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Russia Ukraine War: अब तक 64 आम लोगों की मौत, 240 से ज्यादा घायल, UN रिपोर्ट में खुलासा

युद्ध के चौथे दिन सुबह से ही यूक्रेन रूसी सैनिकों के हमले से सहमा हुआ है. रूस ने सुबह खारकीव में गैस की पाइपलाइन के ध्वस्त कर दिया था. इसके बाद खारकीव में रूसी सेना दाखिल हो गई थी. अब रूस कीव पर कब्जे की तैयारी कर रहा है. लिहाजा उसने घेराबंदी शुरू कर दी है. यही वजह है कि मरने वालों का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है.

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यूक्रेन में अब तक 60 से ज्यादा लोगों की मौत
यूक्रेन में अब तक 60 से ज्यादा लोगों की मौत
स्टोरी हाइलाइट्स
  • रूस के हमले के बाद अब तक यूक्रेन में 64 लोगों की मौत
  • यूएन की रिपोर्ट में खुलासा, 200 से ज्यादा बुरी तरह घायल

रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुई जंग का आज चौथा दिन है. अब तक इस युद्ध में 64 आम नागरिक मारे जा चुके हैं जबकि 240 से ज्यादा घायल हुए हैं. इस बात की पुष्टि संयुक्त राष्ट्र संघ की राहत एजेंसी ने की है.

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संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन में रूसी सैनिकों के प्रवेश करने के बाद से कम से कम 64 आम नागरिक मारे गए हैं जबकि 160,000 से अधिक लोगों के इसके चपेट में आने की प्रबल आशंका है.

यूएन ऑफिस फॉर कोऑर्डिनेशन ऑफ ह्यूमैनिटेरियन अफेयर्स (OCHA) ने एक स्टेटस रिपोर्ट में कहा, "26 फरवरी को शाम 5:00 बजे तक, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय (OHCHR) ने कम से कम 240 नागरिकों के हताहतों होने की पुष्टि की है. इसमें कम से कम 64 लोग मारे गए हैं." इसमें कहा गया है कि वास्तविक आंकड़े "काफी अधिक" होने की संभावना है.

रूसी सेना के हमले में नागरिक बुनियादी ढांचे को हुए नुकसान की वजबह से सैकड़ों हजारों लोग बिजली या पानी के बिना जी रहे हैं.  रिपोर्ट में कहा गया है कि सैकड़ों घर क्षतिग्रस्त या नष्ट हो गए हैं, जबकि पुलों और सड़कों पर गोलाबारी की वजह से कुछ इलाकों का बाजार से संपर्क टूट गया है.

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रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी का हवाला देते हुए कहा गया है कि 160,000 से अधिक लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हुए थे और 116,000 से अधिक लोगों को पड़ोसी देशों में पलायन करने के लिए मजबूर किया गया है.

ओसीएचए ने कहा, "संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और मानवीय कामों के साझेदारों की बिगड़ती सुरक्षा स्थिति के कारण अभियान स्थगित करने के लिए मजबूर होना पड़ा है."

"संयुक्त राष्ट्र और उसके सहयोगी देश भर में अपनी उपस्थिति बनाए रखते हैं और स्थिति के मुताबिक जमीन पर रहने और बढ़ती मानवीय जरूरतों को पूरा करने के लिए और सुरक्षा जोखिमों को कम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं."

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