अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) के कब्जे के बाद बिगड़े हालात के चलते यहां के बच्चों की जिंदगी पर भी बुरा असर पड़ा है. अफगानिस्तान के बच्चे पहले से कहीं ज्यादा अब खतरे के मुहाने पर खड़े हैं. UNICEF साउथ एशिया के रिजनल डायरेक्टर जॉर्ज लारिया-अदजेई ने कहा कि बीते सप्ताह में अफगानिस्तान में बढ़ी असुरक्षा और टकराव के चलते बच्चों को भारी कीमत चुकानी पड़ी है.
कई बच्चों को अपना घर, स्कूल और दोस्त ही नहीं छोड़ने पड़े बल्कि वे बुनियादी हेल्थकेयर से भी वंचित हो गए. मसलन, पोलियो, टिटनेस और अन्य बीमारियों का टीका भी नहीं लग पा रहा है. उन्होंने कहा कि अब सुरक्षा संकट गहराने के बीच, खाद्य पदार्थों के दाम आसमान छू रहे हैं. गंभीर सूखा, कोरोना संक्रमण और आने वाला सर्द मौसम, इन सबके बीच बच्चों को पहले से कहीं ज्यादा खतरा है.
कुपोषण का खतरा
UNICEF ने आशंका जताई है कि अगर अफगानिस्तान में हालात ऐसे ही जारी रहे तो फिर पांच साल से कम उम्र के 10 लाख बच्चे कुपोषण का शिकार हो सकते हैं. जॉर्ज लारिया-अदजेई ने कहा कि 2.2 मिलियन लड़कियों समेत कुल चार मिलियन बच्चों का स्कूल छूट गया है. 300,000 युवाओं को घर छोड़ने पर मजबूर किया गया है. इनमें से कुछ काफी छोटे थे. इन बच्चों ने ऐसी परिस्थितियां भी देखी हैं जो इन बच्चों कभी नहीं देखनी चाहिए. बच्चे और किशोर डर और चिंता का सामना कर रहे हैं. उन्हें मेंटल हेल्थ सपोर्ट की जरूरत है.
अफगानिस्तान को सहायता में कटौती पर विचार कर रही कुछ मानवीय संस्थाओं के बीच लारिया-अदजेई ने स्वास्थ्य केंद्रों को चालू रखने, स्कूलों को खोलने और गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों के इलाज के लिए उपलब्ध सेवाओं के लिए पर्याप्त संसाधन को लेकर चिंता जताई है. यूनिसेफ छह दशकों से अधिक समय से अफगानिस्तान में है. मौजूदा हालात में पूरे अफगानिस्तान में अपनी उपस्थिति बनाए हुए है. अफगान लोगों की मदद के लिए वह वार्ताकारों से बातचीत कर रहा है. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के बच्चों की मदद जरूरी है. हम उन्हें इस तरह से नहीं छोड़ सकते.