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AI के खतरों से कैसे निपटेगी दुनिया? UN सिक्योरिटी काउंसिल में होगी बैठक

दुनिया भर की सरकारें इस बात पर विचार कर रही हैं कि उभरती AI तकनीक के खतरों को कैसे कम किया जाए. यह तकनीक वैश्विक अर्थव्यवस्था को नया आकार देने में सक्षम है. इसकी मदद से अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा परिदृश्य को बदला जा सकता है.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसे-जैसे दुनिया में अपने पैस पसार रहा है. वैसे-वैसे ही उसके संभावित खतरे भी नजर आ रहे हैं. इसलिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) इस सप्ताह न्यूयॉर्क में इस विषय पर चर्चा करने जा रही है. इस बैठक में ब्रिटेन वैश्विक शांति और सुरक्षा को लेकर इसके प्रभाव के बारे में बातचीत करेगा. ब्रिटिश विदेश सचिव जेम्स क्लेवरली मंगलवार को चर्चा की अध्यक्षता करेंगे.

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दुनिया भर की सरकारें इस बात पर विचार कर रही हैं कि उभरती AI तकनीक के खतरों को कैसे कम किया जाए. यह तकनीक वैश्विक अर्थव्यवस्था को नया आकार देने में सक्षम है. इसकी मदद से अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा परिदृश्य को बदला जा सकता है.

प्रस्ताव का किया समर्थन

इससे पहले जून में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) जैसी अंतर्राष्ट्रीय AI निगरानी संस्था के निर्माण के लिए कुछ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अधिकारियों के प्रस्ताव का समर्थन किया.

हॉलीवुड के राइटर्स प्रोटेस्ट पर

बता दें कि हॉलीवुड में इन दिनों AI के प्रयोग से वहां की राइटर्स एसोसिएशन और प्रोडक्शन स्टूडियोज के बीच का कॉन्फ्लिक्ट बढ़ता जा रहा है.AI ने इंडिया में भी दस्तक दे दी है. ऐसे में अब कई बॉलीवुड प्रोजेक्ट्स इसी तकनीक के इस्तेमाल से अपने काम को आसान करेंगे. 

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AI के आने से राइटर्स चिंतिंत

हालांकि इंडियन राइटर्स अब भी इसी कंफ्यूजन में हैं कि इसके आने के बाद किस तरह से इंडस्ट्री में को-एक्जिस्ट कर काम किया जाएगा. स्क्रीनप्ले राइटर्स एसोसिशन (SWA) के मेंबर और संजू, डॉ जी जैसी फिल्मों के लिए अपनी राइटिंग कर चुके पुनीत शर्मा हमसे सारे पहलू पर बातचीत करते हैं.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बनेगा खाना

इसके साथ ही दिल्ली के आईआईआईटी कॉलेज (Indraprastha Institute of Information Technology) में पढ़ाने वाले और रिसर्चर प्रोफेसर गणेश बागलर बीते 8 सालों से इस पर एक रिसर्च कर रहे थे. जिसकी मदद से उन्होंने कंप्यूटेशनल गैस्ट्रोनॉमी की एक ऐसी दुनिया बना दी. इससे खाना बनाना काफी आसान हो जाएगा. फिलहाल इस रिसर्च पर काम जारी है. मगर, प्रोफेसर बताते हैं कि ये कुकिंग की दुनिया में बदलाव जरूर लेकर कर आएगा.

AI की मदद से बनेगी डिश

प्रोफेसर बताते हैं कि उन्होंने 8 साल तक काफी रिसर्च की. दुनिया भर से अलग-अलग व्यंजनों का डाटा इकट्ठा किया. दुनिया भर के मशहूर शेफ से मुलाकात की. फिर लंबे इंतजार के बाद कोडिंग के जरिए ऐसा एल्गोरिदम तैयार किया, जिसे आम लोगों को अब रोज क्या नया खाना बनाना है, इस झंझट से निजात मिल जाएगी.

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