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PAK की भड़काऊ बातें वक्त की बर्बादी, UN में भारत ने 45 सेकेंड में निपटा दी बात

भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक और कश्मीर मुद्दे को उठाने की ताजा उकसाने वाली कार्रवाई को समय की बर्बादी बताया है और कहा है कि यह 'उस बात का प्रतीक है जो हम सबको पीछे ले जाती है.'

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संयुक्त राष्ट्र में भारत की प्रथम सचिव इनम गंभीर
संयुक्त राष्ट्र में भारत की प्रथम सचिव इनम गंभीर

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भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक और कश्मीर मुद्दे को उठाने की ताजा उकसाने वाली कार्रवाई को समय की बर्बादी बताया है और कहा है कि यह 'उस बात का प्रतीक है जो हम सबको पीछे ले जाती है.'

संयुक्त राष्ट्र में भारत की प्रथम सचिव इनम गंभीर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी की भारत के बारे में मंगलवार को की गई बातें 'नक्कारखाने में तूती' के समान हैं. गंभीर ने कहा, 'मेरा प्रतिनिधिमंडल इस सम्मानित सदन का बहुमूल्य समय इस तरह की बातों का जवाब देकर बर्बाद नहीं करना चाहता.' इनम गंभीर ने अपनी बात महज 45 सेकेंड में निपटा दी, हालांकि उन्हें जवाब देने के लिए 10 मिनट का समय मिला था.

बता दें कि महासभा में संयुक्त राष्ट्र के कार्यों की वार्षिक रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान मलीहा लोधी अपने विषय से भटक गईं और उन्होंने भारत द्वारा पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देने की बात से इनकार किया और आरोप लगाया कि वह (भारत) इस अभियान को अंजाम देने के झूठे दावे करके संघर्ष को भड़काने व और ज्यादा हमले करने की धमकी देने की कोशिश कर रहा है.

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लोधी ने सवालिया लहजे में कहा, 'इस तरह के झूठे दावे करके और खुली धमकी देकर क्या भारत के नेता पाकिस्तान के साथ संघर्ष को उकसाने की कोशिश कर रहे हैं.' उन्होंने कहा, 'यह धमकियां पाकिस्तान को आत्मरक्षा के अधिकार के प्रयोग का पर्याप्त आधार मुहैया कराती हैं.'

लोधी का बयान भारतीय सेना के प्रमुख बिपिन रावत की उस टिप्पणी की प्रतिक्रिया माना जा रहा है, जिसमें उन्होंने 2016 में पाकिस्तानी सरजमीं पर आतकंवादियों के खिलाफ अंजाम दिए गए सर्जिकल स्ट्राइक के वर्षगांठ के मौके पर पिछले महीने पाकिस्तान को चेतावनी दी थी. रावत ने कहा था, 'स्ट्राइक संदेश से बढ़कर थी जो हम देना चाहते थे और जरूरत पड़ने पर इसे फिर से अंजाम दिया जा सकता है.'

पिछले महीने महासभा में उच्चस्तरीय बैठक के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने कश्मीर का मुद्दा उठाया था, लेकिन सभी 192 देशों ने इस मुद्दे की उपेक्षा कर दी थी.

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