scorecardresearch
 

लड़कियों की शिक्षा पर जारी प्रतिबंध हटाए तालिबान, UN चीफ बोले- खत्म होना चाहिए भेदभाव

एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र ने तालिबान के लड़कियों के यूनिवर्सिटी एजुकेशन रोकने के फैसले पर आपत्ति जताई है. यूएन चीफ ने कहा है कि लड़कियों की शिक्षा पर लगाए गए प्रतिबंध को हटाया जाना चाहिए. इससे पहले भी UN तालिबान के इस फैसले पर आपत्ति जता चुका है.

Advertisement
X
सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

अफगानिस्तान में लड़कियों के लिए यूनिवर्सिटी के दरवाजे बंद करने के तालिबानी फैसले के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस का बयान आया है. उन्होंने तालिबान से गुजारिश की है कि वह लड़कियों की शिक्षा पर लगाए गए प्रतिबंध को हटा ले. शिक्षा को मौलिक अधिकार बताते हुए गुटेरेस ने कहा कि अब समय आ गया है, जब सभी राष्ट्र शिक्षा व्यवस्था की बेहतरी के लिए आगे आएं. गुटेरेस ने ट्वीट करते हुए कहा कि सभी भेदभावपूर्ण कानूनों और प्रथाओं को समाप्त करने का समय आ चुका है. 

Advertisement

इससे पहले भी UN तालिबान के इस फैसले पर आपत्ति जता चुका है. तालिबानी फैसले पर चिंता जताते हुए इससे पहले UNSC ने कहा था कि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार अपने उस फैसले की तरफ बढ़ती दिखाई दे रही है, जिसमें उन्होंने 6वीं कक्षा के बाद लड़कियों की शिक्षा बैन करने की बात कही थी. UNSC ने कहा था कि तालिबान ने अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और NGO में महिलाओं को काम करने से भी मना किया है. इसका असर युद्धग्रस्त देश में चलाए जा रहे मानवीय प्रयासों पर पड़ेगा.

इतना ही नहीं तालिबान के इस कदम पर इस्लामिक देशों ने भी आश्चर्य जताया था. कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए तुर्की के राष्ट्रपति के प्रवक्ता इब्राहिम कालिन ने ट्वीट किया था, 'तालिबान का यह कदम 'इस्लाम की भावना के खिलाफ' है और इसका धर्म में कोई स्थान नहीं है.' इसके अलावा सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने तालिबान के इस कदम पर आश्चर्य और खेद व्यक्त करते हुए इस कदम को वापस लेने के लिए कहा था. सऊदी अरब ने कहा था कि तालिबान का यह कदम सभी इस्लामिक देशों के लिए आश्चर्यजनक है.

Advertisement

इस्लामिक देश सऊदी अरब ने बयान जारी करते हुए कहा था कि यह प्रतिबंध अफगानिस्तान की महिलाओं के अधिकारों का हनन करता है. अफगानिस्तान की महिलाओं को भी शिक्षा का अधिकार है जो देश की सुरक्षा, स्थिरता, विकास और समृद्धि में अहम योगदान देती हैं. संयुक्त राष्ट्र में संयुक्त अरब अमीरात के उप राजदूत अमीरा अल-हेफती ने अफगानिस्तान पर एक सत्र के दौरान इस फैसले की कड़ी निंदा की थी. बता दें कि अफगानिस्तान में तालिबानी शासन के बाद से संयुक्त अरब आमीरात अफगानिस्तान के एक प्रमुख सहयोगी के रूप में उभरा है. यूएई का हक्कानी ग्रुप के साथ गहरा संबंध रहा है. हक्कानी ग्रुप को अफगानिस्तान में किंगमेकर के रूप में जाना जाता है.

Advertisement
Advertisement