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मानव विकास सूचकांक की रैंकिंग जारी, इन क्षेत्रों में भारत ने किया सुधार

साल 2022 के मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) में भारत की रैंकिंग में एक पायदान का सुधार हुआ है. 193 देशों की सूची में भारत को 134 वें स्थान पर रखा गया है. जबकि 2021 में 191 देशों की सूची में भारत को 135 वें स्थान पर रखा गया था. 

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UNDP
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संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने साल 2022 के लिए मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) और लैंगिक असमानता सूचकांक (जीआईआई) की रैंकिग जारी कर दी है. संयुक्त राष्ट्र मानव विकास सूचकांक में भारत की रैंकिंग में एक पायदान का सुधार हुआ है. वहीं, लैंगिक असमानता सूचकांक में 14 पायदान का सुधार हुआ है.

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मानव विकास सूचकांक में 193 देशों की सूची में भारत को 134वें स्थान पर रखा गया है. वहीं, लैंगिक असमानता सूचकांक में भारत को 108वें स्थान पर रखा गया है. पिछले साल यानी साल 2021 के मानव विकास सूचकांक में भारत 135वें स्थान पर था जबकि लैंगिक सूचकांक में 122वें स्थान पर था. लैंगिक असमानता सूचकांक 2022 में भारत को 0.437 अंक दिया गया है. वहीं, 2021 में भारत का यह स्कोर 0.490 था. 

श्रम बल भागीदारी में अंतर अब भी बरकरार

यूएनडीपी की इस हालिया रिपोर्ट पर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कहा है कि जीआईआई-2021 की तुलना में जीआईआई-2022 की रैंकिग में सुधार एक महत्वपूर्ण उपलब्धि को दर्शाता है. हालांकि, देश की श्रम बल भागीदारी में अंतर अब भी बरकरार है. रिपोर्ट के मुताबिक, श्रम बल में एक तरफ पुरुषों की भागीदारी जहां 76.1 प्रतिशत है. वहीं, महिलाओं की भागीदारी सिर्फ 28.3 प्रतिशत है. यानी श्रम बल भागीदारी में गैप 47.8 प्रतिशत है. 

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इस रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की रिपोर्ट "ब्रेकिंग द ग्रिडलॉक: रीइमेजिनिंग कोऑपरेशन इन ए पोलराइज्ड वर्ल्ड" के तहत प्रकाशित किया गया है. यह सूचकांक 2021-2022 में मानव विकास रिपोर्ट के निष्कर्षों पर आधारित है.

भारत ने इन क्षेत्रों में किया सुधार

एचडीआई रैंकिंग 2022 में भारत के स्कोर में मामूली वृद्धि दर्ज की गई है. इस साल भारत का स्कोर  0.644 रहा है. हालांकि, 2022 में भारत ने एचडीआई के सभी संकेतकों में सुधार किया है. भारत में जीवन प्रत्याशा यानी औसत आयु 67.2 से बढ़कर 67.7 वर्ष हो गई है. वहीं, प्रति व्यक्ति आय 6,542 अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 6,951 अमेरिकी डॉलर हो गई है.

इसके अलावा, भारत लैंगिक असमानता को भी कम करने में सफल रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत का स्कोर वैश्विक और दक्षिण एशियाई देशों के औसत से बेहतर है. रिपोर्ट के मुताबिक, जीआईआई तीन प्रमुख आयमों पर मापा जाता है. वह है- प्रजनन स्वास्थ्य, सशक्तिकरण और श्रम बाजार में लैंगिक असमानता. भारत का जीआईआई स्कोर 0.437 है जो वैश्विक औसत 0.462 और दक्षिण एशियाई औसत 0.478 से बेहतर है.

भारत ने हालिया कुछ वर्षों में मानव विकास सूचकांक में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है. 1990 के बाद से जीवन प्रत्याशा में 9.1 वर्ष बढ़ी है. स्कूली शिक्षा के अपेक्षित और औसत वर्ष में भी सुधार हुआ है. वहीं, भारत की प्रति व्यक्ति जीएनआई में लगभग 287 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

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रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि अमीर देशों ने जहां रिकॉर्ड विकास हासिल किया है. वहीं, आधे गरीब देशों की प्रगति संकट-पूर्व स्तर से नीचे बनी हुई है.

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