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UN की रिपोर्ट में खुलासा, दुनियाभर में 5 करोड़ लोग मॉडर्न स्लेवरी में जी रहे, भारत, बांग्लादेश में जबरन शादियां बढ़ी

संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूह वॉक फ्री की रिपोर्ट 'द ग्लोबल एस्टीमेट्स ऑफ मॉडर्न स्लेवरी' में कहा गया है कि 2021 में पांच करोड़ लोग मॉडर्न स्लेवरी में जीने को मजबूर है. इनमें से 2.8 करोड़ लोग बंधुआ मजदूरी और 2.2 करोड़ लोग जबरन विवाह में फंसे हुए हैं.

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संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं. इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2021 में दुनियाभर में लगभग पांच करोड़ लोग मॉडर्न स्लेवरी (आधुनिक गुलामी) में जी रहे हैं. रिपोर्ट कहती है कि कोरोना महामारी की वजह से अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भारत और मिस्र जैसे देशों में जबरन विवाह के मामले भी बढ़े हैं. संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूह वॉक फ्री की रिपोर्ट 'द ग्लोबल एस्टीमेट्स ऑफ मॉर्डन स्लेवरी' में कहा गया है कि 2021 में पांच करोड़ लोग मॉडर्न स्लेवरी में जीने को मजबूर है. इनमें से 2.8 करोड़ लोग बंधुआ मजदूरी और 2.2 करोड़ लोग जबरन विवाह में फंसे हुए हैं.

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रिपोर्ट में कहा गया कि बीते पांच साल में मॉडर्न स्लेवरी में शामिल हुए लोगों की संख्या बढ़ी है. 2016 की तुलना में 2021 में मॉडर्न स्लेवरी में एक करोड़ लोग और शामिल हुए हैं.

पांच करोड़ लोग मॉडर्न स्लेवरी में जी रहे

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के लगभग हर देश में मॉडर्न स्लेवरी है. इसका संस्कृति और धर्म से कोई लेना देना नहीं है. सभी बंधुआ मजदूरियों में से आधे से अधिक यानी 52 फीसदी और जबरन विवाह के एक चौथाई मामले उच्च मध्य आय वाले और उच्च आय वाले देशों में मिले हैं.

रिपोर्ट में कहा गया कि बंधुआ मजदूरी के अधिकतर मामले (86 फीसदी) निजी सेक्टर में हैं. बंधुआ मजदूरी में गैर प्रवासी वयस्क कामगारों की तुलना में प्रवासी कामगारों की संख्या लगभग तीन गुनी से अधिक हो सकती है. 

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2021 में 2.2 करोड़ लोग जबरन विवाह में धकेले गए

रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुमानित रूप से 2021 में दुनियाभर में 2.2 करोड़ लोग जबरन विवाह में धकेले गए हैं. 2016 के वैश्विक अनुमानों की तुलना में इसमें 66 लाख का इजाफा होने का संकेत है.

जबरन विवाह में विशेष रूप से 16 या इससे कम उम्र के बच्चों की शादियां शामिल हैं. रिपोर्ट कहती है कि बाल विवाह को जबरन विवाह ही माना जाता है क्योंकि एक नाबालिग इस उम्र में शादी के लिए कानूनी तौर पर रजामंद नहीं हो सकता.

एशिया और प्रशांत क्षेत्रों में सबसे अधिक जबरन शादियां

सोमवार को जारी इस रिपोर्ट में कहा गया, दुनिया के हर क्षेत्र में जबरन विवाह के मामले सामने आते हैं. जबरन विवाह के लगभग दो-तिहाई मामले (1.42 करोड़) अकेले एशिया और प्रशांत क्षेत्रों से हैं. अफ्रीका में 14.5 फीसदी (32 लाख), यूरोप और मध्य एशिया में 10.4 फीसदी (23 लाख) मामले सामने आए हैं.

रिपोर्ट में कहा गया कि क्षेत्रीय आबादी के हिसाब से अरब देशों में सबसे अधिक जबरन शादियां हुई हैं. यहां प्रति हजार लोगों पर 4.8, इसके बाद एशिया और प्रशांत क्षेत्रों में प्रति हजार लोगों पर 3.3 का आंकड़ा है. वहीं, जबरन शादियों के सबसे कम मामले अमेरिका में हैं. यहां प्रति हजार पर 1.5 का आंकड़ा है.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना की वजह से हर क्षेत्र में जबरन विवाह के मामले बढ़े हैं. कोरोना काल की वजह से सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम सहित आधिकारिक आंकड़ों को जुटाने की प्रक्रिया बाधित हुई. 

रिपोर्ट कहती है कि जिन-जिन देशों के आंकड़ें उपलब्ध हैं, उनमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भारत, इंडोनेशिया, सूडान, मिस्र, यमन, जॉर्डन, सेनेगल, युगांडा और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में बाल विवाह और जबरन विवाह के मामले सबसे अधिक बढ़े हैं.

आईएलओ के महानिदेशक गाय राइडर ने कहा, यह चौंकाने वाला है कि मॉडर्न स्लेवरी में कोई सुधार नहीं हो रहा और मानवाधिकारों के इस उल्लंघन को कोई न्यायोचित नहीं ठहरा सकता.

राइडर ने कहा, हमें पता है कि क्या किया जाना है. हम जानते हैं कि यह किया जा सकता है. प्रभावी राष्ट्रीय नीतियां और रेगुलेशन मौलिक हैं. लेकिन सरकारें इसे अकेले नहीं कर सकती. इसमें ट्रेड यूनियन, कर्मचारी संगठनों, सिविल सोसाइटी और आम लोगों सभी की भूमिका है.

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