतनी तादाद में
नौजवान खून दहशत फैलाने के कारोबार का हिस्सा कभी नहीं बना. यूएन के ताजा अध्ययन से पता
चलता है कि अरब के रेगिस्तान में जो घमासान मचा हुआ है. उसमें आतंकियों की इस फौज में 80
से ज्यादा देशों के नौजवान भी शामिल हैं. करीब 15000 से ज्यादा लोग इस जंग का हिस्सा बनने के
लिए अपने अपने देशों से भागकर इराक और सीरिया के उन इलाकों में पहुंचे हैं, जहां आईएस के
लडाके मार काट मचा रहे हैं. आईएस ने दुनिया भर के नौजवानों को दहशत की फौज में शामिल होने
का रास्ता खोला है और वो भी सोशल मीडिया के जरिए.
रिपोर्ट का एक खुलासा ये भी है कि इस संगठन में बीते दो सालों के दौरान जितने विदेशी नौजवान शामिल हुए, उतने और किसी भी संगठन में कभी नहीं हुए. इराक और सीरिया के जिस हिस्से में सेना और आतंकियों के बीच घमासान मचा हुआ है. वहां ऐसी तस्वीरें अक्सर झंडों और पोस्टरों के साथ दिखाई दे जाती है. सवाल अब भी यही है कि आखिर ये सिलसला कब तक यूं ही चलेगा?